15 दिन पहले निलंबित हुए थे तीन खंड शिक्षा अधिकारी लंबी खींचतान के बाद बीआरसी नियुक्त, बीईओ अभी भी होल्ड पर

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15 दिन पहले निलंबित हुए थे तीन खंड शिक्षा अधिकारी लंबी खींचतान के बाद बीआरसी नियुक्त, बीईओ अभी भी होल्ड पर

राजेश जयंत

Alirajpur जनजातीय बहुल अलीराजपुर जिले के उदयगढ़ खंड शिक्षा कार्यालय में वित्तीय अनियमितताओं के मामले में इंदौर संभागायुक्त दीपक सिंह ने 4 अगस्त को दो पूर्व खंड शिक्षा अधिकारी और एक वर्तमान अधिकारी को निलंबित कर दिया था। रामसिंह सोलंकी यहां प्रभारी BEO होने के साथ ही BRC भी बने हुए थे। उनके निलंबन से दो पद एक साथ खाली हो गए थे। लंबी खींचतान के बाद उच्च माध्यमिक शिक्षक लोंगसिंह कनेस को यहां BRC नियुक्त किया गया है जबकि यहां BEO बनाए गए पंचम सिंह चौहान ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया, किसी दबाव में उन्होंने यहां आने से इनकार कर दिया।

 

खंड शिक्षा अधिकारी के निलंबन का आदेश सार्वजनिक नहीं होने से रामसिंह सोलंकी ने बीईओ पद का निलंबन बताते हुए बीआरसी बने रहने की कवायत की। हालांकि वह सफल नहीं हुए। उनके निलंबन से यहां बीईओ के साथ ही बीआरसी की कुर्सी भी खाली हो गई थी।

 

हाल ही के तीन खंड शिक्षा अधिकारी को मिलाकर 5 वर्षों में यहां 10 खंड शिक्षा अधिकारी वित्तीय अनियमितता के मामले में निलंबित हो चुके हैं, बावजूद यहां खंड शिक्षा अधिकारी व खंड स्त्रोत समन्वयक का पद रिक्त होते ही जोड़-तोड़ शुरू हो गई। राजनीतिक रसूख और आर्थिक समन्वय के बलबूते कतिपय अपात्र- अयोग्य कर्मचारियों ने इन पदों पर बैठने के लिए भरसक प्रयास किये।

यहां तक कि जिन योग्य और पात्र अभ्यर्थियों ने अपनी सहमति दी थी, उन्हें भी दबाव बनाकर पुनः असहमति लिखने के लिए मजबूर किया। कुल मिलाकर योग्य लोगों को पद की प्रतिस्पर्धा से बाहर कर आयोग्य ने इन पदों पर बैठने के लिए सारे पैंतरे अपनाए। अधिकारी भी असमंजस में थे क्योंकि अयोग्य की दावेदारी का साथ कुछ राजनीतिक लोग दे रहे थे।

कैबिनेट मंत्री नागरसिंह चौहान एवं कलेक्टर डॉ अभय अरविंद बेडेकर के संज्ञान में मामला आने के बाद उन्होंने सहायक आयुक्त जनजातिया कार्य विभाग एवं जिला परियोजना समन्वयक को कड़े निर्देश दिए कि नियुक्ति नियमानुसार योग्यता एवं मापदंड के आधार पर ही हो।

इसके बाद अधिकारियों ने उच्च माध्यमिक शिक्षक लोंगसिंह कनेस (शाउमावि उदयगढ़) को उदयगढ़ का नया खंड स्त्रोत समन्वयक नियुक्त किया।

 

“खंड शिक्षा अधिकारी का पद अभी भी रिक्त”

4 अगस्त को खंड शिक्षा अधिकारी के निलंबन के बाद 11 अगस्त को कलेक्टर डॉ अभय अरविंद बेडेकर ने उमावि बड़ी (अलीराजपुर) के उच्च माध्यमिक शिक्षक पंचम सिंह चौहान को खंड शिक्षा अधिकारी बनाया था। सूत्रों के मुताबिक इस पद पर बैठने के लिए लालायित अपात्र लोगों ने अंदरूनी राजनीतिक दबाव बनाकर उन्हें यहां आने के पहले ही असहमति देने के लिए मजबूर कर दिया। कलेक्टर के आदेश के बाद भी उन्होंने यहां पदभार ग्रहण नहीं किया।

इनके नहीं आने पर उत्कृष्ट उमावि उदयगढ़ के प्राचार्य से इस पद के लिए सहमति लिखवाई गई। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार इन पर दबाव बनाया गया‌। जिस पर उन्होंने साफ कर दिया कि इस पद का कार्य भार लेने के लिए ना तो वह कुछ देंगे और ना ही उस पद पर बैठकर कुछ लेंगे।

हालांकि इन सब बातों के बीच अब तक यहां खंड शिक्षा अधिकारी के पद पर किसी का भी आदेश नहीं हो पाया है।

 

“यह था मामला”

वर्तमान के खंड शिक्षा अधिकारी रामसिंह सोलंकी सहित यहां पूर्व में पदस्थ रहे गिरधर ठाकरे (वर्तमान में प्राचार्य, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लक्ष्मणी, अलीराजपुर) और भारत नामदेव (वर्तमान में प्राचार्य, कन्या शिक्षा परिसर, निसरपुर धार) पर आरोप था कि इन्होंने उदयगढ़ में खंड शिक्षा अधिकारी रहते हुए डीडीओ कोड 4912506050 में कपटपूर्ण भुगतान एवं वित्तीय गड़बड़ी की ।

संदिग्ध भुगतान में लापरवाही और वित्तीय अनियमितता की प्रथम दृष्टया संलिप्तता पाए जाने पर कलेक्टर अलीराजपुर डॉ. अभय अरविंद बेडेकर ने इन तीनों लोक सेवकों के खिलाफ मध्यप्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम 1966 के अंतर्गत अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए कमिश्नर को प्रतिवेदन भेजा था।

प्रतिवेदन की समीक्षा के बाद संभागायुक्त दीपक सिंह ने मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9 के तहत 4 अगस्त को इन्हें निलंबित कर दिया था।

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इस गड़बड़ी के खुलासे के बाद कलेक्टर को कोष एवं लेखा विभाग ने पत्र लिखकर 2018-19 से अभी तक के सभी लेनदेन की पड़ताल कर घोटाले की पुष्टि पर सख्त विभागीय कार्रवाई करने के साथ ही FIR के आदेश दिए थे।

कलेक्टर ने जांच दल गठित कर 7 दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। उक्त 7 दिन की समयावधि पूरी हो चुकी है किंतु जांच रिपोर्ट अभी तक लंबित है। मामले में तीन खंड शिक्षा अधिकारी निलंबित किए गए जबकि संबंधित लेखा शाखा के बाबू यथावत बने हुए हैं।

इस पूरे मामले ने शिक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था में गहरे संकट और राजनीतिक दबाव की तस्वीर उजागर की है, जिससे जिले में सुधार की जरूरत अब और भी बढ़ गई है।