यह चुनाव बहुत कुछ तय करेगा…

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यह चुनाव बहुत कुछ तय करेगा…

मध्यप्रदेश विधानसभा का 2023 का यह चुनाव बहुत कुछ तय करने वाला है। जैसा कि बार-बार कहा जा रहा है कि यह मध्यप्रदेश के भविष्य का चुनाव है। तो वाकई यह चुनाव मध्यप्रदेश का भविष्य तय करने वाला है। इन पांच साल के लिए मतदाताओं के मन की बात मत के रूप में जो फैसला सुनाएगी, उससे मतदाताओं की सोच पर भी मुहर लगने वाली है। कहा यह भी जा रहा है कि इतिहास बनाएंगे तो यह भी मध्यप्रदेश का भविष्य ही तय करने वाला है।
तो यह चुनाव मॉडल्स ऑफ डेवलपमेंट पर मुहर लगाने वाला है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बीमारू से विकास की दौड़ में अव्वल बनने को तत्पर मध्यप्रदेश मॉडल ऑफ डेवलपमेंट, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का छिंदवाड़ा मॉडल ऑफ डेवलपमेंट, कृषि मंत्री कमल पटेल का हरदा मॉडल ऑफ डेवलपमेंट, लोक निर्माण विभाग मंत्री गोपाल भार्गव का गढ़ाकोटा-रहली मॉडल ऑफ डेवलपमेंट, नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह का खुरई-सागर मॉडल ऑफ डेवलपमेंट और गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा का दतिया मॉडल ऑफ डेवलपमेंट वगैरह वगैरह। तो यह चुनाव विधायकों के अपनी-अपनी विधानसभा में किए गए विकास कार्यों और धनबल और आत्मबल जैसे अनेकों कारकों पर मुहर लगाने वाला है। इन सभी लिहाज से भी यह मध्यप्रदेश के भविष्य का चुनाव है।
यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण फैसले सुनाने वाला है। यह चुनाव तय करेगा कि भविष्य में कार्यकर्ताओं की भूमिका का क्या स्वरूप होगा? यह चुनाव दलों में पूरा जीवन खपा चुके और निराश होकर दल छोड़कर अपनी किस्मत आजमा रहे कार्यकर्ताओं की महत्वाकांक्षा के फैसले का चुनाव है।यह चुनाव तय करेगा कि दलबदल करने वाले नेता की सफलता के कारक क्या होते हैं? और जनता के मन में वास्तव में नेताओं के ऐसे फैसलों की वास्तव में कितनी अहमियत होती है? यह चुनाव तय करेगा कि संगठन की ताकत ही क्या सर्वाधिक महत्वपूर्ण है या इसमें सरकार के कार्य मिलकर प्रभावी मेल बनाते हैं? यह चुनाव तय करेगा कि विपक्ष के सामूहिक फैसले अहमियत रखते हैं या एक प्रभावी चेहरा पार्टी और पार्टी नेताओं की नैया पार लगाने का दम रखता है? यह चुनाव तय करेगा कि मतदाताओं की नजर में सरकार के कार्यों को परखने की कसौटी क्या है? यह चुनाव तय करेगा कि विपक्ष के वादों को मतदाता कितनी गंभीरता से लेते हैं? यह चुनाव तय करेगा कि लाड़ली बहना अपने भैया और बच्चों के मामा के कमल दल पर कितना प्यार उड़ेलती हैं? यह चुनाव तय करेगा कि मतदाता अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए अलग विंध्य जैसे विषय को कितनी तवज्जो देते हैं? यह चुनाव तय करेगा कि मध्यप्रदेश की राजनीति का भविष्य मतदाताओं को किसके हाथों में सुरक्षित महसूस हो रहा है? वास्तव में यह चुनाव बहुत कुछ तय करने वाला है।
मतदाताओं ने इक्कीसवीं सदी की मध्यप्रदेश की राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से जनादेश वापस लेकर भाजपा के हाथों में सौंपकर की थी। पंद्रह साल तक लगातार भाजपा पर भरोसा जताया था। 2018 में भी सर्वाधिक मत भाजपा को देकर भी संख्या बल में पांच सीटों के मामूली अंतर से कांग्रेस को बढ़त दे दी थी। पंद्रह माह बाद ही हालांकि भाजपा फिर सत्ता में लौट आई थी। यह चुनाव एक बार फिर तय करने जा रहा है कि मतदाताओं की पहली पसंद कौन सा दल है? भाजपा में भी बड़े-बड़े दिग्गज नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, राकेश सिंह, गणेश सिंह केंद्रीय राजनीति का हिस्सा बनकर रह गए थे। अब यह चुनाव ही तय करने वाला है कि मध्यप्रदेश के मतदाताओं ने अब इन चेहरों की प्रदेश वापसी पर क्या फैसला लिया और क्यों लिया? यह चुनाव तय करने वाला है कि मतदाताओं ने किसके कपड़े फाड़े और किसके कपड़े सुरक्षित रहे? यह चुनाव तय करने वाला है कि किसानों, युवाओं के मन में क्या था? यह चुनाव तय करने वाला है कि मध्य प्रदेश के आदिवासी मतदाताओं की खुशी किसमें थी? यह चुनाव तय करेगा कि दलित मतदाताओं के मन में क्या था और मध्यप्रदेश की भविष्य की राजनीति की दिशा क्या ओबीसी वर्ग तय करने वाला है? इक्कीसवीं सदी में मध्यप्रदेश में हुआ विकास मतदाताओं के मन को कितना भाया है, यह चुनाव तय करने वाला है। यह चुनाव तय करने वाला है कि विकास और भविष्य के बीच रिश्ता मजबूत है या दूसरे मुद्दे इस पर भारी हैं।
तो सबसे बड़ी बात यह है कि चुनाव तय करने वाला है कि मोदी के मन में एमपी है लेकिन एमपी के मन में मोदी है या नहीं? अगर मोदी नहीं हैं मन में तो क्या राहुल, प्रियंका ‌की तस्वीर मध्यप्रदेश के मन में बस गई है? तो यह तय है कि यह चुनाव मध्यप्रदेश का भविष्य तय करेगा और मध्यप्रदेश की राजनीति की दिशा भी तय करेगा। यह चुनाव बहुत कुछ तय करेगा और इस चुनाव में वाकई इतिहास बनेगा…।