
पौने 2 करोड़ के गबन के मामले में 3 वेंडर गिरफ्तार
बड़वानी: बड़वानी जिले के पाटी जनपद पंचायत के अंतर्गत मनरेगा के अंतर्गत हुए कार्यों में पौने दो करोड़ रुपए के गबन के बहुचर्चित मामले में पुलिस में तीन वेंडरों को गिरफ्तार किया है।
पाटी के थाना प्रभारी रामदास यादव ने बताया कि पुलिस ने बोकराटा के जावेद खान व रवि वानखेडे और पाटी के अली असगर को गिरफ्तार किया है। उन्हें कल न्यायालय के समक्ष पेश किया गया, जहां से उनके तीन दिन का पुलिस रिमांड स्वीकृत हुआ है। उन्होंने पूछताछ के आधार पर बताया कि इस मामले में कुछ और वेंडर शामिल हो सकते हैं।
उन्हें सोमवार को बड़वानी लाया जाएगा और उनके बैंक अकाउंट की राशि जब्त की जाएगी।
इस मामले को लेकर इंदौर के आईजी (ग्रमीण) अनुराग ने सख्ती के निर्देश दिए थे।
अधिकृत जानकारी के अनुसार जनसुनवाई में शिकायत को लेकर जांच दाल का गठन किया गया था। जिसमें पाटी विकासखंड के सेमलेट, लिम्बी, कंडरा, वेरवाडा , ओसाडा और आंवली ग्राम पंचायतों के निर्माण कार्यों की जांच की गई थी। जांच दल के प्रतिवेदन में अधिकांश कार्य गुणवत्ता हीन अथवा राशि निकालने के बाद भी निर्माण स्थल पर नहीं पाए गए। ग्राम पंचायतो के द्वारा पोर्टल पर बिना जीएसटी/ टिन नंबर के अस्पष्ट एवं कोरे बिल अपलोड कर राशि का आहरण किया गया । और सरपंच , सचिवों और सहायक सचिवों द्वारा वेंडर के खाते में शासकीय राशि का भुगतान कर दिया गया।
इस पर जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी काजल जावला के निर्देश पर संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंचों ,सचिवों व सहायक सचिवों और संबंधित वेंडर के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के अंतर्गत दो प्रकरण दर्ज किये गये थे। इसके बाद सरपंचों सचिवों, सहायक सचिवों ने प्राथमिकी के विरुद्ध कोर्ट से स्टे प्राप्त किया कि जांच पूर्ण होने तक उनके विरुद्ध बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाए।

जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी काजल जावला ने पूछे जाने पर बताया कि पाटी थाने द्वारा इस मामले में अतिरिक्त जानकारी चाही गई थी, जो पूर्व में उपलब्ध करा दी गई थी। इसके अलावा करीब 400 पन्ने के दस्तावेज भी मय प्रमाण उपलब्ध कराए गए हैं ।उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत में बिना निर्माण किये शासकीय राशि व्यय किए जाने की प्रवृत्ति को रोके जाने के लिए यह आवश्यक था कि सभी वेंडर गिरफ्तार किए जाएं।
उन्होंने बताया कि उक्त नौ वेंडरों के विरुद्ध आयुक्त वाणिज्य कर वृत्त इंदौर को भी पत्र लिखा गया था। इसमें उल्लेखित किया गया है कि उक्त वेंडरों द्वारा बिना जीएसटी के अस्पष्ट, फर्जी एवं एक ही सामग्री के अलग-अलग दर से बिल प्रस्तुत कर ग्राम पंचायत से भुगतान प्राप्त किया गया है। इसलिये ,उनके विरुद्ध भी तत्काल मध्य प्रदेश जीएसटी अधिनियम की सुसंगत धाराओं के अंतर्गत कार्रवाई की जाए। हालांकि, उन्होंने बताया कि इस मामले में भी कोई उत्तर प्राप्त नहीं हुआ है।
उधर पंचायत सचिवों ने तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत नीलेश नाग पर जांच में कोई कार्रवाई नहीं करने के एवज में रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। जिसके चलते उन्हें कलेक्ट्रेट में अटैच कर दिया गया था। इसके बाद लोकायुक्त ने भी नाग के विरुद्ध प्रकरण भी दर्ज किया है।





