इस बार चुनाव लड़ने में कम रुचि, दूसरे चरण में 5 लोकसभा सीटों पर कम हो गए उम्मीदवार

88

इस बार चुनाव लड़ने में कम रुचि, दूसरे चरण में 5 लोकसभा सीटों पर कम हो गए उम्मीदवार

भोपाल: इस बार लोकसभा चुनाव लड़कर जीतने वालों की रुचि घट गई है। प्रदेश में पहले और दूसरे चरण के लोकसभा चुनाव हो चुके है।

दूसरे चरण में 5 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की संख्या कम हो गई है। केवल नर्मदापुरम ऐसी सीट है जहां चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों की संख्या बढ़ी है।

इस बार चुनावी खर्च की सीमा चुनाव आयोग ने बढ़ाकर 95 लाख रुपए कर दी है। ऐसे में करोड़पति उम्मीदवार तो मोटी रकम खर्च कर मतदाताओं को लुभाने में सफल हो जाते है लेकिन छोटे दल और निर्दलीय मैदान में उतरने वाले उतनी राशि खर्च नहीं कर पाते। इस बार चुनाव में इंडिया गठबंधन मैदान में है इसलिए सपा ने कई सीटों पर अपने प्रत्याशी नहीं उतारे है। इस बार निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या भी कम है। खजुराहो में सपा की उम्मीदवार मीरा यादव नामांकन पत्र अधूरा रहने के कारण चुनाव मैदान से बाहर हो गई और गठबंधन के कारण कांग्रेस ने यहां उम्मीदवार उतारा ही नहीं। इस तरह की गड़बड़ियों के कारण भी उम्मीदवार घट गए है। दूसरे चरण की छह लोकसभा सीटों की बात करें तो टीकमगढ़ सीट पर उम्मीदवारों की संख्या सबसे कम हुई है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में जहां चौदह उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे वहीं इस बार मात्र सात उम्मीदवार ही चुनाव मैदान में है।

रीवा में भी जहां पिछले चुनाव में 23 उम्म्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे वहीं इस बार रीवा जैसे क्षेत्र में उम्मीदवारों की संख्या आश्चर्यजनक रुप से घटकर 14 रह गई है। खजुराहो में पिछले चुनाव की अपेक्षा तीन उम्मीदवार घटे है। यहां इस बार चौदह उम्मीदवार मैदान में है जबकि पिछले बार सत्रह उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था।

सतना में 2019 के चुनाव में 21 उम्मीदवार मैदान में थे वहीं इस बार केवल 19 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे है। दमोह लोकसभा सीट पर पिछले चुनाव की अपेक्षा केवल एक उम्मीदवार घटा है यहां इस बार चौदह उम्मीदवार किस्मत आजमाने मैदान में है।

केवल एक मात्र नर्मदापुरम लोकसभा सीट ऐसी है जहां इस बार उम्मीदवारों की संख्या बढ़ीं है। यहां इस बार एक उम्मीदवार बढ़ा है और बारह उम्मीदवार मैदान में है।

देखना यह है कि चुनावी ऊंट किस करवट बैठता है और किसकी किस्मत खुलती है और कौन चुनावी मैदान में हार का सामना करेगा। चार जून को यह साफ हो जाएगा कि कौन जमानत भी नहीं बचा पाया और किसने इस बार बढ़त लेकर मतदाताओं का भरोसा बढ़ा

या है।