Timing of Attack Was Also a Conspiracy : पहलगाम हमले का वक़्त साजिश लग रहा, आंकड़े बताएंगे नुकसान कहां, कितना हुआ!

सुरक्षा, निवेशकों का भरोसा और पर्यटकों की संख्या में सुधार रुकने का खतरा!

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Timing of Attack Was Also a Conspiracy : पहलगाम हमले का वक़्त साजिश लग रहा, आंकड़े बताएंगे नुकसान कहां, कितना हुआ!

New Delhi : कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से कश्मीर के पर्यटन उद्योग को गहरा आघात पहुंचा। इससे भविष्य में राज्य की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होने की आशंका है। इस हमले के बाद पर्यटकों की बुकिंग रद्द हो रही। इससे पर्यटन पर निर्भर कारोबारियों की कमर टूटने का खतरा नजर आने लगा।

इस आतंकी हमले में 28 पर्यटकों की मौत हो गई। इससे जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा सकता है जो हाल ही में संभलने लगी थी। इस हमले से पर्यटन पर बुरा असर पड़ना तय है। राज्य की तरक्की रुक सकती है और हमले का असर कई क्षेत्रों पर पड़ेगा। खासकर पर्यटन पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। इससे सुरक्षा, निवेशकों का भरोसा और पर्यटकों की संख्या में जो सुधार हुआ, वह रुक सकता है।

अर्थव्यवस्था के फिर बिगड़ने का खतरा
हमले से पहले जम्मू और कश्मीर की अर्थव्यवस्था अच्छी चल रही थी। 2024-25 के लिए प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 7.06% बढ़ने का अनुमान था, जो लगभग 2.65 लाख करोड़ रुपए था। 2019 से 2025 के बीच केंद्र शासित प्रदेश की विकास दर 4.89% रही थी। प्रति व्यक्ति आय वित्त वर्ष 2024-25 में 1,54,703 रुपये तक पहुंचने की उम्मीद थी, जो साल-दर-साल 10.6% अधिक है।

निवेश और पर्यटन बढ़ने की उम्मीदें धराशाही
राज्य में यह विकास शांति के कारण हुआ था। आतंकी घटनाएं 2018 में 228 से घटकर 2023 में सिर्फ 46 रह गई थीं। यह लगभग 99% की कमी थी। इसी शांति के कारण निवेश और पर्यटन बढ़ा। इससे अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ। सबसे ज्यादा नुकसान पर्यटन को हुआ है। पर्यटन जम्मू और कश्मीर के जीएसडीपी में 7-8% का योगदान करता है। यह जानकारी सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण में दी गई। आर्थिक सर्वेक्षण और बजट दस्तावेजों में पर्यटन क्षेत्र के लिए कोई खास आंकड़ा नहीं दिया गया है। लेकिन, जीएसडीपी 2.65 लाख करोड़ रुपये होने के कारण पर्यटन का सालाना मूल्य 18,500–21,200 करोड़ रुपये के बीच है। सरकार का लक्ष्य है कि अगले 4-5 सालों में पर्यटन का जीएसडीपी में योगदान 7% से बढ़कर कम से कम 15% हो जाए।

सोच-समझकर चुना हमले का समय
पहलगाम में आतंकी हमला ऐसे समय पर हुआ जब पर्यटकों का मौसम चरम पर था (अप्रैल से अक्टूबर)। इस हमले के बाद कई लोगों ने अपनी यात्रा रद्द कर दी है। इससे पर्यटन को बहुत नुकसान हो सकता है। यह हमला बहुत गलत समय पर हुआ है। कश्मीर में पर्यटकों की संख्या बढ़ रही थी। 2020 में 34 लाख पर्यटक आए थे, जबकि 2024 में यह संख्या बढ़कर 2.36 करोड़ हो गई। इनमें 65,000 विदेशी पर्यटक भी शामिल थे। 2025 की शुरुआत भी अच्छी रही थी। श्रीनगर के ट्यूलिप गार्डन में सिर्फ 26 दिनों में 8.14 लाख पर्यटक आए थे।

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राज्य का विकास खतरे में पड़ गया
ट्रैवल एजेंटों का कहना है कि कुछ क्षेत्रों में 90% तक बुकिंग रद्द हो गई। खासकर पूर्वी भारत से आने वाले पर्यटकों की संख्या में कमी आई है। पश्चिम बंगाल से हर साल लगभग 30% पर्यटक आते हैं। बंगाल से हर दिन लगभग 300 पर्यटक आते थे, लेकिन अब यह संख्या कम हो सकती है। कश्मीर का पर्यटन बहुत बड़ा है। यहां 1,500 से ज्यादा हाउस बोट, 3,000 से ज्यादा होटल के कमरे, कई टैक्सी ड्राइवर, टूर गाइड, घोड़े वाले और हस्तशिल्प बेचने वाले हैं। ये सभी पर्यटन पर निर्भर हैं। कई लोगों ने इस बढ़ते अवसर में निवेश करने के लिए लोन लिया है या अपनी संपत्ति बेची है। इस हमले ने इन सभी संभावनाओं को खतरे में डाल दिया है। एक स्थानीय ऑपरेटर ने कहा, ‘हमें भारी नुकसान होगा।’ यह बात सभी लोग महसूस कर रहे हैं।

पर्यटकों को जानबूझकर निशाना बनाया गया
पहलगाम हमले को इतना गंभीर इसलिए माना जा रहा है क्योंकि इसमें पर्यटकों को जानबूझकर निशाना बनाया गया था। घाटी के इतिहास में ऐसा बहुत कम हुआ है। पहले हमलों में नागरिकों को बचाने की कोशिश की जाती थी। लेकिन, इस हमले ने उस छवि को तोड़ दिया है कि कश्मीर एक सुरक्षित और मेहमाननवाज जगह है। इसी छवि के कारण कश्मीर फिर से पर्यटकों के लिए एक पसंदीदा जगह बन गया था। इस हमले से कश्मीर की अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हो सकता है। सरकार को इस स्थिति से निपटने के लिए तुरंत कदम उठाने होंगे। पर्यटकों का विश्वास फिर से जीतने के लिए सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना होगा।

विकास पर हमले का असर पड़ेगा
इस हमले का असर सिर्फ पर्यटन पर ही नहीं पड़ेगा। इससे जीडीएसपी की विकास दर कम होने का खतरा है। इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट रुक सकते हैं और निवेशक भी डर सकते हैं। कश्मीर को पहले निवेश के लिए एक अच्छी जगह माना जाता था, लेकिन अब इस पर सवाल उठ सकते हैं। एफडीआई का प्रवाह कम हो सकता है। पर्यटन से जुड़े क्षेत्रों में रियल एस्टेट में निवेश रुक सकता है।

परिवहन, बैंकिंग, खुदरा और हस्तशिल्प जैसे अन्य क्षेत्रों पर भी इसका असर पड़ रहा है। पर्यटन से जुड़े व्यवसायों से लोन की वसूली मुश्किल हो सकती है। इससे स्थानीय बैंकों पर दबाव बढ़ सकता है। कृषि और बागवानी जैसे क्षेत्रों पर भी इसका असर पड़ने की आशंका है। बेरोजगारी दर 2019-20 में 6.7% थी, जो 2023-24 में घटकर 6.1% हो गई थी। लेकिन, अब यह दर फिर से बढ़ सकती है। स्टार्टअप इकोसिस्टम में 2020 से डीपीआईआईटी-पंजीकृत उद्यमों में 287% की बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन अब यह रुक सकता है।