नीति आयोग के यह आंकड़े सुकून देने वाले हैं…

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नीति आयोग के यह आंकड़े सुकून देने वाले हैं…

कुशाभाऊ ठाकरे सभागार, भोपाल में नीति आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट के आंकड़े फील गुड कराने वाले हैं। मध्यप्रदेश में 1.36 करोड़ लोगों को गरीबी से मुक्ति मिली है। यह आंकड़ा सुकून देने वाला है। मन की अभिलाषा भी यही है कि मध्यप्रदेश गरीबी से पूरी तरह से मुक्त हो जाए। नीति आयोग की मानें तो मध्यप्रदेश में वर्ष 2015-16 से 2019-21 के बीच 1 करोड़ 36 लाख लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। मध्यप्रदेश में पाँच वर्ष की अवधि में गरीबों की संख्या में 15.94% की गिरावट आई है। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। वर्ष 2015-16 में 36.57% से घटकर यह 2019-21 में 20.63% रह गई। देश के सभी राज्यों में मध्यप्रदेश में सबसे तेजी से गरीबी में कमी देखी गई है। गरीबों की संख्या में कमी के मामले में सबसे उल्लेखनीय सुधार प्रदेश के जिन जिलों में हुआ है उनमें अलीराजपुर, बड़वानी, खंडवा, बालाघाट, और टीकमगढ़ शामिल हैं। यह पांच जिले यह बताते हैं कि यहां पर वास्तव में गरीबी का स्तर चरम पर था। बुंदेलखंड का सबसे पिछड़ा और संसाधनों की कमी से जूझता जिला टीकमगढ़ ही है। मालवा में अलीराजपुर की आदिवासी जनसंख्या की स्थिति भी वैसी ही है। महाकौशल में बालाघाट‌ का परिदृश्य छिपा नहीं है। निमाड़ में बड़वानी भी गरीबों का बसेरा है। तो खंडवा भी आदिवासी गरीबी बाहुल्य जिला है। यहां गरीबों की संख्या में कमी होना बड़ी उपलब्धि ही मानी जाएगी।
नीति आयोग की रिपोर्ट पर गौर करें तो मध्यप्रदेश में वर्ष 2015-16 से वर्ष 2019-21 के मध्य 1 करोड़ 36 लाख लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। मध्यप्रदेश में गरीबी की तीव्रता जो 47.25 प्रतिशत होती थी वो घटकर 43.70 प्रतिशत रह गई है। बहुआयामी गरीबी की तीव्रता स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन आयामों के औसत प्रतिशत को ध्यान में रखकर देखी जाती है। यह आंकड़ा बहुत संतुष्टिदायक नहीं माना जा सकता। स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन आयामों के औसत प्रतिशत में बहुत सुधार होने की गुंजाइश बाकी है। पर जितना सुधार हुआ है, उसे नकारा नहीं जा सकता। 3.55 प्रतिशत का यह औसत 13.55 प्रतिशत होता, तो शायद मध्यप्रदेश और भी ज्यादा गौरवान्वित होता। पर यह चाहत भी पूरी होगी, नीति आयोग के आंकड़े यह भरोसा दिलाने की सोच बनाते दिख रहे हैं।
जिलों की बात करें तो अखिल भारतीय राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4-(2015-16) में अलीराजपुर में गरीबों की संख्या 71.31 प्रतिशत थी, जो एनएचएचएस-5 (2019-21) में घटकर 40.25% रह गई। इस प्रकार 31.5 प्रतिशत सुधार हुआ है। बड़वानी में 61.60 प्रतिशत से कम होकर 33.52 प्रतिशत रह गई है। इस प्रकार 28.08% का सुधार हुआ है। खंडवा में गरीबी का प्रतिशत 42.53 से कम होकर 15.15% पर आ गया है। इस प्रकार 27.38 प्रतिशत सुधार हुआ है। बालाघाट में 26.48 प्रतिशत और टीकमगढ़ में 26.33 प्रतिशत सुधार हुआ है। सतत विकास के लक्ष्यों में 2030 तक गरीबी को कम से कम आधा करना शामिल है। मध्यप्रदेश की ग्रामीण क्षेत्र में गरीबों की आबादी में 20.58% की गिरावट आई है। एनएफएचएस-4 (2015-16) में यह 45.9% थी, जो एनएफएचएस-5 (2019-21) में कम होकर 25.32% तक आ गई है। गरीबी की तीव्रता भी 3.75% (47.57% से 43.82%) तक कम हो गई है और गरीबी सूचकांक 0.218 से घटकर 0.111 लगभग आधा हो गया है। शहरी गरीब आबादी में 6.62% की गिरावट आई है। एनएफएचएस 4 (2015-16) में यह 13.72% थी, जो एनएफएचएस-5 (2019-21)में कम होकर 7.1% तक आ गई है। शहरी गरीबी की तीव्रता भी 2.11% (44.62% से 42.51%) तक कम हो गई है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मानना है कि मध्यप्रदेश में कभी सिंचाई साढ़े 7 लाख हेक्टेयर हुआ करती थी, जिसे बढ़ाकर 47 लाख हेक्टेयर कर दी तो अन्न का उत्पादन बढ़ा है। आज अन्न के उत्पादन में 700 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।  गेहूं के उत्पादन में हमने पंजाब को पीछे छोड़ दिया है। सड़क बनी तो गरीबी कम हुई, सिंचाई के साधनों का विकास हुआ तो गरीबी कम हुई, शिक्षा की व्यवस्था बेहतर हुई तो गरीबी कम हुई। पहले कभी मध्यप्रदेश की पर कैपिटा इनकम 11 हजार रुपए थी, आज मध्यप्रदेश की पर कैपिटा इनकम 1 लाख 40 हजार रुपए है। मध्यप्रदेश की जीएसडीपी कभी 71 हजार करोड़ रुपए हुआ करती थी, आज लगभग 15 लाख करोड़ रुपए है। पहले देश की जीडीपी में हमारा योगदान मात्र 3% हुआ करता था आज 4.8% है। यह उपलब्धियां महत्वपूर्ण हैं।
जो पाया उसकी खुशी है, पर जो पाना बाकी है… उसके प्रति मन आशांवित है। इच्छा यही है कि मध्यप्रदेश में गरीबी तो खत्म हो ही, अपराधों पर भी पूरी तरह से अंकुश लगे। और हम गरीबी मुक्त और अपराध मुक्त मध्यप्रदेश में हर व्यक्ति को रोजगार के संग पूरा सुकून पा सकें। वास्तव में तब ही मध्यप्रदेश की पूरी आबादी गौरवान्वित महसूस करेगी। पर नीति आयोग के आंकड़े यह उम्मीद जगा रहे हैं कि मध्यप्रदेश इसी गति से आगे बढ़ता रहा, तो वह दिन भी दूर नहीं है जब हम गर्व से कह सकेंगे कि मध्यप्रदेश देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बन गया है। मध्यप्रदेश के हर नागरिक को उसी दिन का इंतजार है।