
यह ‘शाही’ हंगामा तो होना ही था…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
मध्य प्रदेश की सोलहवीं विधानसभा के दूसरे मानसून सत्र के पांचवे दिन विपक्षी सदस्यों ने सदन में ‘शाही’ हंगामा किया। मध्यप्रदेश विधानसभा में 1 अगस्त 2025 को उस वक्त बवाल मच गया जब मंत्री विजय शाह सदन में पहुंचे। उन्हें देखते ही कांग्रेसी विधायक तय रणनीति के मुताबिक शाह के इस्तीफा की मांग को लेकर नारेबाजी और हंगामा करने लगे। और इस्तीफा मांगने लगे। हालांकि कांग्रेस विधायक ज्यों-ज्यों खिसियाते गए, मंत्री विजय शाह त्यों-त्यों मुस्कुराते गए। यह भी कम आश्चर्य नहीं कि मंत्री शाह क्रोध पर विजय पाते हुए पूरे समय शांत बने रहे। इधर कांग्रेस विधायक आसंदी के पास पहुंच गए। विजय शाह के इस्तीफे और उन्हें सदन से बाहर करने की मांग करते हुए धरना देकर बैठ गए। भारी हंगामा होने लगा तो कार्यवाही को प्रश्नकाल तक के लिए स्थगित कर दिया गया। कांग्रेस ने विजय शाह को सदन से बाहर निकालने की भी मांग की। कांग्रेसी विधायकों के विरोध और हंगामे के कारण सदन को स्थगित करना पड़ा। मंत्री विजय शाह भी बाद में बाहर निकल गए। उन्होंने मीडिया से भी बात नहीं की और पत्रकारों के सवालों पर जवाब दिए बिना मुस्कुराते हुए निकल गए।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने साफ शब्दों में कहा कि विजय शाह का जब तक इस्तीफा नहीं होगा, हम उन्हें छोड़ेंगे नहीं। उन्होंने हमारी बहन, हमारी सेना का अपमान किया है जो कि किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सिंघार ने कहा कि एक मंत्री पर इतने गंभीर आरोप हैं। फिर भी वह कैबिनेट बैठकों और सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले रहे हैं। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था का अपमान है। उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कहा कि मंत्री विजय शाह ने देश की बेटी का अपमान किया, हम उनका इस्तीफा लेकर रहेंगे। तो मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने तंज कसा कि जो कांग्रेस पाकिस्तान की बात करती है उसे इस्तीफा मांगने का कोई अधिकार नहीं है।
विपक्ष के विधायकों ने ‘शर्म करो, इस्तीफा दो’ के नारे लगाए। हंगामे के चलते कार्यवाही एक बार 10 मिनट, दूसरी बार आधे घंटे के लिए स्थगित करनी पड़ी। उसके बाद भी जब विपक्ष ने अपना रवैया नहीं बदला और हंगामा जारी रखा तब विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने सदन की कार्यवाही 4 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।
कांग्रेस ने साफ किया है कि जब तक विजय शाह इस्तीफा नहीं देते, सदन को सुचारू रूप से नहीं चलने दिया जाएगा। इस हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही बाधित हुई और शोर शराबी के बीच सदन चलता रहा।
देखा जाए तो मानसून सत्र में पहली बार शुक्रवार यानी 1 अगस्त 2025 को
सदन की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई। भाजपा के मजबूत, कद्दावर आदिवासी नेता विजय शाह शायद पहली बार बैकफुट पर नजर आ रहे हैं। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट उन्हें चैन की सांस नहीं लेने दे रहा है तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष ने उन्हें बेहाल कर दिया है। अब तक तो कर्नल सोफिया कुरैशी ने भी मंत्री विजय शाह मामले से ध्यान हटा लिया होगा। पर विपक्ष है कि शाह पर हमलावर है। हालांकि विपक्ष का यह हंगामा आश्चर्य में डालने वाला नहीं है, जितनी हैरत में विजय शाह की चुप्पी डाल रही है। यह तो सभी को मालूम था की मानसून सत्र में ‘शाही हंगामा’ तो होगा ही… क्योंकि कांग्रेस के लिए यह मुद्दा पहले से ही खास था। और शायद 10 विधेयक अगर लंबित न होते तो हो सकता है कि मानसून सत्र के पांचवें दिन विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो जाती…।





