चुनाव के पहले तैयार होगी धमकी और ब्लैकमेलिंग वाले क्षेत्रों, लोगों की रिपोर्ट

चुनाव आयोग ने कलेक्टरों को भेजी कार्ययोजना, सूची तैयार करने और एक्शन लेने के लिए कहा

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चुनाव के पहले तैयार होगी धमकी और ब्लैकमेलिंग वाले क्षेत्रों, लोगों की रिपोर्ट

भोपाल: प्रदेश में आगामी चुनाव से पहले सभी कलेक्टरों को ऐसे गांवों, क्षेत्रों व वार्डों की सूची तैयार करनी है जहां के वोटर को धमकाने या ब्लैकमेल (भयादोहन) करने का काम किया जा सकता है। इसके साथ ही धमकाने व ब्लैकमेल करने वालों की सूची तैयार कर उनके विरुद्ध कार्यवाही के लिए भी कहा गया है।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने सभी जिलों के कलेक्टरों से कहा है कि चुनाव आयोग के मैन्युअल के मुताबिक वल्नरेबिल मैपिंग का कार्य निर्वाचन के 6 महीने पहले से प्रारम्भ किया जाना है। इसलिए कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारी अपने क्षेत्र की कार्य योजना तैयार करें, जिसमें अधिकतम जानकारी अपडेट हो।

आयोग ने कहा है कि हर वार्ड और ग्राम पंचायत के साथ मतदान केंद्र वार ऐसे लोगों की सूची तैयार कराई जाए जो वोटर को धमकाने या ब्लैकमेलिंग करने का काम कर सकते हैं। आयोग ने ऐसे मामले में अति संवेदनशील मतदाताओं की ग्राम, उपग्राम, क्षेत्रवार की पहचान करने को कहा है जो ब्लैकमेलिंग या धमकी के शिकार हो सकते हैं। ऐसी अति संवेदनशीलता उत्पन्न करने वाले व्यक्तियों की पहचान करने उनके विरुद्ध कार्यवाही करना भी जिला निर्वाचन अधिकारी की जिम्मेदारी है। निवारक कार्यवाही करना शामिल है।

आयोग ने कहा है कि जिला निर्वाचन अधिकारी और रिटर्निंग अधिकारी द्वारा सेक्टर आॅफिसर को दिए जाने के लिए कहा गया है। यह सेक्टर अधिकारी द्वारा अति संवेदनशीलता की जांच एवं निर्धारण करने के लिए मोहल्लों, पॉकेटों, मतदाता वर्गों की सूची बनाने लिए मतदान केन्द्रवार विजिट करेंगे और सूची तैयार करेंगे। इसमें सेक्टर अधिकारी, सेक्टर मजिस्ट्रेट, प्रधान आरक्षक, सहायक पुलिस सब इंस्पेक्टर द्वारा प्रमाण पत्र तैयार करने में सहयोग किया जाएगा।

इस तरह की एक्टिविटीज के लिए आयोग की ओर से कलेक्टरों को समय-सारणी एवं कार्य योजना भी तैयार कर भेजी गई है और समय पर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।

इसलिए अनिवार्य की गई है व्यवस्था
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 171 (ब) के अनुसार निर्वाचनों में अनुचित प्रभाव डालना एक निर्वाचन अपराध है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 123 (2) में निर्वाचन अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में प्रत्यक्ष या परोक्ष हस्तक्षेप को भ्रष्ट आचरण के रूप में परिभाषित किया गया है।