रेत खनन,परिवहन नियमों में होगा बदलाव,अब 1 साल पहले सरेंडर नहीं कर सकेंगे ठेका

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रेत खनन,परिवहन नियमों में होगा बदलाव,अब 1 साल पहले सरेंडर नहीं कर सकेंगे ठेका

भोपाल:रेत खदानों के टेंडर में शामिल होकर शर्तो को पूरा करने के बाद ठेका लेने वाले ठेकेदार अब ठेका स्वीकृत होंने के एक साल की अवधि तक ठेका सिरेंडर नहीं कर पाएंगे। इसके लिए राज्य सरकार नियमों में बदलाव करने जा रही है।

सूत्रों के मुताबिक वर्तमान में जो रेत खनन एवं परिवहन के नियम है उसके तहत रेत खनन का ठेका लेने वाला ठेकेदार ठेका लेने के बाद यदि उसे इस ठेके के संचालन में घाटा दिखाई देता है या मुनाफा उसकी अपेक्षा के अनुरुप नहीं मिलने की संभावना रहती है तो वह ठेका लेने के बाद उसे कभी भी समर्पित कर सकता है। इसके चलते खनिज विभाग को रेत खदानों के ठेके पुर्नआवंटित करने पूरी प्रक्रिया फिर से करना पड़ता है। उसके लिए टेंडर जारी कर समयसीमा तय करनी होती है। एल-1 पर आने वाले टेंडर जो पात्रता की शर्ते पूरी करते है उन्हें यह ठेका आवंटित किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में लंबा समय लग जाता है और टेंडर जारी करने में शासन का धन भी खर्च होता है। दुबारा टेंडर करने में जितनी अवधि के लिए ठेका संचालन नहीं हो पाया उस अवधि के ठेके राशि को कम करना होता है। इसका नुकसान भी राज्य सरकार को ही वहन करना पड़ता है। बस ठेका समर्पण पर अनुबंध के तहत सिक्योरिटी राशि ही शासन के खाते में आती है लेकिन समय पर ठेका संचालन न होंने से भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए राज्य सरकार अब नियमों में बदलाव करने जा रही है। इसके तहत रेत खनन का ठेका लेने के बाद ठेकेदार उसे एक साल तक समर्पित नहीं कर सकेगा। एक साल ठेकेदार को खदान चलाना होगा। इसके अलावा ठेका समर्पण करने के लिए खनिज विभाग को पहले से सूचना देना होगा। इससे राज्य सरकार को रेत खनन ठेका पुर्नआवंटित करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा और ठेका संचालित नहीं होंने की अवधि का नुकसान नहीं होगा।

सिंगल टेंडर में भी होंगे ठेके-

ठेका नियमों के अनुसार किसी भी काम का ठेका देने के लिए तीन प्रस्ताव आना जरुरी होता है। इसके अलावा जो रिजर्व प्राइज रहती है उससे अधिक मूल्य के तीन प्रस्ताव आने के बाद उसमें न्यूनतम दर भरने वाले ठेकेदार को यह ठेका आवंटित किया जाता है। लेकिन कई बार रेत खदानों के मामले में कई खदानों के लिए पर्याप्त संख्या में ठेका प्रस्ताव नहीं मिलते है इसके कारण बार-बार टेंडर करना पड़ता है। इससे भी सरकार को बार-बार टेंडर करने में लगने वाला खर्च और ठेका संचालन नहीं होंने की अवधि के नुकसान को वहन करना पड़ता है। इसलिए अब नियमों को सरल करते हुए यह प्रावधान किया जा रहा है कि यदि किसी रेत खदान के लिए सिंगल टेंडर भी आता है और वह रिजर्व प्राइज से दस प्रतिशत अधिक पर है तो उसे स्वीकृत करते हुए ठेका आवंटन कर दिया जाएगा। इस संबंध में प्रस्ताव तैयार हो गया है। मंत्री के अनुमोदन के बाद जल्द ही नियमों में बदलाव किया जाएगा।