महू में बाघ: जंगल कटते जा रहे हैं, आदिवासी अतिक्रमण पर उतारू हैं,क्या जवाब देते वन मंत्री..इसलिए नहीं आए महू….
दिनेश सोलंकी की खास रिपोर्ट
मालवा निमाड़ के सबसे बड़े जंगल क्षेत्र महू, मानपुर और चोरल में बाघ और तेंदुए ही अब सुरक्षित नहीं है। इंसान वहां घुसकर वृक्ष काट रहे हैं, सरकार अतिक्रमणों को वैध कर सरकारी पट्टे देकर अतिक्रमण को प्रोत्साहित कर रही है…ऐसे में बाघ और तेंदुए खाने पीने की तलाश में जन आबादी के नजदीक पहुंच रहे हैं तो जानवरों के हमले बढ़ाना भी स्वाभाविक है। इन तमाम बातों का जवाब मध्य प्रदेश सरकार के वन मंत्री विजय शाह के पास में है जो लंबे समय से वन मंत्री बनते आएं हैं और काफी अनुभवी है। पिछले 20-25 दिनों से महू में बाघ और तेंदुओं के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में आने के उठ रहे शोर के बावजूद जब मीडिया ने मामले को उठाया तो वन मंत्री दौड़े-दौड़े इंदौर तक तो आ गए लेकिन उनकी हिम्मत महू हो जाने की नहीं हुई। नवरतन बाग में ही डीएफओ, रेंजर आदि से चर्चा करने के बाद और पत्रकारों से जवाबों से पीछा छुड़ाते हुए वह वापस भोपाल चले गए। हां इतना जरूर बोल गए की जंगल तो कट रहे हैं। क्यों कट रहे हैं इसका जवाब उनके पास नहीं था और क्यों जंगल में अतिक्रमण को सरकारी पट्टा दिया जा रहा है, इसका भी जवाब उनके पास नहीं था।
सवाल उठ रहा है आखिर पीछा कब तक छुड़ाओगे? क्योंकि जो बीज बो दिया है उसने अब फल देना चालू कर दिया है और अब परिणाम लगातार सामने आ रहे हैं। इसमें की घटनाएं तो अब आए दिन आएंगी।
बताया जाता है कि निमाड़ का जंगल लगातार कटता जा रहा है जहां पर वन विभाग का बिल्कुल भी ध्यान नहीं है। वहीं खंडवा, इंदौर, इछावर रोड पर हाईवे का निर्माण कार्य चल रहा है। ऐसे में जंगली जानवर घबराकर महू वन क्षेत्र में पनाह ले रहे हैं लेकिन उन्हें वहां भी सांस नहीं मिल रही है। क्योंकि प्रतिबंधित वन क्षेत्र में एक बाघ द्वारा चरवाहे की जान लेने के बाद कांग्रेस ने इसे हाथों हाथ मुद्दा बना लिया है। अब वह सवाल उठा रही है कि महू के जंगल क्यों कट रहे हैं और यहां अतिक्रमण क्यों हो रहे हैं, इसका जवाबदार कौन है। हो सकता है वन मंत्री इन्हीं बातों से कतराकर महू नहीं आए और अब ज्यादा शोर मचेगा तो हो सकता है कुछ पर स्थानांतरण की गाज गिर जाए।
उधर कांग्रेस के संजय मामा ने ग्रामीणों के बीच जंगल से सुंदरलाल का शव उठवाकर वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगा दिया है की यह जिम्मेदारी उनकी थी जो ग्रामीणों को शव लाद कर लाना पड़ा। ग्रामीण जन बहुत आक्रोश में हैं। पत्रकार भी तमाम सवाल जवाब करना चाहते थे वन मंत्री से, लेकिन वन मंत्री महू ही नहीं आए।
उधर,लगातार महू आ रही विधायक उषा ठाकुर ने भी कन्नी काट ली। सांसद छतर सिंह दरबार को तो महू से कोई लेना-देना ही नहीं होता है वह ईद के चांद की तरह आते हैं और गंभीर समस्याओं पर ध्यान दिलाने की बात पर आश्वासन की दो-चार पुड़िया देकर चले जाते हैं।