सरकारी संस्थानों में विभागीय जांच में लेटलतीफी नहीं चलेगी समयसीमा तय

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आदिवासियों को साधने के लिए सरकार
भोपाल:  प्रदेश के सरकारी महकमों में विभागीय जांच में लेटलतीफी पर सामान्य प्रशास विभाग ने सख्ती कर दी है। जांच की सारी प्रक्रियाओं के लिए समयसीमा नये सिरे से तय कर दी गई है। एकल जांच पांच महींने और संयुक्त विभागीय जांच  चौदह महीने के भीतर  पूरी करना होगा। सभी मामलों में समयसीमा में जांच करने के निर्देश दिए गए है।
प्रदेश के सरकारी महकमों में विभागीय जांच प्रक्रिया में लेटलतीफी हो रही है। इसके कारण दोषियों को समय पर सजा का फैसला नहीं हो पाता है। कई बार तो सरकारी अधिकारी, कर्मचारी समय पर जांच पूरी नहीं हो पाने के कारण बिना सजा पाए ही सेवानिवृत हो जाते है। इसलिए अब सामान्य प्रशासन विभाग ने विभागीय जांच के लिए प्रक्रियाओं की समयसीमा नये सिरे से तय कर दी है।
इस तरह तय हुई समयसीमा-
संयुक्त विभागीय जांच के मामलों में-
विभागीय जांच के मामले में नस्ती पर विभागीय जांच करने का निर्णय प्रकरण प्रस्तुति के एक माह के भीतर, आरोप पत्र दो माह के भीतर, आरोप पत्र का उत्तर दो माह में, उत्तर का परीक्षण कर जांचकर्ता की तैनाती एक माह में ,जांच अधिकारी द्वारा जांच करने और प्रतिवेदन भेजने, मुख्य दंड तय करने की प्रक्रिया चार माह में और छोटी सजा तय करने की प्रक्रिया दो माह में पूरी करा होगा। जांच प्रतिवेदन का परीक्षण और अंतिम सजा पारित करने का निर्णय मुख्य सजा हेतु दो माह और लघु शास्ति के लिए दो माह की समयसीमा रहेगी। जहां जरुरी हो वहां आयोग की मंत्रणा कर अंतिम आदेश पारित करने दो माह का समय तय किया गया है। इस तरह चौदह माह की समयसीमा संयुक्त विभागीय जांच के लिए रहेगी।
एकल विभागीय जांच के मामलों में-
नस्ती पर विभागीय जांच करने का निर्णय पंद्रह दिन में, आरोप पत्र पंद्रह दिन में,आरोप पत्र का उत्तर लेने के लिए सात दिन से एक माह की समयसीमा रहेगी। उत्तर का परीक्षण कर जांच कर्ता की तैनाती पंद्रह दिन में होगी। जांच अधिकारी द्वारा जांच कर जांच प्रतिवेदन भेजने और मुख्य दंड तय करने एक माह, लघु शास्तियां लगाने निर्धारित प्रक्रिया पूरी करने एक माह का समय रहेगा। जांच प्रतिवेदन प्राप्त होंने पर उसका परीक्षण एवं अंतिम सजा पारित करने का निर्णय पंद्रह दिन में लेना होगा। आयोग की मंत्रणा जरुरी होेंने पर अंतिम आदेश पारित करने और पंद्रह दिन का समय तय किया गया है।