विश्वगुरू बनने के लिए पद्म सम्मानितों की विशेषज्ञता का लाभ भावी पीढ़ी तक पहुंचाना होगा- पद्मश्री बनवारी लाल चौकसे

श्रमिक से पद्मश्री बने भोपाल के बनवारी लाल चौकसे से विशेष बातचीत

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भोपाल। श्रमिक से पद्मश्री की यात्रा तय करने वाले भोपाल के गौरव बनवारी लाल चौकसे का कहना है कि वे अबतक मिले सम्मानों से हर्षित तो हैं पर उन्हें एक चिंता हमेशा सताती रहती है कि हमारी विशेषज्ञता जिसके लिए पद्मश्री और सर्वाधिक 5 बार विश्वकर्मा राष्ट्रीय पुरस्कार से मुझे सम्मानित किया गया, उसे कैसे देश की भावी पीढ़ी के लिए सुरक्षित व संचित रखा जाए। उनका कहना है कि यदि राज्य और केंद्र सरकार इस प्रकार के विशेषज्ञों की राय लेती हैं या उन्हें कुछ जिम्मेदारी प्रदान करती हैं तो यह कदम देश को विश्वगुरु बनाने तथा माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत को कार्यरूप में परिणित करने में सहायक होगा ।

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वे सवाल करते हैं सरकार ने जिस विशेषज्ञता के लिए हम और अन्य क्षेत्रों में सिद्धहस्त हमारे जैसे अन्य समर्पित व कर्तव्यनिष्ठ लोगों को पदम पुरुस्कारों से सम्मानित किया है क्या उनके अनुभवों का लाभ आने वाली पीढ़ी को नहीं मिलना चाहिए। यदि हां तो इसके लिए क्या कोई योजना है। मैं चाहता हूं कि ऐसे सभी लोगों के अनुभवों व विशेषज्ञता को नई पीढ़ी में हस्तांतरित करने का मेकेनिज्म डेवलप किया जाना चाहिए ताकि हमारा योगदान मां भारती के चरणों में निंतर प्रवाहित होता रहे।

उनके मन में कसक है कि सेवानिवृत्ति के बाद उनके अनुभव का लाभ लेना जरूरी नहीं समझा गया और सरकार के स्तर पर भी कोई पहल नहीं हुई। इसी कारण मैं और मेरे जैसे अनेक पद्म पुरुस्कार सम्मानित लोग अपने ही घरों में गुमनाम हो गए हैं।

फिल्म अभिनेता शाहरुख खान, क्रिकेटर अनिल कुंबले व निशाने बाज राज्यवर्धन सिंह के साथ पद्म पुरुस्कार प्राप्त करने वाले बीएल चौकसे भेल के क्वालिटी विभाग के उपप्रबंधक पद से 2016 में सेवानिवृत हुए थे। चौकसे ने कई स्वदेशी उपकरण तैयार कर विदेशों पर देश की निर्भरता को कम करके आत्मनिर्भर भारत अभियान में अपना योगदान किया था।

अपने समर्पण व जज्बे के बल पर विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्र में असाधारण उपलब्ध्यिों, अनुसंधान व विकास के लिए वे पद्मश्री पाने वाले देश के पहले टेक्निशियन रहे। सेवानिवृत होने के बाद एक से डेढ़ साल तक ही भेल प्रबंधन ने कार्यशालाओं में नई पीढ़ी के टेक्निशियन को प्रशिक्षण देने हेतु आमंत्रित किया पर राज्य व केंद्र सरकार की ओर से भी ऐसा कोई प्लेटफार्म तैयार नहीं किया गया कि पद्मश्री चौकसे स्वयं अनुसंधान जारी रखें और नई पीढ़ी के टेक्नीशियनों को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण दे सकें।

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देश की सात महारत्न कंपनियों में से एक भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) की भोपाल इकाई से सेवानिवृत्त उप प्रबंधक बनवारी लाल चौकसे ठेठ ग्रामीण परिवेस में पले बढ़े और इसी कारण बड़ी बड़ी महंगी डिग्रियों से दूर रहे। महज 10वीं पास करने के बाद 1974 में भेल में आर्टीजन ग्रेड-4 से नौकरी करने वाले बनवारी लाल चौकसे ने जोश और जज्बे के साथ अपना काम करते हुए उस वक्त अपनी काबलियत से सभी को कायल बनाया था जब 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति स्व. एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें अपने हाथों से पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित किया था।वे बताते हैं मुझे वर्ष 1985,1989, 1992, 1993 तथा 2001 में विश्वकर्मा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मेरे अलावा भारत में किसी तकनीशियन को यह पुरुस्कार 5 बार प्राप्त नहीं हुआ है।

वर्ष 2022 में उन्हें मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल द्वारा चैम्पियन ऑफ चेंज पुरस्कार भी प्रदान किया गया था। श्री चौकसे के दो अनुसंधानों का पेटेंट भी भारत सरकार द्वारा किया जा चुका है । वर्तमान मैं श्री चौकसे क्वालिटी सर्किल फोरम ऑफ़ इण्डिया भोपाल के कोआर्डिनेटर है तथा मानव अधिकार एसोशिएशन के भोपाल संभाग के अध्यक्ष भी हैं । इसी 28 अगस्त को नई दिल्ली में अखिल भारतीय कलार, कलाल, कलवार महासभा द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें ” कलचुरी गौरव सम्मान 2022″ से सम्मानित किया गया।

श्री चौकसे भारत के एकमात्र ऐसे तकनीशियन हैं जिन्हें पद्मश्री अलंकरण प्राप्त करने के साथ उत्पादकता के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए भारत के प्रधानमंत्री श्री अटल विहारी वाजपेयी ने वर्ष 1998 में श्रम भूषण पुरस्कार भी प्रदान किया था । यह पुरस्कर उनके द्वारा किये गए नए नए सुझावों के माध्यम से संस्थान को आर्थिक लाभ प्रदान करने के लिए भारत सरकार के श्रम मंत्रालय द्वारा दिया जाता है। उनके कई तकनीकी पत्रों को उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच 2000 सिंगापुर, 2009 फिलीपीन्स तथा 2012 नेपाल के सम्मलेन में प्रस्तुत किये थे ।

उनकी जीवनी श्रमिक से पद्मश्री भी प्रकाशित हो चुकी है जिसे अमेरिकन बायोग्राफिकल इंस्ट्रीट्यूट की लाइब्रेरी दि ग्रेट माइंड ऑफ़ 21 सदी हेतु चयनित किया गया है ।

आपका जन्म ग्रामीण परिवेश में हुआ तथा मात्र हाई स्कूल की शिक्षा के बाद उन्होंने भेल भोपाल मैं वर्ष 1974 प्रशिक्षु के रूप मैं कार्य प्रारम्भ किया तथा वर्ष 2016 मैं उप प्रबंधक के पद से रिटायर हुए ।श्री चौकसे अपनी उप्लवधियों का श्रेय कठिन परिश्रम तथा निष्ठा एवं सामाजिक गतिविधियों को देते है जिसने उन्हें श्रमिक से पद्मश्री बनाया ।