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शब्द को जकड़ना वैचारिक और उंचाई को जकड़ना होता हैं, द्रष्टि-नजरिया सुंदर होता है तो दुनिया अच्छी लगती हैं: प्रोफेसर हाशमी!
Ratlam : शब्द को जकड़ना वैचारिक और उंचाई को जकड़ना होता हैं, द्रष्टि-नजरिया सुंदर होता है तो दुनिया अच्छी लगती हैं यह बात साहित्यकार, कवि और चिंतक प्रोफेसर अजहर हाशमी ने कही। सक्षम संचार फाउण्डेशन के पदाधिकारियों ने प्रोफेसर हाशमी के निवास पर पहुंचकर उन्हें मालवा अंलकरण से सम्मानित करते हुए प्रशस्ति-पत्र और शील्ड भेंट की, सम्मान के प्रतिउत्तर में हाशमी बोले- ‘मैं इसे भूल नहीं पाऊंगा’!
प्रो. हाशमी को मालवा अलंकरण सक्षम संचार फाउंडेशन की निदेशक अर्चना शर्मा, डॉ. प्रवीणा दवेसर, अदिति दवेसर, डॉ.अनिला कंवर एवं श्वेता नागर आदि ने प्रदान किया।प्रशस्ति-पत्र का वाचन अर्चना शर्मा ने किया। इस मौके प्रो. हाशमी ने फाउंडेशन व उसकी निदेशक शर्मा को उनके कार्यों तथा शब्दों की साधना के लिए साधुवाद ज्ञापित किया। बता दें कि, स्वास्थ्यगत कारणों से प्रो. हाशमी ने दो दिवसीय मालवा मीडिया फेस्ट 2.0 का ऋग्वेद की ऋचाओं का वाचन कर वर्चुअली शुभारंभ किया था। वे मालवा अलंकरण लेने के लिए भी समारोह में शामिल नहीं हो पाए थे।
इस मौके पर प्रो. हाशमी ने कर्म और शब्द साधना का महत्व भी बताया।उन्होंने अपने उद्बोधन की शुरुआत कवि सुमित्रानंदन पंत की कविता ‘संध्या का झुटपुट, बांसों को झुरमुट, चहक रही चिड़िया टी वी टी टुक टुक…’ से की। हाशमी ने कहा कि सक्षम संचार फाउंडेशन द्वारा किया गया काम आसान नहीं है, यह बहुत ही श्रम साध्य है। उन्होंने कहा कि ‘ठोकरों का काम लगना है, लगेंगी, हार मत धीरज चलना जिंदगी है, उस मुसाफिर को ही मंजिल मिल सकेगी, जिसमें हिम्मत-हौसले की ताजगी है।’
आप शब्दों की रक्षा कीजिए, शब्द आपकी रक्षा करेंगे!
हाशमी ने कहा शब्दों से जुड़ा को भी संस्थान, अक्षर से जुड़ा कोई भी संस्थान हो, उस सब में सरस्वती समाहित होती है। कहा जाता है कि शब्द ब्रह्म होता है, अक्षर ब्रह्म होता है। जब अक्षर के आंगन में शब्द चहल कदमी करते हैं तो उपलब्धियों के इतिहास लिखते हैं। शब्द हमेशा सकारात्मक होने चाहिए। महाभारत में वेदव्यास ने कहा कि ‘धर्मो रक्षति रक्षितः’ यानी आप धर्म की रक्षा कीजिए, धर्म आपकी रक्षा करेगा। उसी प्रकार कहा गया है कि ‘शब्दो रक्षति रक्षित:, यानी आप शब्दों की रक्षा कीजिए शब्द आपकी रक्षा करेगा। शब्द को मान दीजिए, शब्द आपको सम्मान देगा। शब्द को आदर दीजिए, शब्द आपको समाधान देगा। शब्द को अपनत्व दीजिए, शब्द आपसे आत्मीयता स्थापित करेगा।
पत्रकार सुविधाओं का सोफा नहीं, चुनौतियों की चटाई है!
प्रो. हाशमी ने कि पत्रकार भी शब्दों के साधक हैं। उनका धर्म कलम के कर्म से जुड़ा है। पत्रकार अक्षर के सेतु बनाता है और अपने विचारों और संवाद के वाहन दौड़ाता है जो पाठकों तक पहुंचते हैं। पत्रकारिता सुविधाओं का सोफा नहीं, चुनौतियों की चटाई है। जो भी शब्द से जुड़ा है वह साधनारत है। साधना की तीन प्रक्रियाएं होते हैं, पहली वैचारिक होना, दुसरी अनुभूति होना और तीसरी सात्विक से साक्षात्कार होना।
इन्होंने भी किया संबोधित!
प्रो. हाशमी के सम्मान से पूर्व एडवोकेट एवं रंगकर्मी कैलाश व्यास ने संबोधित करते हुए 52 वर्ष पूर्व आगर मालवा में हुए एक कवि सम्मेलन में हुआ घटनाक्रम सुनाया। उन्होंने बताया कि हाशमी कवि सम्मेलन का संचालन कर रहें थे। मंच पर विश्व के ख्यात कवि डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन भी मौजूद थे। सुमन ने संचालन सुनने के बाद कहा कि इस तरह के साहित्यिक संचालन मंच की गरिमा को बनाए रखते हैं। व्यास ने कहा कि ऊंचाई पर पहुंचना मुश्किल नहीं, किंतु वहां पहुंचकर भी जमीन से जुड़े रहना कठिन है और यह दुष्कर कार्य प्रो. हाशमी ने किया है। फाउंडेशन द्वारा दिया जा रहा मालवा अंलकरण ‘सम्मान’ का सम्मान है। इस दौरान डॉ. प्रवीणा दवेसर ने मालवा मीडिया फेस्ट और मालवा अलंकरण पर प्रकाश डाला।
इन्हें प्रमाण-पत्र भेंट किए!
फाउंडेशन द्वारा आयोजित दो दिवसीय मालवा मीडिया फेस्ट 2.0 के दौरान सेवाएं देने वाले वालंटियर्स अंजलि, सिमरन, वैभव और यश को प्रो. हाशमी द्वारा प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए। हाशमी ने सभी के कार्य की सराहना करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
यह रहें मौजूद!
इस मौके पर एडवोकेट कैलाश व्यास, सतीश त्रिपाठी, पवन बैरागी, सैलाना बीएसी स्मिता शुक्ला, पत्रकार तुषार कोठारी, हेमंत भट्ट, नीरज कुमार शुक्ला सहित अन्य मौजूद रहें।