टाइगर राज में बढ़ता टाइगर कुनबा…

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टाइगर राज में बढ़ता टाइगर कुनबा…

कौशल किशोर चतुर्वेदी की खास रिपोर्ट

करीब साढ़े चार साल पहले दिसंबर 2018 का वह समय जब मुख्यमंत्री निवास छोड़ने से पहले शिवराज सिंह चौहान ने अपने क्षेत्र बुधनी के आत्मीयजनों को भोजन पर बुलाया था। एक बहन भावुक होकर रोने लगी तो शिवराज भी आवेश में आकर बोले थे कि बहन चिंता करने की कोई बात नहीं है- “टाइगर अभी जिंदा है, कोई तकलीफ नहीं होने दूंगा”। शिवराज सिंह ने कहा था कि यह टाइगर लंबी छलांग के लिए पीछे हटा है। ऊंची छलांग से पहले दो कदम पीछे हटना पड़ता है। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘कार्यकर्ता फिक्र ना करें, टाइगर अभी जिंदा है।’ चौहान बोल ही रहे थे, तभी पीछे से आवाज आई कि पांच साल बाद फिर लौटेंगे? तो चौहान बोले ‘हो सकता है पांच भी पूरे न लगें।’ और हुआ भी वही, पंद्रह माह बाद मध्यप्रदेश में फिर टाइगर राज लौटा। 23 मार्च 2020 को शिवराज चौथी बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने। और तब कांग्रेस छोड़कर समर्थक विधायकों संग भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया भी यह कहते नजर आए कि ‘टाइगर अभी जिंदा है’। और अब मध्यप्रदेश में ‘टाइगर राज’ में जंगल के राजा ‘टाइगर का कुनबा’ बढ़कर गगन को छू रहा है।
टाइगर का यह बढ़ता कुनबा मध्यप्रदेश की साढ़े आठ करोड़ से अधिक आबादी की छाती 56 इंच चौड़ी कर रहा है। बाघ भी इतने संवेदनशील और समझदार कि शहरी क्षेत्र के आसपास भ्रमण करते हुए भी आबादी को कोई नुकसान पहुंचाए बिना अपनी आबादी बढ़ाकर फील गुड करा रहे हैं। बीच में एक समय ऐसा आया था कि 2014 की गणना में कर्नाटक ने मामूली अंतर से मध्यप्रदेश से ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा छीनकर मध्यप्रदेश को मायूस होने पर मजबूर कर दिया था। पर अगली गणना में 2018 में ही मध्यप्रदेश ने सम्मानजनक अंतर से कर्नाटक से ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा छीनकर अपने नाम कर लिया था। और अब 2022 की गणना के जारी आंकड़ों में यह अंतर इतना ज्यादा हो गया है कि कर्नाटक आगे दस साल तक भी बराबरी करने का विचार अपने मन में नहीं ला सकता है। इसने साबित कर दिया है कि जब ‘टाइगर राज’ हो तो ‘टाइगर का कुनबा’ भी दिल खोलकर बढ़ता है। अब टाइगर का बढ़ता कुनबा चिल्ला-चिल्लाकर कह रहा है कि मध्यप्रदेश में ‘टाइगर जिंदा है…।’
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी यह कहते फूले नहीं समा रहे कि अत्यंत हर्ष की बात है कि हमारे प्रदेशवासियों के सहयोग और वन विभाग के अथक प्रयासों के फलस्वरूप, चार वर्षों में हमारे प्रदेश में जंगल के राजा बाघों की संख्या, ‘526 से बढ़कर 785 हो गई है।’ मैं पूरे प्रदेश की जनता को, वन एवं वन्यप्राणियों के संरक्षण में उनके सहयोग के लिए हृदय से धन्यवाद और बधाई देता हूँ। आइये हम सब मिलकर अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर भावी पीढ़ियों के लिए प्रकृति संरक्षण का पुनः संकल्प लें।
तो अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर जारी हुए आंकड़ों में मध्यप्रदेश 785 टाइगर्स के साथ देश में नंबर एक पर अपना कब्जा बरकरार रखे है। यह टाइगर स्टेट के रूप में मध्यप्रदेशवासियों की खुशी को बरकरार रखे है। भारत सरकार ने बाघों की गणना के आंकड़े जारी कर बताया है कि पिछली बार मध्यप्रदेश में 526 टाइगर थे, इस बार की गणना में बाघों की संख्या 785 हो गई है। प्रदेश में 259 टाइगर बढ़ गए हैं।
देश में बाघों की संख्या में दूसरे स्थान पर कर्नाटक (563) और तीसरे नंबर पर उत्तराखंड (560) है। तो पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा टाइगर भारत में हैं और भारत में सबसे ज्यादा टाइगर ह्रदय प्रदेश यानि मध्यप्रदेश में हैं। मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा बाघों की संख्या बांधवगढ़ नेशनल पार्क (165) और कान्हा किसली नेशनल पार्क (129) हैं। पूरी दुनिया के देशों में सबसे ज्यादा 3167 टाइगर भारत में हैं और दुनिया में दूसरे नंबर पर 540 बाघों वाला देश रूस है। यानि मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या दुनिया के दूसरे सभी देशों से ज्यादा है।
दुनियाभर के बाघों की 70 फीसदी से ज्यादा आबादी भारत में है और भारत के बाघों की करीब 25 फीसदी आबादी मध्यप्रदेश को अपना घर बनाकर फल फूल रही है। मध्य प्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और कान्हा नेशनल पार्क ने मैनेजमेंट इफेक्टिवनेस इवैल्यूशन में देश के टॉप 5 टाइगर रिजर्व में जगह बनाई है। तो यह तो रही दिल खोलकर खुश होकर हवा में उछलने की बात, लेकिन प्रदेश में बाघों की मौत प्रदेशवासियों के दिल को दु:खी भी करती है।
चाहे आपसी संघर्ष हो, क्षेत्रीय वर्चस्व की लड़ाई हो या फिर शिकारियों की कुचेष्टा हो, पर मध्यप्रदेश में बाघों की आकस्मिक मौत भी मध्यप्रदेशवासियों को चिंता में डालती है। मध्यप्रदेश सरकार ने विधानसभा में अपने लिखित जवाब में माना है कि 2022 में 10 बाघों का शिकार हुआ है। वहीं अलग-अलग कारणों ने मप्र के टाइगर रिजर्व में 2020-2022 में 72 बाघों की मौत हुई है। 2022 में 34 बाघों की मौत हुई, जिसमें सबसे ज्यादा 9 बांधवगढ़ में, पेंच में 5 और कान्हा में 4 बाघों की मौत हुई है। तो अब उम्मीद यही है कि बाघों की बेवजह मौतों पर पूरी तरह विराम लगे और बाघों की संख्या जल्द से जल्द तीन अंकों से चार अंकों में पहुंचे। साथ ही टाइगर रिजर्व की संख्या भी इकाई से बढ़कर दहाई का आंकड़ा छुए। म
ध्यप्रदेश में जंगल का दायरा कम न हो बल्कि प्रकृति के संरक्षण संग इसमें भी बढ़ोतरी होती रहे। ताकि बाघों को जंगल की जगह आबादी वाले शहरों में भ्रमण न करना पड़े। प्रदेशवासियों के साथ जंगल महकमे को इस बड़ी उपलब्धि के लिए बहुत-बहुत बधाई। ‘टाइगर राज’ में ‘टाइगर का कुनबा’ भी बढ़े और ‘जंगल का रकबा’ भी बढ़े। और मध्यप्रदेश का ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा लगातार बरकरार रहे…।