यह फैसला कोहिनूर है…

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यह फैसला कोहिनूर है…

मध्यप्रदेश विधानसभा में वैसे तो हर विधानसभा अध्यक्ष को उनके अलग-अलग कार्यों के लिए जाना जाएगा। पर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को एक फैसले के लिए खास तौर पर याद किया जाएगा और वह है विधानसभा में तीस-तीस साल से कार्यभारित और संविदा के पदों पर कार्यरत कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए। पिछले तीस सालों में विधानसभा में वैसे तो बहुत कुछ बदला, लेकिन नहीं बदली थी तो इन कर्मचारियों की किस्मत। कई कर्मचारी अपने इस हाल के लिए खुद को कोसते-कोसते सेवानिवृत्त भी हो गए। दूसरे विधानसभा अध्यक्षों के सामने भी यह अपना रोना रोते रहे, लेकिन इनकी बदहाली पर दया आई तो केवल वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को। उनकी राह में भी रोड़े बने रहे, पर कर्मचारियों की किस्मत संवारने के लिए उन्होंने विधानसभा में अध्यक्ष की शक्तियों का प्रयोग करते हुए इन कर्मचारियों के नियमितीकरण का फैसला सुना दिया है।

इसे उनके कार्यकाल के सभी फैसलों में कोहिनूर की संज्ञा दी जाएगी। भले ही कर्मचारियों की संख्या मुट्ठी भर ही थी, पर इनकी आंखों की नमी को सोखकर खुशियों के आंसू छलकाने की हिम्मत गिरीश गौतम से पहले कोई नहीं जुटा सका था। सरकार ने अब भी विधानसभा के इस मामले को अधर में लटका रखा है, पर विधानसभा अध्यक्ष ने नियमितीकरण पर मुहर लगाकर यह अहसास कराया है कि विधानसभा में अध्यक्ष ही सर्वोपरि है। विधानसभा अध्यक्ष की मंशा को कोई चुनौती नहीं दी जा सकती है और जब कर्मचारियों को जीवनपर्यंत सेवा करने पर भी असंतुष्ट होकर विदाई को मजबूर रहने की नौबत हो तो विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम उन्हें संतुष्टि देने अपनी सभी शक्तियों का प्रयोग किए बिना नहीं रहेगा।

कोहिनूर फैसला लेने में संयोग भी विशिष्ट बन गया। विधानसभा परिसर में मां भवानी मंदिर का जीर्णोद्धार के तहत शिवलिंग एवं हनुमान जी की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर ही विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने विधानसभा सचिवालय में विगत 30 वर्षों से नियमितीकरण की प्रतीक्षा में रत 110 कार्यभारित कर्मचारियों को नियमितीकरण का विराट तोहफा दिया है। उनमें से कुछ तो सेवा करते-करते कार्यभारित के रूप में अभिशप्त ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वे कई वर्षों से अपनी पीड़ा विभिन्न फोरम पर व्यक्त कर चुके थे, पर कहीं सुनवाई नहीं हो पाई थी। उनकी वर्षों पुरानी मांग को पूर्ण करते हुए गौतम ने विधानसभा सचिवालय के समस्त कार्यभारित कर्मचारियों को नियमित किए जाने की घोषणा की। इसी तरह विधानसभा सचिवालय में शासन की नीति के अनुसार 18 कंप्यूटर ऑपरेटर विगत 10 एवं 6 वर्षों से संविदा पदों पर कार्यरत हैं।माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने समस्त संविदा कर्मचारियों की भी नियमितीकरण की घोषणा की। विधानसभा अध्यक्ष ने समस्त संविदा कंप्यूटर ऑपरेटर्स  को भी  शासन की नीति अनुसार नियमित कंप्यूटर ऑपरेटर के पदों पर पदस्थ किए जाने की घोषणा की है।

यह फैसला कोहिनूर है...

ऐसा ही एक और फैसला इस कड़ी में और जुड़ने की संभावना बन गई है। अगर सब ठीक-ठाक रहा तो पूर्व विधायकों की पेंशन में भी खासा इजाफा हो सकता है। दरअसल अभी पूर्व बुजुर्ग विधायकों की पेंशन ऊंट के मुंह में जीरे के जैसी ही है। पर अलग-अलग फोरम पर अपनी आवाज उठाने के बाद भी अभी तक इन पूर्व विधायकों को न्याय नहीं मिला है। हो सकता है कि विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के हिस्से में यह बड़ी उपलब्धि भी दर्ज होने की राह निहार रही हो।

खैर अब हम बात कर लेते हैं मध्यप्रदेश में 11 से 15 जुलाई 2023 तक पांच बैठकों वाले इस सत्र के आयोजित होने की। पांच दिवसीय इस मानसून सत्र के विषय में अधिसूचना जारी कर दी गई है। यह 11 जुलाई से शुरू होकर 15 जुलाई तक चलने वाला है। इस विधानसभा सत्र के दौरान सरकार अनुपूरक बजट पेश करेगी। इसके अलावा विभिन्न विधेयकों समेत कई मुद्दों को सदन में रखे जाने की उम्मीद है। इसमें भी विधानसभा अध्यक्ष नवाचार कर चुके हैं शनिवार को भी सत्र आयोजित करने का। सामान्य तौर पर विधानसभा सत्र की बैठकें सोमवार से शुक्रवार तक ही आयोजित होती रहीं हैं।

मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में 11 जुलाई को शुरू होने वाला विधानसभा का मानसून सत्र बेहद अहम और चुनावी मुद्दों को सदन में लहराने वाला माना जा रहा है। राज्य के नीति निर्माण के लिए भी यह सत्र अहम भूमिका निभाएगा। सरकार वर्तमान वित्तीय वर्ष का पहला अनुपूरक बजट पेश करेगी। इसके साथ ही ऑनलाइन जुए पर लगाम लगाने के लिए भी संशोधन विधेयक पेश किया जा सकता है। गौरतलब है कि यह मानसून सत्र 15वीं विधानसभा का आखरी सत्र होने जा रहा है। इसमें हंगामा बरपेगा, क्योंकि विपक्ष अनुसूचित जाति और जनजाति के मुद्दों पर सरकार को घेरेगी, तो कानून-व्यवस्था की बिगड़ती हालत पर सरकार पर हमला करेगी। किसानों के मुद्दे पर भी कोहराम मचाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके बाद सामान्य तौर पर साल 2024 में 16वीं विधानसभा के गठन के बाद ही सत्र बुलाया जा सकेगा। यह सब तो सामान्य है, पर खास यही है कि सत्र से पहले विधानसभा कर्मचारियों के नियमितीकरण का फैसला विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर सभी फैसलों में कोहिनूर है…।