यही तो विजय मंत्र है…

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यही तो विजय मंत्र है…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भोपाल आगमन और मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से देश के दस लाख बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधन भारतीय जनता पार्टी के लिए एक यादगार आयोजन था। पांच राज्यों में चुनाव है, जिसका विधिवत आगाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका और मिस्र की विजय भरी यात्रा से वापसी के बाद मध्यप्रदेश की धरती से देश के दस लाख बूथ कार्यकर्ताओं संग संवाद कर किया। उन्होंने मध्यप्रदेश की खुलकर सराहना भी की। यह कोई संयोग नहीं था, यह सोची समझी रणनीति के तहत और मध्यप्रदेश की भाजपा की मजबूत स्थिति में महत्वपूर्ण सहभागिता ही है… जिससे भाजपा कभी उऋण नहीं हो सकती। यह साफ संकेत था कि मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। मंच पर चार कुर्सी पर चार महत्वपूर्ण शख्सियत मौजूद थीं। इनमें खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा। विष्णु दत्त शर्मा से शुरू हुआ भाषण का सिलसिला, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और जगत प्रकाश नड्डा से होते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बूथ कार्यकर्ताओं संग संवाद पर खत्म हो गया। सवालों में भी वह सारे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल थे, जो लोकसभा चुनाव 2024 के संग विधानसभा चुनावों को समेटे हुए थे। सवालों के बहाने तीन तलाक की चर्चा भी खुलकर हो गई और दुनिया के मुस्लिम देशों के उदाहरण संग यह साबित भी हो गया कि कहीं भी तीन तलाक स्वीकार नहीं है। यह भारत में कांग्रेस के तुष्टीकरण के एजेंडा संग मुस्लिमों द्वारा पर्सनल लॉ के दुरुपयोग का प्रमाण ही था, जिसे केंद्र की भाजपा सरकार और मोदी ने खत्म कर दिया। तुष्टीकरण बनाम संतुष्टीकरण आखिर भाजपा का विजय मंत्र ही तो है। और इसके साथ ही यह भी साफ हो गया कि सुप्रीम कोर्ट की मंशा के अनुरूप भारत अब समान नागरिक संहिता यानि कॉमन सिविल कोड लागू करने की तैयारी कर चुका है। और जो दल वहां पटना में इस मंशा से गले लगकर ठहाके लगा रहे हैं कि 2024 में तो हम दिल्ली को फतह कर लेंगे, उनके लिए अकेले कॉमन सिविल कोड ही काफी है। आगामी पांच साल के लिए अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए उन्हें अपने ठिकानों को तलाशने में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए। कॉमन सिविल कोड तो है ही और जो मोदी ने मंच से नहीं कहा, वह राम मंदिर का निर्माण तो विपक्षी मंसूबों पर पहले से ही पानी फेर रहा है। और फिर सबसे पहले राष्ट्र की बात का अहसास भी करा ही दिया, आखिर वही बात मोदी जो फील कराना चाहते हैं। कि दल से पहले देश है। देश के लिए ही कमल खिला है और देश के करोड़ों मतदाताओं की मंशा पर खिला भी रहेगा, भरोसा मोदी ने यही जताया। विजय के जो मंत्र दस लाख बूथ कार्यकर्ताओं को दिए वह यही तो थे कि भाजपा के लिए सबसे महत्वपूर्ण खुद कार्यकर्ता है जो कड़ी धूप, तेज बारिश और कड़ाकेदार ठंड में भी कड़ी मेहनत से कभी मुंह नहीं मोड़ता है। भाजपा कार्यकर्ताओं का एक ही लक्ष्य है कि कमल खिला रहे। बूथ कार्यकर्ताओं की भूमिका समाज की सेवा कर सबसे बड़ा समाजसेवक बनने की है, जो बूथवासी की हर समस्या का समाधान बनकर यह साबित कर सके कि भाजपा और कमल ही देश और समाज की सबसे बड़ी हितैषी है। और मध्यप्रदेश की धरती से देश के और मध्यप्रदेश के मतदाताओं को यही संदेश था कि मध्यप्रदेश में भी भाजपा की सरकार चुनो और देश में भी भाजपा की सरकार को बनाए रखो। बूथ कार्यकर्ताओं को यह जिम्मेदारी देना मोदी की दूरदर्शिता और राजनैतिक परिपक्वता ही है कि हर गांव को विकसित बनाना है।
अब बात करें मध्यप्रदेश की। तो अपनी तरह के अनूठे कार्यक्रम “मेरा बूथ, सबसे मजबूत” के लिए मध्यप्रदेश ही क्यों चुना? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी ईमानदारी से स्वीकार किया कि मध्यप्रदेश की धरती की भाजपा को दुनिया का सबसे बड़ा राजनैतिक दल बनाने में बहुत बड़ी भूमिका है। इस कार्यक्रम का हिस्सा बनते हुए मुझे हृदय से आनंद आ रहा है, गौरव हो रहा है। जो उन्होंने नहीं कहा वह यह है कि भाजपा को इस मुकाम तक लाने में संगठनात्मक कौशल क्षमता देने में मध्यप्रदेश के कार्यकर्ताओं का ही बड़ा योगदान है। कुशाभाऊ ठाकरे जिन्होंने मध्यप्रदेश और देश में भाजपा संगठन को संजीवनी दी है। तो भाजपा को देश में सत्ता के शिखर तक पहुंचाने में मध्यप्रदेश का ही लाल अटल बिहारी वाजपेयी था, जिन्होंने केंद्र में गठबंधन की ही सही भाजपा नेतृत्व की सरकार बनाकर भाजपा के करोड़ों कार्यकर्ताओं में वह जोश और जुनून पैदा किया कि आज नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा, शिवराज और वीडी शर्मा‌ जैसे हजारों वह चेहरे दिख रहे हैं जो अपने दल का नेतृत्व कर विपक्षी दलों को चुनौती देने में सक्षम हैं। बात वंदे भारत ट्रेन की करें तो मोदी ने कहा कि “मैं मध्यप्रदेश, झारखंड, बिहार, कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र की जनता को इस आधुनिक वंदे भारत ट्रेन की कनेक्टिविटी के लिए बधाई देता हूँ। इसमें मैं एमपी को विशेष बधाई दूंगा क्योंकि एकसाथ दो ट्रेन मेरे भाई-बहनों को मिली है।” यह दो ट्रेन रानी कमलापति से जबलपुर और भोपाल से इंदौर इसलिए महत्वपूर्ण हैं कि चुनावी साल में मोदी ने मध्यप्रदेश में महाकौशल और मालवा को राजधानी भोपाल से जोड़ दिया है। तो इससे पहले ही वह रानी कमलापति से देश की राजधानी दिल्ली तक देकर प्रदेश की राजधानी को मध्य भारत ग्वालियर-चंबल संभाग से जोड़ा था। तब भी मोदी भोपाल आए थे। अब बात करें फिर विजयी मंत्र की, तो मंच पर मोदी-शिवराज केमिस्ट्री बेहतर दिखी, तो नड्डा-वीडी शर्मा केमिस्ट्री भी परफेक्ट थी। यह दोनों सफल केमिस्ट्री मध्यप्रदेश के बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं को यह संदेश देने में सक्षम थीं कि मध्यप्रदेश का यह चुनाव तो शिवराज-वीडी शर्मा केमिस्ट्री से ही संपन्न होगा। इस आयोजन में दूसरा विजयी मंत्र था कि मंच के सामने केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया एक ही सोफे पर साथ-साथ बैठे थे। संदेश यही था कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अलग-अलग मत होने पर भी पारस्परिक सामंजस्य स्थापित कर पार्टी की सत्ता में वापसी की राह पर साथ-साथ चलना पड़ेगा। मुरलीधर राव और कैलाश विजयवर्गीय हों, नरोत्तम मिश्रा और जयभान पवैया हों या भूपेंद्र सिंह-राजेन्द्र शुक्ला हों, मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भूमिकाओं का निर्वहन पूरी ईमानदारी से होगा, तभी संगठन की मेहनत डिजिटल बूथ मजबूत बनकर सत्ता में वापसी के सारथी बन पाएंगे। बूथ कार्यकर्ताओं में उत्साह भरना विजयी मंत्र ही तो है। मोदी ने कहा कि “साथियों, आप सभी अपने बूथ में वर्षभर बहुत व्यस्त रहते हैं। केंद्र सरकार के 9 वर्ष पूरे होने पर देशभर में जो कार्यक्रम हो रहे हैं, उसमें आप जो मेहनत करते हैं, उसकी जानकारी लगातार मुझ तक पहुँच रही है। मैं जब अमेरिका और मिस्र में था, तब भी आपके प्रयासों की जानकारी मुझे मिलती थी, इसलिए वहाँ से आने के बाद सबसे पहले आपसे मिलना ज्यादा सुखद और आनंददायक है। भाजपा की सबसे बड़ी ताकत आप सभी कार्यकर्ता हैं। मैं नड्डा जी का, भारतीय जनता पार्टी केन्द्रीय नेतृत्व, राज्यों के नेतृत्व, मध्यप्रदेश भाजपा नेतृत्व का हृदय से अभिनंदन करता हूँ इस कार्यक्रम की रचना के लिए। आज मैं करीब 10 लाख बूथ कार्यकर्ताओं को वर्चुअली संबोधित कर रहा हूँ। शायद किसी भी राजनीतिक दल के इतिहास में ग्रासरूट लेवल पर ऑर्गनाइज्ड वे में इतना बड़ा कार्यक्रम कभी नहीं हुआ होगा। सिर्फ और सिर्फ बूथ का नेतृत्व करने वालों का सम्मेलन इतिहास में पहली बार हो रहा होगा। आप सिर्फ बीजेपी ही नहीं, आप सिर्फ दल ही नहीं, देश के संकल्पों की सिद्धि के भी मजबूत सिपाही हैं। भाजपा के हर कार्यकर्ता के लिए दल से बड़ा देश है। जहाँ दल से बड़ा देश हो, ऐसे कर्मठ कार्यकर्ताओं से बात करने का मेरे लिए भी मंगल अवसर है।”
इतना सुनकर तो बूथ कार्यकर्ता ऊर्जा से भरकर “मोदी-मोदी” चिल्लाने लगे। कार्यकर्ताओं का यही उत्साह विजय की राह पर ले जाएगा। तो वापसी में मोदी बिना किसी पूर्व कार्यक्रम के ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने साथ बिठाकर दिल्ली ले गए। यह भी संदेश था कि यहां किसी की उपेक्षा और किसी के आगे बढ़ाने जैसा कुछ नहीं है। पार्टी की नजर सब पर है। जैसा कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश के मन में मोदी और मोदी के मन में मध्यप्रदेश है… उसकी तर्ज पर ही मोदी ने 27 जून को भी मध्यप्रदेश में देश के दस लाख बूथ कार्यकर्ताओं से संवाद में दिल खोलकर समय दिया और अब फिर एक जुलाई को मध्यप्रदेश आना ही है सो विंध्य से मध्यप्रदेश को साधेंगे…।