यह “नो एक्सक्यूज” संकल्प बड़ा प्यारा है…
महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध हर संवेदनशील और संस्कारित नागरिक को बेचैन कर देते हैं। और बड़े ही दु:ख की बात है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इनमें साल दर साल बढ़ोतरी हो रही है। यह कड़वा सच तब का है, जब समाज सभ्य होने का दावा कर रहा है। 21वीं सदी चल रही है और महिला अपराध की स्थिति अब भी फूल फल रही है। महिला-पुरुष समानता की कोशिश जारी है, पर असमानता कूद-कूद कर ठिलठिला रही है। विश्व स्तर पर, अनुमानित 736 मिलियन महिलाएँ यानि लगभग तीन में से एक को अपने जीवन में कम से कम एक बार शारीरिक या यौन अंतरंग साथी हिंसा, गैर-साथी यौन हिंसा, या दोनों का शिकार होना पड़ रहा है। इस बार महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस “यूनाइट” अभियान (25 नवंबर – 10 दिसंबर) के शुभारंभ का प्रतीक होगा। इन 16 दिनों की सक्रियता की एक पहल, जो अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस 10 दिसंबर तक चलेगी।
आइए हम सब यह 2023 अभियान महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए निवेश करें। यह दिन नागरिकों से यह दिखाने का आह्वान करेगा कि वे महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने की कितनी परवाह करते हैं और दुनिया भर की सरकारों से यह साझा करने का आह्वान करेंगे कि वे लिंग आधारित हिंसा की रोकथाम में कैसे निवेश कर रहे हैं। महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए तत्काल निवेश का आह्वान करने वालों से #नो एक्सक्यूज नारे के साथ वैश्विक आंदोलन में शामिल होने की अपील की गई है। तो आएं और बढ़-चढकर अभियान के प्रस्तावों – डेटा, रोकथाम, निवेश – की गहराई से जांच करें और महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के लिए #नो एक्सक्यूज नारे के साथ वैश्विक आंदोलन में शामिल हों।
दरअसल महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा दुनिया में सबसे प्रचलित और व्यापक मानवाधिकार उल्लंघनों में से एक है। यह संकट कार्यस्थल और ऑनलाइन स्थानों सहित विभिन्न सेटिंग्स में तीव्र हो गया है और महामारी के बाद के प्रभावों, संघर्षों और जलवायु परिवर्तन के कारण और भी गंभीर हो गया है। समाधान मजबूत प्रतिक्रियाओं में निहित है, जिसमें रोकथाम में निवेश भी शामिल है। हालाँकि, चिंताजनक बात यह है कि महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा का मुकाबला करने के लिए राष्ट्र कितना प्रतिबद्ध हैं, इसका डेटा स्पष्ट रूप से दुर्लभ है। उदाहरण के लिए, सरकारी सहायता का केवल 5% महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा से निपटने पर केंद्रित है, और 0.2% से भी कम इसकी रोकथाम के लिए निर्देशित है। हमें महिला संगठनों में अधिक निवेश, बेहतर कानून, अपराधियों पर मुकदमा चलाने, बचे लोगों के लिए अधिक सेवाओं और कानून प्रवर्तन अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
आज इस बात का खास तौर पर जिक्र इसलिए क्योंकि पूरे विश्व में महिलाओं के प्रति हिंसा, शोषण एवं उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं के उन्मूलन हेतु संयुक्त राष्ट्र के द्वारा प्रतिवर्ष 25 नवंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस’ मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के द्वारा महिला हिंसा उन्मूलन कार्यक्रम के तहत वर्ष 2030 तक के लिए ‘यूनाइट अभियान’ चलाया जा रहा है। यह भी जान लेते हैं कि यह दिवस महिला उन्मूलन को क्यों समर्पित किया गया है। दरअसल 25 नवंबर 1960 को डोमिनिकन शासक ट्रुजिलो की तानाशाही का विरोध करने वाली तीन बहनों, पैट्रिया मर्सिडीज मिराबैल, मारिया अर्जेंटीना मिनेर्वा मिराबैल तथा एंटोनिया मारिया टेरेसा मिराबैल की ट्रुजिलो द्वारा नृशंसतम हत्या करवा दी गई थी।1981 से महिला अधिकारों के समर्थकों के द्वारा इन तीनों बहनों की स्मृति के रूप में इस दिवस को मनाने की शुरुआत की गई। जिसे बाद में वर्ष 1999 में संयुक्त राष्ट्र के द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में स्थापित किया गया।
भारत सरकार ने महिलाओं को कानून निर्माण में हिस्सेदार और ज्यादा सशक्त बनाने के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था करने की पहल की है। हमारे संविधान में महिलाओं को सशक्त करने के पर्याप्त प्रावधान हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कानून भी मौजूद हैं। मध्यप्रदेश में भी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बेहतर प्रयास हुए हैं। बस अब अगर हमें जरूरत है तो बस एक ही संकल्प लेने की और वह यह कि महिलाओं के खिलाफ अपराध में लिप्त किसी भी अपराधी के प्रति हमारे मन में “नो एक्सक्यूज, नो एक्सक्यूज और नो एक्सक्यूज” का दृढ़ निश्चय। यह “नो एक्सक्यूज” संकल्प वास्तव में बड़ा प्यारा है…।