लोकहितकारी है यह बदलाव …
मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष के लिए जब राज्य और केंद्र सरकार में असरदार किरदार निभा चुके देश के वरिष्ठतम नेताओं में शुमार नरेंद्र सिंह तोमर का नाम तय किया गया था, तब ही यह तस्वीर साफ थी कि अब विधानसभा में परिणामदायी नवाचार आकार लेंगे। सक्रिय राजनीति में सबकी बातें सुनकर नपी तुली प्रतिक्रिया देकर जो सबको खुश रखने की क्षमता रखते हैं, वह नेता अगर कोई है तो नरेंद्र सिंह तोमर का नाम मध्यप्रदेश और देश की राजनीति में सबसे पहले आता है। सरकार और संगठन में रहकर उन्होंने यह चरितार्थ किया है। मोदी सरकार के समय हुए किसान आंदोलन कोई भुला नहीं सकता, तो आंदोलनकारी नेताओं के बीच पहुंचकर उनकी सब बात सुनकर और नपी तुली प्रतिक्रिया देकर किसान नेताओं का दिल जीतने की तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी सबको याद रहेंगे।
मध्यप्रदेश में 2008 और 2013 में संगठन के मुखिया बतौर भी नरेंद्र सिंह तोमर की कार्यशैली के सब मुरीद हैं। तो अब विधानसभा अध्यक्ष के रूप में भी तोमर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच अपनी सशक्त कार्यशैली का लोहा मनवा रहे हैं। 8 फरवरी 2024 को बजट सत्र में प्रश्न और अल्प सूचना प्रश्न की कंडिका में किया गया बदलाव विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की प्रभावी कार्यशैली का ही परिचायक है। अब विधानसभा सदस्यों को विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी लंबित प्रश्नों का उत्तर मिलेगा। इससे सत्ता पक्ष और विपक्ष, जीतने और हारने वाले सभी सदस्यों को यह संतुष्टि रहेगी कि उनके सवालों का जवाब मिलने पर लोकहित की उनकी मंशा पूरी हो सकेगी। विधानसभा की प्रश्न एवं अल्प सूचना प्रश्न में हुआ यह बदलाव लोकहितकारी साबित होगा।
मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए ” प्रश्न एवं अल्प सूचना प्रश्न” की कंडिका में बदलाव किया है। अब विधानसभा के विघटन के बाद भी लंबित प्रश्नों के जवाब सरकार द्वारा संबंधित सदस्य को प्रदान किए जाएंगे। पहले जहां विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने पर पूर्व के सत्रों के लंबित प्रश्नों के अपूर्ण उत्तर नहीं दिए जाते थे और इससे लोकहित के कई विषयों पर कार्यवाही नहीं हो पाती थी। किंतु अब नए संशाेधन से लंबित प्रश्नों के उत्तर विधानसभा कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी दिया जाएगा और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर का यह महत्वपूर्ण निर्णय मील का पत्थर साबित होगा।
विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने 20 दिसंबर 2023 को अध्यक्ष पद पर निर्वाचन के बाद इस संबंध में घोषणा की थी। 8 फरवरी 2024 को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि विधान सभा का कार्यकाल समाप्त होने पर प्रश्न-संदर्भ समिति के समक्ष लंबित प्रकरणों को शून्य अथवा व्यपगत एवं समाप्त नहीं किया जाएगा। अब विधान सभा के विघटन के पूर्व सत्र तक लंबित प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों का परीक्षण किया जाएगा। इस संबंध में परीक्षण कर प्रश्न एवं संदर्भ समिति द्वारा कार्यवाही की जाएगी तथा समिति द्वारा अनुशंसा सहित प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जायेगा।
इसके लिए अध्यक्ष के स्थाई आदेश के अध्याय 3 ” प्रश्न एवं अल्प सूचना प्रश्न” की कंडिका “13−क” के पश्चात संशोधन द्वारा अंतः स्थापित नवीन कंडिका ” 13−ख” को विलोपित कर दिया गया है।यह आदेश पूर्ववर्ती चतुर्दश एवं पंचदश विधानसभा के सभी लंबित प्रश्नों पर लागू किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इस संबंध में पन्द्रहवीं विधान सभा में फरवरी 2023 तक ऐसे प्रकरणों की संख्या 805 है। पूर्व नियमों के अनुसार ये स्वत: व्यपगत हो गये थे, किंतु अब नियम में संशोधन होने के पश्चात् व्यपगत नहीं होंगे एवं इस संबंध में परीक्षण करके प्रश्न एवं संदर्भ समिति द्वार कार्यवाही करके प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाएगा।
विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा लिया गया यह फैसला विधानसभा के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। इससे अफसरों के सवाल का जवाब टालने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा। तो यह बहाना भी नहीं चलेगा कि “जानकारी एकत्र की जा रही है”। या फिर अफसर विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने पर चिंतामुक्त नहीं हो पाएंगे कि अब सवाल अतीत का हिस्सा बन गए हैं, जिनका जवाब कभी नहीं देना पड़ेगा। इससे विधानसभा सदस्यों की गरिमा बढ़ेगी और वह खुद को ज्यादा सशक्त महसूस करेंगे। और बात केवल इस एक लोकहितकारी फैसले पर खत्म होने वाली नहीं है। अभी तो विधानसभा अध्यक्ष के रूप में नरेंद्र सिंह तोमर के सफर की शुरुआत हुई है। सफर आगे बढ़ेगा तो उम्मीद यही है कि लोकहितकारी फैसलों की बाढ़ आएगी और सदस्यों की गरिमा में भी इजाफा होता रहेगा…।