टाइगर अभी जिंदा है …
इकबाल सिंह बैंस को मुख्य सचिव पद पर छह माह का एक्सटेंशन मिलने से अब यह साफ हो गया है कि ‘मामा’ को लेकर चल रही कयासबाजियों पर पूर्ण विराम लगा दिया जाए। 2023 तक मुख्यमंत्री पद पर ‘मामा’ ही रहेंगे और उन्हीं के नेतृत्व में मध्यप्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ा जाएगा। इकबाल सिंह बैंस के बेमौसम एक्सटेंशन का सीधा संकेत है कि जो लोग हर तीसरे महीने अपना चेहरा सीएम हाउस की तरफ करके संघ के सूत्रों और केंद्रीय नेतृत्व के नाम पर सौ फीसदी भरोसे से जुमलेबाजी करते थे कि बस इसी महीने नया चेहरा आ जाएगा। वह अब अपना मुंह नीचा कर अपने काम में लगे रहें। अभी तो यह ट्रेलर है और जल्दी ही संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में पूरी पिक्चर देखने को मिल सकती है। कांग्रेस भी अब सारे टेंशन त्याग कर पूरा मन बना लें कि ‘मामा’ को सामने रखकर ही तैयारी करनी पड़ेगी। पिछला चुनाव भी नाथ और शिवराज को आमने-सामने देख रहा था और यह चुनाव भी नाथ और शिवराज को रण में आमने-सामने देखेगा। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो, क्योंकि राजनीति और क्रिकेट में कुछ भी संभव है। जीती हुई बाजी भी कभी-कभी हाथ से फिसलती हुई नजर आती है, तो तय दिखने वाली हार भी जीत में बदल जाती है। खैर फिलहाल दिमाग पर इतना ज्यादा जोर डालने की जरूरत नहीं है। तस्वीर साफ है कि ‘मामा’ तो मध्यप्रदेश को मुखिया बनो रहैगो और सब उमदा रओ तो पांचवी बार भी मध्यप्रदेश को मुख्यमंत्री भी बनैगो। अब यदि और लेकिन का कोई सवाल नहीं है और टाइगर जिंदा था, टाइगर जिंदा है और टाइगर जिंदा रहेगा, यही सच था, सच है और सच रहेगा सब कान खोलकर सुन लो, आंख खोलकर देख लो और दिमाग खोलकर समझ लो।
वैसे इकबाल शब्द के पर्यायवाची हैं – प्रताप, भाग्य, तेज, स्वीकृति, किस्मत, वैभव आदि। तो अब तो मानना ही पड़ेगा कि शिवराज का प्रताप ही है कि एक्सटेंशन मिलना बता रहा है कि मध्यप्रदेश में मुखिया को लेकर नो-टेंशन। यह इकबाल का भाग्य ही है कि शिवराज मुखिया बने और वह मुख्य सचिव वरना यदि नाथ का राज रहता तो इकबाल का नाम मुख्य सचिव बनने की चाहत भी रखता तब भी निराशा ही हाथ लगती। तेज तो टाइगर का ही है और साफ-साफ नजर आ भी रहा है। शिवराज ने मन बनाया तो स्वीकृति मिलने से कोई नहीं रोक सकता, भले ही केंद्र के पाले में गेंद हो या फिर कहीं और। इकबाल के मामले ने यह साफ कर दिया है। शिवराज और ‘वैभव’ की यात्रा साथ-साथ चल रही है, इसका साक्षी मध्यप्रदेश है और पूरा देश भी है। शिवराज की किस्मत में राजयोग है तो इकबाल की किस्मत भी चमक ही रही है। इस फैसले के बाद शिवराज के विरोधी भी चारों खाने चित हो गए हैं तो इकबाल को कोसने वालों के मुंह पर भी ताला पड़ गया होगा।
वैसे मध्यप्रदेश की राजनीति को करीब से देखने वालों को याद होगा कि जब तीन बार के मुख्यमंत्री शिवराज ने 2018 में हार के बाद सीएम हाउस छोड़ने से पहले बुधनी के लोगों को भोज पर बुलाया और एक बहन फूट-फूट कर रोने लगी, तो शिवराज ने भावुक होते हुए बहिन का हौसला बढ़ाते हुए कहा था कि चिंता मत करो टाइगर अभी जिंदा है। और हाल ही में भोपाल मेयर के चुनाव में शिवराज ने चुटकी ली थी और खुद को टाइगर बताया था। मुख्यमंत्री से भोपाल में एक टाइगर नाम के गुंडे की शिकायत की गई थी। इस पर सीएम चौहान ने पूरे प्रशासन को तलब कर कहा था कि असली टाइगर तो यहां बैठा है। ये कहां के टाइगर फाइगर आ गए? इन पर कार्रवाई करो और खत्म करो। तो अब समझने वाले समझ जाएं कि टाइगर अभी जिंदा है…।