राजधानी भोपाल के हजारों बच्चे खेल सुविधाओं से वंचित, स्कूलों में न खेल मैदान और नहीं है खेल शिक्षक
वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट
भोपाल। प्रदेश की राजधानी भोपाल में विशेष मामला संज्ञान में आया है।
यूं तो राज्य सरकार ने 2008 से प्रदेश में खेल नीति लागू की हुई है और इसके अंतर्गत प्रायः सभी स्कूलों में खेल पीरियड अनिवार्य किया गया है।
परन्तु भोपाल के ही 135 शासकीय स्कूलों में अध्ययन करने वाले हजारों विद्यार्थी खेलों की गतिविधियों से वंचित हैं। अधिकांश स्कूलों में खेल मैदान ही नहीं है और स्पोर्ट्स टीचर्स भी नहीं हैं । तीस स्कूलों में खेल शिक्षक (PTI) पद मंजूर हैं उनके 22 पद अरसे से रिक्त पड़े हैं।
आंकड़ों के मुताबिक भोपाल के कोई 40 हजार स्कूली विद्यार्थियों से प्रतिवर्ष लगभग 48 लाख रुपये क्रीड़ा शुल्क वसूला जा रहा है। जबकि स्कूली स्टूडेंट्स को खेल सुविधाएं ही नहीं मिल पा रही है।
विषय भविष्य की पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण मानते हुए मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने मामले में संज्ञान लिया है। बुधवार की रिपोर्ट के अनुसार आयोग ने प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन, स्कूल शिक्षा विभाग, मंत्रालय भोपाल, संचालक स्कूल शिक्षा संचालनालय भोपाल को जांच कर वस्तुस्थिति से अवगत कराने और विद्यालयों में खेल नीति अनुसार अपेक्षित सुविधाएं और स्पोर्ट्स टीचर्स नियुक्तियों करायें।
मानव अधिकार आयोग ने यह निर्देश भी दिया है कि जबतक अपेक्षित व्यवस्था नहीं होती है तबतक क्रीड़ा शुल्क स्थगित रखा जाए। आयोग ने एक माह में जवाब तलब किया है।