मोदी की गारंटी और ब्रांड योगी को ऐसे लगा झटका

990

मोदी की गारंटी और ब्रांड योगी को ऐसे लगा झटका

 वरिष्ठ पत्रकार रामेन्द्र सिन्हा की खास रिपोर्ट

तो क्या यूपी में शहजादों की जोड़ी ने मोदी की गारंटी और ब्रांड योगी पर सेंधमारी कर दी? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव में एनडीए की जीत के बावजूद चुनावी आंकड़ों से सिद्ध हो रहा है कि इंडिया गठबंधन के वादे-इरादे, चुनावी चालें और सपा का पीडीए समीकरण प्रदेश में खूब चले। दूसरी ओर, भाजपा को न राम लहर का सहारा मिला न बुलडोजर कल्चर का। रणनीतिक तौर पर वह प्रदेश में विफल रही। स्थानीय नेताओं-कार्यकर्ताओं की उदासीनता और भीतरघात ने रही सही कसर पूरी कर दी।

400 पार का नारा देने वाली भाजपा अमेठी-रायबरेली सहित प्रदेश की सभी 80 सीटें जीतने का दिवा स्वप्न देख रही थी। लेकिन, नए चेहरों को मौका देने की बात करने वाली भाजपा ने चुनाव पूर्व सर्वे रिपोर्ट को धता बताते हुए 55 पुराने प्रत्याशियों पर दांव लगाया। इनमें से अधिकतर मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रहे थे। ये ऐसे प्रत्याशी थे जो लगातार दूसरी, तीसरी या चौथी बार चुनाव मैदान में थे, या बाहरी थे। कई प्रत्याशियों के क्षेत्रों में गो बैक के नारे तक लगे लेकिन जिम्मेदारों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।

बाबा का बुल्डोजर और मोदी मैजिक को पलीता लगाने में स्थानीय भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के असंतोष ने भी भूमिका निभायी। विधायकों और सांसदों को थाने, आरटीओ, खाद्य-रसद या अन्य महकमों में बात करने की आजादी नहीं तो सुनवाई करेगा कौन? यह संदेश जनता के बीच शुरू से है। तो फिर जनता किसी कमजोर नेता को क्यों चुनेगी। सीधा मुख्यमंत्री तक तो दूरदराज बैठे हुए प्रत्येक पीड़ित आम आदमी की पहुंच इतनी आसान नहीं न, भले ही सीएम योगी आदित्यनाथ जनता दरबार के जरिये लोगों की सुनवाई करते हों। चर्चा आम है कि नौकरशाही-नेताओं पर योगी के लगाम का असर ये है कि भ्रष्टाचार में लिप्त लोग डर दिखा कर वसूली करते हैं। मोदी मैजिक के सहारे चुनाव जीतने का सपना पाले अनेक प्रत्याशियों को प्रचार करते क्षेत्र की जनता ने देखा तक नहीं। पार्टी कार्यकर्ताओं की उदासीनता का आलम ये रहा कि मतदाता पर्ची तक घर पहुंचाने की सुध किसी ने नहीं ली।

दूसरी ओर, कांग्रेस का 400 रु. मजदूरी, गरीब महिलाओं को 8,500 रूपया महीना अर्थात् सालाना 1 लाख, एमएसपी कानून और जाति जनगणना का वादा ने युवाओं, महिलाओं, मजदूरों और किसानों को प्रभावित किया। कांग्रेस ने कहा कि उसका घोषणा पत्र वर्क, वेल्थ और वेलफेयर पर आधारित है। यहां वर्क के मायने रोजगार, वेल्थ के मायने आमदनी और वेलफेयर के मायने सरकारी स्कीम्स के फायदे दिलाना है।

कांग्रेस और सपा ने जाति जनगणना के बहाने हिंदू वोटों में सेंधमारी करके प्रदेश में राम मंदिर लहर की हवा निकाल दी तो सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का पीडीए वाला नारा भी चल गया। पिछड़ा, दलित और मुसलमान समीकरण सपा के पक्ष में गया। यादव और मुसलमान तो भाजपा के विरुद्ध काफी हद तक एकजुट रहे और फलस्वरूप इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों को इसका पूरा लाभ मिला। अग्निवीर योजना के खिलाफ इंडिया गठबंधन का नैरेटिव भी काम कर गया।

पिछले साल हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक विधानसभा चुनावों में हार के बाद लोगों ने ब्रांड मोदी की प्रासंगिकता पर संदेह जताना शुरू कर दिया था। लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने 2023 के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनावों में वापसी की। 2024 में ब्रांड मोदी ने एक बार फिर दक्षिण, पूर्वोत्तर और ओड़िसा तक में झंडा तो गाड़ दिया लेकिन उत्तर प्रदेश ने एनडीए के तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाने की खुशियों पर वज्रपात कर दिया है, इसमें कोई शक नहीं। आखिर, है तो प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का डबल इंजन वाला प्रदेश!