ब्राह्मणों-कथावाचकों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी और धर्ममय हो कथा श्रवण करने वाली महिलाओं को लेकर अनर्गल बयानबाजी की सजा आखिर कृष्ण जन्माष्टमी और कुशाभाऊ ठाकरे जयंती पर पूर्व भाजपा नेता प्रीतम लोधी को मिल ही गई। रानी अवंतीबाई लोधी की जयंती पर कार्यक्रम में सहभागिता करने पहुंचे प्रीतम लोधी इतने मद में आ गए कि उन्हें भान ही नहीं हुआ कि वह क्या बोलते जा रहे हैं। सभी कथावाचकों को एक ही श्रेणी में रखकर अपराधी साबित करते रहे तो महिलाओं को मानो ऐसे अपराधियों के इशारे पर धर्म के नाम पर कठपुतली साबित कर दिया। यही बात प्रदेश में ब्राह्मण समाज के साथ-साथ भाजपा नेतृत्व को भी खली और खलनी भी चाहिए थी। और इस अनुशासनहीनता के खिलाफ भाजपा संगठन ने कठोर फैसला लेकर यह साबित कर दिया है कि अब पार्टी में अनुशासनहीनता कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का यह फैसला निश्चित तौर पर याद किया जाएगा।
जब-जब लोगों की जुबान पर ब्राह्मण वर्ग के खिलाफ प्रीतम लोधी की टिप्पणी आएगी, तब-तब उन्हें यह भी याद आएगा कि संगठन ने तीसरे दिन ही इस अनुशासनहीनता की सजा के बतौर लोधी को प्राथमिक सदस्यता से ही निष्कासित कर दिया था। निश्चित तौर पर यदि संगठन साहस नहीं जुटाता, तो यह कठोर फैसला ले पाना मुमकिन नहीं था। जिस तरह हाल ही में संगठन ने युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आने पर महाकाल मंदिर परिसर में अनुशासनहीनता करने वाले युवा मोर्चा के नगर और ग्रामीण अध्यक्ष सहित 18 सदस्यों को पार्टी से निष्कासित किया। जिस तरह हाल ही में रीवा जिले में जनपद सीईओ के साथ मारपीट और हत्या के प्रयास में मंडल अध्यक्ष मनीष शुक्ला को तत्काल पदच्युत और पार्टी की सदस्यता से निष्कासित किया। और जिस तरह से पार्टी ने एक वर्ग विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कर अनुशासनहीनता करने वाले नेता प्रीतम लोधी को पार्टी से निष्कासित किया। यह सभी फैसले संगठन को अनुशासन में रहकर जनता की सेवा करने का कड़ा संदेश दे रहे हैं, जो कभी भाजपा के पितृ पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे ने दिया होगा।
तो अब पार्टी अध्यक्ष के बतौर विष्णु दत्त शर्मा दे रहे हैं। निश्चित तौर पर जब ठाकरे की जयंती पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा प्रदेश भाजपा कार्यालय दीनदयाल परिसर में कुशाभाऊ की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर माथा टेक रहे होंगे, तब प्रीतम लोधी की अनर्गल बयानबाजी पर अनुशासनहीनता के खिलाफ कार्यवाही करने की बात भी दिमाग में चल रही होगी। और ठाकरे ने दिशा भी दिखाई होगी कि जाओ विष्णु तुम शिवराज संग मंथन कर सही फैसला लो। और फिर बंद कमरे में बैठक और सही फैसला लेकर विष्णु दत्त शर्मा ने मन ही मन कहा होगा कि ठाकरे जी सही फैसला लेकर मैं आपको श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूं। ठाकरे जी भी मन ही मन मुस्कराए होंगे कि संगठन तभी तक आदर्श रहेगा, जब तक सही और कठोर फैसले समय पर होते रहेंगे।
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बात भी बड़ी हास्यास्पद है। मंच से सीना ठोककर इतनी आपत्तिजनक बात कहते जाना और सोच-समझकर ही लगातार बढ़चढकर अनर्गल बयानबाजी करते जाना, मन में पहले से धारणा बनाए बिना तो कदाचित संभव हो ही नहीं सकता। जब बात बढ़ गई, तब भी यह कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश, कि बयान तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। जब संगठन गंभीर हुआ, तब उन्होंने जो माफीनामा पार्टी को दिया, वह भी शायद पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की समझाइश के बाद। और उन्होंने तब खुद कुबूल किया कि उनसे गलती तो हुई है। क्या ऐसी गलती अनजाने में होती है? शायद कभी नहीं…। व्याख्या ऐसी कि सुनने वाला कोई भी इंसान का सिर शर्म से झुक जाए और प्रवचन करने वाला पंडित का चेहरा किसी अपराधी से कम नजर न आए। और कथा सुनने वाली महिलाएं भी अपराधबोध से ग्रस्त हो जाएं। हालांकि दबाव बना तो लोधी को अपनी अनर्गल बयानबाजी का अहसास होने में देर नहीं लगी। तब स्वीकार किया कि बातें उन्होंने ही बोली हैं। शर्मिंदगी जताई और स्वीकार किया कि वह अपराधी हैं। बहन उमा के इस सुझाव के बाद कि जो कहा उसे स्वीकार करो और ब्राह्मण गुरुतुल्य हैं सो क्षमा मांगो, तब लोधी ने माफी भी मांगी ब्राह्मण समाज से। तब भी कहा कि भूल अज्ञानतावश हुई और यह अहसास भी हुआ कि ब्राह्मण समाज ने सदियों से हिंदू संस्कारों को बनाए रखने का काम किया है। उम्मीद भी की, कि ब्राह्मण बड़ा दिल दिखाते हुए माफ कर देंगे। खैर पर हुआ वही, जो होना चाहिए था। कृष्ण भी ब्राह्मणों का आदर करते थे और कुशाभाऊ ठाकरे अनुशासनहीनता के कतई पक्षधर नहीं थे। और इन दोनों की जयंती पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी साबित कर दिया कि वह भी अनुशासनहीनता के पक्षधर नहीं हैं।
हम आपको बता दें कि ब्राह्मणों को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह लोधी ने ग्राम खरेह में अखिल भारतीय लोधी महासभा द्वारा वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी की जयंती पर आयोजित सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कथावाचक ब्राह्मणों पर निशाना साधा था। प्रीतम लोधी के खिलाफ शिवपुरी के रन्नौद थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी। जब बात बढ़ी, तब लोधी ने परंपरागत अंदाज में सफाई दी थी कि मेरे बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया। जबकि वायरल हो रहा वीडियो चिल्ला-चिल्लाकर सच्चाई अभी भी बयां कर रहा है। तब संगठन ने नोटिस जारी कर भाजपा के सीनियर नेता प्रीतम लोधी को प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया। चूंकि यह ब्राह्मणों के साथ-साथ महिला वर्ग पर भी आपत्तिजनक बयानबाजी थी। इसलिए कठोर फैसला लेकर संगठन ने फिर साबित किया है कि अब गलती करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा। यह फैसले आगामी विधानसभा चुनाव 2023 के लिए जहां कार्यकर्ताओं को मर्यादा और अनुशासन में रहने की सीख देंगे, तो जोश में होश न खोने की नसीहत भी देंगे। उम्मीद की जा सकती है कि अनुशासनहीनता की कड़ी में रीवा जिले में जनपद सीईओ पर हत्या के प्रयास से पहले वायरल हुई सीईओ और विधायक की बातचीत के एक पक्ष विधायक की सुध भी संगठन जरूर लेगा…।