
यह ‘आशीष’ और सैकड़ों शहीदों के ‘आशीष’ का प्रतिफल है…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
अभी एक पखवाड़ा ही बीता है जब बालाघाट में एंटी-नक्सल सर्च ऑपरेशन पर निकली मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की संयुक्त टीम का नेतृत्व करते हुए इंस्पेक्टर आशीष शर्मा शहीद हुए थे। मध्य प्रदेश हॉक फोर्स में उन्हें ‘लायन’ कहकर पुकारा जाता था। और मध्य प्रदेश का यह शेर इस अंतिम मुठभेड़ के पहले कई बार इनामी नक्सलियों को अपना शिकार बना चुका था। 7 दिसंबर 2025 को जब दस नक्सली बालाघाट में आत्मसमर्पण कर रहे होंगे तब आशीष की आत्मा को संतुष्टि मिल रही होगी। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अगर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नक्सली खात्मे के संकल्प को पूरा करने का दावा कर पा रहे हैं तो वह आशिष और आशिष जैसे ही सैकड़ों शहीदों के बलिदान का
आशीष और प्रतिफल ही है। निश्चित तौर से इसमें सरकारों की दृढ़ इच्छा शक्ति को नकारा नहीं जा सकता लेकिन सुरक्षा बलों का संघर्ष, साहस, जज्बा, त्याग और बलिदान कभी भी संसाधनों का मोहताज नहीं रहा। हमेशा ही नक्सली आतंक का मुकाबला करने और शहादत देने में आशीष जैसे शहीदों के कदम कभी नहीं डिगे। सरकारें आती-जाती रहीं लेकिन सुरक्षा बल हमेशा अपनी वर्दी की शान बढ़ाते रहे। और इसीलिए आज शहीदों के उन बलिदानों की नींव पर ही नक्सल आतंक से मुक्त मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और भारत की कल्पना साकार हो रही है। और यह मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की संवेदनशीलता ही है कि वह दस नक्सलियों के आत्मसमर्पण के अवसर पर शहीद आशीष को याद करना नहीं भूले।
तभी हम आज इस दृश्य के साक्षी बन पा रहे हैं कि नक्सलवाद उन्मूलन की दिशा में बड़ी सफलता मिली है। 7 दिसंबर 2025 को बालाघाट में 10 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें 4 महिला नक्सली भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उन्हें संविधान की प्रति प्रदान कर मुख्यधारा में जोड़ा। नक्सलियों ने मुख्यमंत्री के समक्ष अपने हथियार भी समर्पित किए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप जनवरी 2026 तक मध्य प्रदेश को नक्सल मुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। किसी भी व्यक्ति को हथियार रखने की अनुमति नहीं है। मुख्यमंत्री ने नक्सलियों से सरकार की पुनर्वास नीति अपनाने का आह्वान किया। और यह आश्वासन भी दिया कि सरकार उनके जीवन की सुरक्षा, विकास सुनिश्चित करने और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अधिकारियों और जवानों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि नक्सल विरोधी अभियान को लगातार सुदृढ़ और मजबूत किया जा रहा है। क्षेत्र में 15 नए अस्थायी कैंप और विशेष सहायता स्टाफ के 882 पद स्वीकृत किए गए हैं। सतत निगरानी, सघन जांच और ऑपरेशन से क्षेत्र में नक्सलियों का दायरा तेजी से कम हुआ है। पुनर्वास के लिए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पिछले साल 46 एकल सुविधा केंद्र खोले गए। इन केंद्रों के माध्यम से रोजगार, वन अधिकार और अन्य आवश्यक सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने शहीद आशीष शर्मा की वीरता को नमन करते हुए कहा कि कर्तव्य पथ पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 328 हॉक फोर्स सहित पुलिस अधिकारियों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया है।
बालाघाट पिछले 35 सालों से नक्सलवाद का बोझ झेलता आ रहा है। हर बार उम्मीद की किरण जगी, लेकिन ‘लाल आतंक’ ने हमेशा किसी न किसी परिवार को उजाड़ दिया। लेकिन अब इस आतंक को मिटाने की कवायद तेज है। केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद खत्म करने की डेडलाइन तय की है और इसी मिशन में जवान दिन-रात अपनी जान हथेली पर रखकर ऑपरेशन चला रहे हैं। इसी अभियान के दौरान 19 नवंबर 2025 को मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की संयुक्त टीम एक बड़े एंटी-नक्सल सर्च ऑपरेशन पर निकली थी। जानकारी मिली थी कि दर्जनभर नक्सली घने जंगल में छिपे हुए हैं। तीन टीमें बनाई गईं थी और इनमें से एक टीम का नेतृत्व हॉक फोर्स के इंस्पेक्टर आशीष शर्मा कर रहे थे। पूरी टीम जानती थी कि खतरा बड़ा है, लेकिन आशीष सबसे आगे खड़े थे। उन्होंने आखिरी सांस तक लड़ते हुए अपने साथियों और मातृभूमि की रक्षा की। जीते-जी आशीष शर्मा “हॉक फोर्स के शेर” थे और अब वे भारत मां के अमर सपूत बन चुके हैं। और आशीष शर्मा जैसे सैकड़ों शेर शहीदों का बलिदान ही है जो आज मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के नेतृत्व में मध्य प्रदेश नक्सलमुक्त होने जा रहा है…।
लेखक के बारे में –
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।





