आज का विचार : एक किसान ने वक्त की नजाकत को समझते हुए किया फैसला, दोनों सुंदरिया खुशी-खुशी वापस चली गयीं

समझ-बूझ को पद-प्रतिष्ठा, ऊंच-नीच से नहीं नापा जा सकता

963

      आज का विचार : एक किसान ने वक्त की नजाकत को समझते हुए किया फैसला, दोनों सुंदरिया खुशी-खुशी वापस चली गयीं

एक विवाद को सुलझाते हुए एक बुजुर्ग ने यह किस्सा सुनाया जिसका सार यह है कि हमें वक्त और परिस्थिति की नजाकत को समझते हुए कोई भी फैसला सुनना चाहिए ,सत्य को भी कहने का एक तरीका होना चाहिए जिससे सत्य कड़वा होने पर भी कटूता से बचा भी रहे और निर्णय भी  पञ्च के मुहं से परमेश्वर जैसा हो .मित्रों ने पूछ लिया कैसे उदाहण देकर समझाओ  भाई ?तब किसान ने अपना अनुभव था उसे   किस्से जैसे सुनाया ,तो आप भी सुनिए और फैसला लीजिए .

एक बार धन की देवी लक्ष्मी और गरीबी की देवी दरिद्र देवी में झगड़ा हो गया। लक्ष्मी जी का कहना था कि वह ज्यादा सुंदर है और लोग उन्हें ज्यादा चाहते हैं। दरिद्र देवी का कहना था कि वह ज्यादा सुंदर है।

दोनों के बीच हो रही बहस का कोई हल नहीं निकल रहा था, इसलिए दोनों देवियों ने फैसला किया कि धरती पर चलकर जो पहला आदमी नजर आये उसी से झगड़े का फैसला करवाया जाये। दोनों धरती पर आयीं। धरती पर उन्हें एक किसान दिखायी दिया।

bhartiya kisan par nibandh in hindi

आज का विचार : एक अंधे व्यक्ति ने दिया यह उजियारा “औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय” 

दोनों किसान के पास अपनी समस्या लेकर पहुंची और उससे कहा कि जब तक वह समस्या का हल नहीं निकालता, तब तक उसे कहीं नहीं जाने दिया जायेगा। बेचारा किसान बड़ी मुश्किल में फंस गया। किसान जानता था कि उसने अपना फैसला लक्ष्मी के पक्ष में सुनाया तो दरिद्र देवी नाराज होकर उसका पीछा नहीं छोड़ेगी और अगर उसने दरिद्र देवी को ज्यादा सुंदर बताया तो लक्ष्मी जी उससे रूठकर उसे छोड़ जायेंगी।

किसान समझ गया कि दोनों देवियों में से किसी को भी नाराज नहीं किया जा सकता। उसने कुछ देर सोचकर दोनों को जवाब दिया-“देवियों! असल में तुम दोनों ही इतनी सुंदर हो कि मैं किसी एक के पक्ष में फैसला नहीं दे सकता।

दरिद्र देवी जब आप किसी के घर से बाहर जाती हो तब आपसे ज्यादा सुंदर और कोई नजर नहीं आता और लक्ष्मी जब आप किसी के घर आती हो, तब आपसे ज्यादा सुंदर और कोई नहीं होता।” दोनों देवियां अपनी प्रशंसा सुनकर प्रसन्न हो गयीं और खुशी-खुशी वापस चली गयीं। दोनों को जाते देख किसान भी खुशी खुशी अपने घर चला गया।सत्य को भी कहने का एक तरीका होना चाहिए.

आपको भी उस किसान की तरह ही समझ-बूझ का परिचय देना चाहिए। आपने कई बार स्वयं अनुभव किया होगा कि किसी कार्यक्षेत्र में दो लोगों में झगड़ा हो जाता है, लेकिन उनसे भी जूनियर समझ-बूझ का परिचय देते हुए सुलह-मशविरा करा देता है। इसलिए समझ-बूझ को पद-प्रतिष्ठा, ऊंच-नीच से नहीं नापा जा सकता। एक सफाई कर्मी भी किसी अधिकारी से ज्यादा समझदार हो सकता है। लेकिन ऐसे ही लोग कुछ कर दिखाने में कामयाब होते हैं।इंटरनेट से साभार

आज का विचार : 61 वर्षीय रिटायर्ड अधिकारी द्वारा सभी वरिष्ठ नागरिकों को उत्तम संदेश ,जरुर पढ़िए शायद कोई एक आदत बदल जाए !