यह निशान वरदान बनने वाले हैं और केन-बेतवा जीवनदायिनी…

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यह निशान वरदान बनने वाले हैं और केन-बेतवा जीवनदायिनी…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

निवाड़ी जिले में गांव-गांव तक सड़कों पर चौकोर निशान लगे हैं। सामान्य व्यक्ति को इन्हें देखकर भले ही कुछ समझ में न आए, लेकिन गांव के किसान इन्हें देखकर खुश हो जाते हैं। उन्हें यह पता है कि यह निशान केन-बेतवा लिंक परियोजना के सर्वे के हैं। जल्दी ही काम शुरू होगा और खेत-खेत तक पाइप के जरिए पानी पहुंचाने की व्यवस्था सरकार कर देगी। और पानी खेत-खेत तक पहुंचाकर केन-बेतवा लिंक परियोजना सूखे से अभिशप्त बुंदलेखंड के लिए जीवनदायिनी बन जाएगी। और तब यही निशान वरदान बनकर किसानों के घरों में खुशहाली और समृद्धि लाने वाले साबित हो जाएंगे। किसान यह सोच में भी डूब जाते हैं कि काश यह निशान दस या पंद्रह साल पहले लग जाते, तो उनकी एक पीढ़ी पलायन के अभिशाप से मुक्त हो चुकी होती। पर खुशी इस बात की है कि शिवराज सरकार के समय न सही, पर भाजपा की ही मोहन सरकार के समय कम से कम यह सौगात मिल तो गई है।

हमने तरीचर कलां के प्रेम नारायण वर्मा केन-बेतवा की खुशी से सराबोर हैं। सूखे की हालत यह है कि उनके पास 40-50 बीगा जमीन है। फिर भी साल भर में मुश्किल से उन्हें डेढ़ लाख ही मिल जाएं तो बहुत हैं। वह घर चलाने के लिए खेती के साथ एक स्टेशनरी की दुकान भी खोले हैं। पर केन-बेतवा ने उनको विश्वास हो गया है कि अब साल भर में चार फसलें लेने की स्थिति बन जाएगी। और खेती का मुनाफा भी चार गुना बढ़कर साल भर का कम से कम पांच-छह लाख तो हो ही जाएगा। केन-बेतवा के आने से अब निवाड़ी के किसानों का भाग्य बदलने वाला है। बिनवारा के सरपंच बृजलाल खंगार का मानना है कि केन-बेतवा से चार बीगा जमीन वाले किसानों के परिवार भी जीवन का नया सवेरा देख सकेंगे। उनके बच्चों को कमाई के लिए घर वार छोड़कर दिल्ली, हरियाणा या राजस्थान जाना पड़ता था। अब केन-बेतवा के आने से चार बीगा जमीन में भी उनका गुजारा हो जाएगा। गेहूं की उपज भी बढ़ेगी और सब्जी वगैरह पैदा कर किसान हजारों पैदा कर लेगा। ऐसे में जिन बच्चों को काम की तलाश में परिवार छोड़कर जाना पड़ता है, वह अब घर पर ही काम में लगे रहेंगे। और केन-बेतवा का दूसरा बड़ा फायदा यह होगा कि खेती की लागत कम हो जाएगी। किसानों को मोटर नहीं चलानी पड़ेगी, जिससे सूखे के साथ-साथ बिजली के बिल से भी मुक्ति मिलेगी। मोटरें जल जाती थीं, उससे भी खेती की लागत बढ़ जाती थी। पर अब पाइप से खेतों में मिलने वाला पानी इन सब झंझटों से मुक्ति दिलाकर खेती को लाभ का धंधा बना देगा। तो काश्तकार नरेंद्र तिवारी की सोच है कि केन-बेतवा लिंक परियोजना आने के बाद निवाड़ी पंजाब बन जाएगा। एक माह पहले सर्वे शुरू हो गया था। अभी चल रहा है। सड़कों पर वाटर लेबिल के हिसाब से निशान लगाए गए हैं। इस परियोजना में खेत-खेत तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था है। इसमें परती जमीन पर भी खेती करने की उम्मीद किसानों में जगी है। तालाबों का जलस्तर भी बढ़कर जीवन को सुगम बना देगा। वह फिर वही बात दोहराते हैं कि पूरा निवाड़ी क्षेत्र दूसरा पंजाब बन जाएगा।

बात आंकड़ों की करें तो निवाड़ी जिले में 281 गांव हैं। इनमें से 164 गांवों तक केन-बेतवा लिंक परियोजना पहुंच रही है। इसमें निवाड़ी तहसील के 134 गांव और पृथ्वीपुर तहसील के 30 गांव शामिल हैं। और करीब 47 हजार हेक्टेयर रकबा सिंचित होगा। इसमें निवाड़ी तहसील का करीब 38 हजार हेक्टेयर और पृथ्वीपुर तहसील का करीब 9 हजार हेक्टेयर रकबा शामिल है। यानि निवाड़ी जिले के करीब 60 फीसदी गांवों तक केन-बेतवा अमृतधारा बन किसानों को धन्य करेगी। तो करीब 2 लाख हितग्राही लाभान्वित होंगे। इसमें से करीब 1.6 लाख निवाड़ी तहसील से और 40 हजार पृथ्वीपुर तहसील से हैं। तो बिनवारा सरपंच बताते हैं कि निवाड़ी भाजपा विधायक अनिल जैन ने भरोसा दिलाया है कि बाकी गांवों को भी केन-बेतवा लिंक परियोजना से जोड़कर उन तक भी सिंचाई का पानी पहुंचाने का प्रस्ताव वह सरकार को भेज चुके हैं। ऐसे में उम्मीद बनी हुई है कि केन-बेतवा लिंक परियोजना पूरे निवाड़ी जिले को दोनों हाथ से आशीर्वाद देकर जीवनदायिनी बनने वाली है। और सड़कों पर दिख रहे निशान वरदान बनकर किसानों का दिल जीत लेंगे…।