यह कुंठा और (अ)संतोष से भरा व्यवहार है…

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यह कुंठा और (अ)संतोष से भरा व्यवहार है…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एमपी अजाक्स का प्रांताध्यक्ष बनने के बाद आईएएस अफसर संतोष वर्मा ने 23 नवंबर 2025 को विवादित बयान देकर सामाजिक वैमनस्यता फैलाने का ही काम किया है। आईएएस जैसे पद पर पहुँचने के बाद किसी व्यक्ति से ऐसे बयानों की अपेक्षा नहीं की जा सकती। और ऐसे बयान देने वालों से सामाजिक न्याय की उम्मीद भी नहीं की जा सकती। जिस तरह बयान दिया गया और सफाई देने की कोशिश की गई, वह दोनों ही निंदा और आपत्ति से भरे हुए हैं। इसे कुंठा और असंतोष की स्थिति के रूप में ही देखा जा सकता है। और जिस तरह समाज में विरोध हो रहा है उसकी उपेक्षा कतई नहीं की जा सकती।

आरक्षण के मुद्दे पर अजाक्स के प्रांताध्यक्ष संतोष वर्मा का बयान था कि जब तक मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान न दे, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए। इस बयान का विरोध हुआ तो उन्होंने माफी मांग ली। और सफाई में उन्होंने यह भी कहा कि उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है। पर सफाई के दौरान भी वह अपनी बात पर कायम रहे कि उन्होंने रोटी बेटी का सम्बन्ध होने की बात कही थी। उनका मानना है कि सामाजिक पिछड़ापन दूर हो गया है तो रोटी-बेटी का संबंध जोड़ना चाहिए। रोटी-बेटी का व्यवहार हो गया तो फिर कोई बात ही नहीं रहेगी। यह मानसिक हताशा की ऐसी स्थिति है कि सामाजिक समरसता के नाम पर जैसे सामाजिक अराजकता का माहौल पैदा करने की कोशिश की जा रही हो। 21वीं सदी के भारत में ऐसी मानसिक विकृति की कल्पना कतई नहीं की जा सकती। आज जहाँ सामाजिक स्वतंत्रता और स्त्री पुरुष समानता की बात हो रही है, वहां एक ब्राह्मण की बेटी को लेकर दिया गया यह बयान सिवाय कुंठित और असंतोषी सोच के अलावा

और किसी तरह से नहीं देखा जा सकता। कल्पना करने वाली बात यह है कि ऐसी घृणित सोच वाले अफसर यदि जिलों में जिम्मेदारी और सामाजिक न्याय से भरे पदों पर पदस्थ हो जाएँ तो क्या उनसे किसी तरह के जिम्मेदारी भरे बर्ताव और सामाजिक न्याय की उम्मीद की जा सकती है?

कुण्ठा एक ऐसी मानसिक व भावात्मक स्थिति है जिसमें व्यक्ति अंसतोष का भाव महसूस करता है और नकारात्मक हो जाता है। जब नकारात्मक भाव उसके मन में स्थाई होने लगते हैं तो उसकी ऐसी मानसिक स्थिति को कुंठा कहा जाता है और जिस व्यक्ति में यह कुंठा का भाव उत्पन्न होता है उसे कुंठित व्यक्ति कहा जाता है। इस स्थिति में उसे अपने चारों तरफ का वातावरण नकारात्मक ही दिखाई देने लगता है और उसमें आशावादी सोच और सकारात्मक भाव न के बराबर रह जाते हैं। रोटी बेटी वाला बयान आईएएस अफसर संतोष वर्मा की ऐसी ही स्थिति को परिभाषित कर रहा है। आज जहाँ समाज में बेटियाँ और बेटे अपने मन मुताबिक अन्तर्जातीय विवाह करने को स्वतंत्र हैं। ऐसे समय में संतोष वर्मा का असंतोष और कुंठा से भरा यह बयान उनकी अति नकारात्मकता को ही सामने ला रहा है।

डॉ एसपी गुप्ता द्वारा लिखित किताब उच्चतर शिक्षा मनोविज्ञान में कुंठा उत्पन्न होने के विभिन्न कारण बताए गए हैं। इनमें से एक कारण असंगत मांग व लक्ष्य है। यह कारक किसी व्यक्ति के कुंठित होने का महत्वपूर्ण कारक है क्योंकि आजकल कुंठा का प्रमुख कारक यही है कि व्यक्ति जरूरत से अधिक और उम्मीद के विपरीत महत्वाकांक्षाएं रखता है। उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उस व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के विरोधों का सामना करना पड़ता है और यदि वह उन विरोधों से हार जाता है तो उसमें निराशा का भाव उत्पन्न हो जाता है और उसकी यह स्थिति कुंठा कहलाती है।

इसीलिए संतोष वर्मा ने ब्राह्मणों को लेकर जो बयान दिया है, उस पर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। उन पर गाज गिरे या न गिरे लेकिन वह वैचारिक रूप से समाज के सामने एक्सपोज हो चुके हैं। यह घटिया मानसिकता का ही उदाहरण है कि संतोष वर्मा ने कहा कि ब्राह्मण बेटी दान में दे और वो उनके बेटे के साथ संबंध बनाए, जब तक ऐसा नहीं होता तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए। अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ (अजाक्स) को खुद ही ऐसे व्यक्ति को पद से हटा देना चाहिए। पूरे प्रदेश में उनके खिलाफ आक्रोश की उपेक्षा नहीं की जा सकती…और ऐसी विकृत सोच को 21वीं सदी में कतई स्वीकार भी नहीं किया जा सकता।

 

 

लेखक के बारे में –

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश‌ संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।