

यह नैतिक पतन और मानसिक दुर्दशा असहनीय है…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
भारत विश्व गुरु बनकर पूरी दुनिया को राह दिखाता रहा है और एक बार फिर भारत के विश्व गुरु बनने को लेकर हम भारतवासी आश्वस्त हैं। पर किस तरह के नैतिक पतन और मानसिक दुर्दशा के हम शिकार हो रहे हैं, वह विचलित करने वाला और असहनीय सा हो चला है। देश में हाल ही में ऐसे चिंतनीय और विकृति भरे दृश्य सामने आए हैं जिनसे मन पीड़ा से भर जाता है। चाहे किसी लड़की के साथ स्वच्छंद व्यवहार करने पर की गई अमर्यादित न्यायिक टिप्पणी हो। चाहे न्यायाधीश के घर मिली कथित करोड़ों की नगदी पर पूरे देश में हो रही अनैतिक आचरण की चर्चा हो। चाहे गठबंधन करने में माहिर मुख्यमंत्री बनने का रिकार्ड बना चुके कुमार का राष्ट्रगान के समय ही अमर्यादित व्यवहार हो। यह सारी घटनाएं मन को विचलित करने और विश्वास पर कुठाराघात करने वाली हैं।
हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि पीड़िता के प्राइवेट पार्ट्स को छूना और पायजामी की डोरी तोड़ने को रेप या रेप की कोशिश के मामले में नहीं गिना जा सकता है। उनकी इस टिप्पणी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। पूरा देश सोशल मीडिया के जरिए इस बारे में सुप्रीम कोर्ट से एक्शन की भी मांग कर रहा है। हालांकि, कोर्ट ने ये कहा कि ये मामला गंभीर यौन हमले के तहत आता है। लोग पूछ रहे हैं कि क्या इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फैसला यौन अपराधियों को छूट देने और पीड़ितों के साथ अन्याय करने का रास्ता नहीं खोलता?
Earlier Also an FIR Was Lodged Against Justice Verma : जस्टिस यशवंत वर्मा पर पहले भी दर्ज हुई FIR और CBI जांच भी हुई!
दूसरा दृश्य देखिए कि बिहार में पहली बार सेपक टकरा विश्वकप 2025 का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में 20 देशों के 300 से अधिक खिलाड़ी और प्रशिक्षक हिस्सा ले रहे हैं। यह प्रतियोगिता 20 से 25 मार्च तक पाटलिपुत्र खेल परिसर में आयोजित की गई है। इसके शुभारंभ अवसर पर राष्ट्रगान के दौरान दो-दो बार मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की हरकतों ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया है। पहली बार राष्ट्रगान गए जाने की घोषणा के बीच वह अचानक मंच से उतर गए और प्रतिभागियों से मिलने पहुंच गए। जैसे-तैसे राष्ट्रगान को रुकवाया गया। फिर दूसरी बार शुरू हुए राष्ट्रगान में वह प्रधान सचिव दीपक कुमार की तरफ मुड़कर मजाकिया मूड में नजर आए। राष्ट्रगान का अनुशासन ही भूल गए। क्या ऐसे व्यक्ति को संवैधानिक पद पर रहने का नैतिक अधिकार है, जो दिमागी तौर पर दिवालिया जैसी स्थिति में पहुंच चुका है?
तो दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से 15 करोड़ कैश मिलने के मामले में कार्रवाई शुरू हो गई है। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने 21 मार्च को इंटरनल इन्क्वायरी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को सौंपी थी। शनिवार शाम यानि 22 मार्च 2025 को चीफ जस्टिस ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की इंटरनल जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई है। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट चीफ जस्टिस से जस्टिस वर्मा को कोई भी काम न सौंपने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी एक बयान में यह भी कहा गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट चीफ जस्टिस की तरफ से दी गई रिपोर्ट, जस्टिस वर्मा का जवाब समेत सभी डॉक्यूमेंट्स वेबसाइट पर अपलोड किए जाएंगे। 21 मार्च को कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली के बंगले पर 14 मार्च की रात आग लगने के बाद कैश बरामद हुआ था। घटना के दौरान जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे। हालांकि इसके पहले इस घटना को अफवाह बताने की कोशिश भी हुई थी। पर अब खुलकर चर्चा हो रही है कि ऐसे जस्टिस क्या देश पर कलंक नहीं हैं? या वास्तव में यह देश की न्यायिक प्रक्रिया का असल चेहरा हैं?
मुझे तो लग रहा है कि लड़की के प्राइवेट पार्ट को छूना और नाड़ा तोड़ना अटेम्प्ट टू रेप में नहीं आता…क्या ऐसा परिभाषित कर न्याय की व्याख्या करना उचित है? दूसरा वह बिहारी बाबू, जो पूरे राज्य के मुखिया हैं और मानसिक संतुलन खोने की बार-बार पुष्टि करते थक नहीं रहे हैं। यहां तक कि अब तो राष्ट्रगान में भी उन्हें मजाक सूझ रहा है। अब बेटे की लांचिंग भर उनका अंतिम ध्येय मालूम होता है। क्या इनका कृत्य राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में मानकर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए। और फिर वह न्यायाधीश महोदय, जिनके यहां आग बुझाने गए दमकलकर्मियों को करोड़ों रुपए रखे मिले। करोड़ों आबादी इसे भ्रष्ट आचरण मानकर पूरी न्यायिक बिरादरी को कटघरे में खड़ा कर रही है। क्या ऐसे कथित भ्रष्ट आचरण वाले जज साहब को चांद पर भेजकर वहां की न्याय संहिता तैयार करने का काम नहीं सौंपा जाना चाहिए? या इन सभी को इंटरनेशनल स्पेस सेंटर भिजवाना चाहिए। खैर जो भी हो पर है तो सब अजूबा ही। ऐसा अजूबा जो नैतिक पतन और मानसिक दुर्दशा की गवाही दे रहा है और यह बता रहा है कि बिना गीता, बाइबल और कुरान पर हाथ रखे यही सच है कि ऐसे नैतिक पतन और मानसिक दुर्दशा से लबालब लोगों से देश को बचाना बहुत जरूरी है…वरना ऐसे कथित भारतवासी पूरे भारत को दिवालिया करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे…।