भोपाल: वित्तीय धोखाधड़ी रोकने अब सरकार ने जनता से सुझाव मांगे है। इसमें आमजन काफी रुचि ले रहे है। अब तक सैकड़ों सुझाव सरकार को मिल चुके है। एक सुझाव आया है कि केवल सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त व जांच किये हुए वित्तीय एप्लीकेशन और सॉफ्टवेयर ही बाजार या डिजिटल प्लेटफार्म पर उपलब्ध हो ताकि उपभोक्ता गलत डिजिटल माध्यम से ठगे ना जा सके। वहीं एक सुझाव यह भी आया है कि सहकारी वित्तीय घोटालों की शिकायत हेतु रेरा जैसी एजेंसी बनाना चाहिए।
शषि भूषण सिंह ने सरकारी मान्यता प्राप्त वित्तीय एप्लीकेशन ही जारी किए जाने का सुझाव दिया है। राजेश प्रजापति ने सुझाव दिया है कि धोखाधड़ी से बचने सतर्क रहे और देश में कड़े से कड़े कानून इसके लिए बने ताकि कोई अपराधी इस तरह के अपराध नहीं कर पाए और स्वयं भी सतर्कता बरते और ऐसे जालसाजों से बचकर रहे।
अभिषेक यादव ने सुझाव दिया है कि सरकार ऐसे कड़े कदम उठाए ताकि ऐसे लोग वित्तीय धोखाधड़ी करने की सोचे भी नहीं। सूरज शुक्ला ने सुझाव दिया है कि स्वयं और दूसरो को भी लालच से बचने प्रेरित करे ताकि इससे बचा जा सके। कई लोगों ने ओटीपी नहीं बताने, अपने बैंक और अन्य जानकारियां साझा नहीं करने, अनजान नंबरों पर लंबी बात नहीं करने, आॅनलाईन किसी अनजान व्यक्ति को अपने दस्तावेज नहीं देने का सुझाव दिया है।
जांच के लिए अपने खर्च पर ले जाना होता है पुलिस को
आनंद जाट ने सरकार को दिए सुझाव में बताया कि उनके साथ वित्तीय धोखाधड़ी हुई तो अपराधियों को पकड़ने उन्हें अपने खर्च पर पुलिस को ले जाना पड़ा क्योंकि सरकार पुलिस को अपराधियों को पकड़ने का खर्च बहुत कम देती है। इसमें सुधार किया जाए साथ ही ऐसा कानून बने कि सीज किया हुआ धन पीड़ित को फौरन दिलवाया जाए। अभी पीड़ित व्यक्ति को अपना ही पैसा प्राप्त करने के लिए वर्षो तक कोर्ट के चक्कर काटना पड़ता है।
फास्टट्रैक कोर्ट बने, पैनाल्टी लगे।
कविता सोलंकी ने सुझाव दिया है कि वित्तीय धोखाधड़ी के मामले सुलझाने के लिए अलग से फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई जाए और तुरंत कार्यवाही कर सबसे पहले आरोपी पर पैनाल्टी लगाई जाए और मामले को छह माह में निपटाया जाए फिर आर्डर अनुसार पैनाल्टी सैट ऑफ की जाए क्योंकि आजकल ऐसे केस में सुसाइड केस बहुत बढ़ गए है।
सीएम हेल्पलाईन में भी सुनवाई नहीं
अंकित कुमार ने अपने सुझाव में शिकायत भरे लहजे में कहा है भ्रष्टाचार कम करने की दिशा में कदम उठाए सरकार क्योंकि वे सीएम हेल्पलाईन में डीएवीवी विश्वविद्यालय की पिछले एक साल से शिकायत कर रहे है और उनकी कोई सुनवाई ही नहीं हो रही। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया है कि शिक्षा के मंदिर में करियर बनाने की जगह उसकी शिकायत करना पड़ रहा है।
खाद खरीदा नही मैसेज आ गया कि सबसिडी खाते में पहुंच गई
संयोगिता चौहान ने बताया कि उन्होंने कभी खाद नहीं खरीदा किसी ने उनका नंबर देकर सरकारी सबसिडी अपने खाते में जमा करवा ली। मैसेज आया तो मालुम पड़ा। इस पर गौर किया जाना चाहिए।
रेरा जैसी एजेंसी बने
डॉ. दिनेश चौधरी ने सुझाव दिया है कि सहकारी वित्तीय घोटालों की शिकायत हेतु रेरा जैसी अथार्टी बनाना चाहिए जिससे हर पीड़ित आसानी से कंपलेंट दर्ज करा सकेगा। भुवनेश शर्मा का कहना है कि सरकारी विभागों में होंने वाली धोखाधड़ी पहले रोकी जाए। यह ऐसा स्थान है जहां व्यक्ति को पता होता है कि उसके साथ धोखा हो रहा है फिर भी वह उसका हिस्सा बनने को तैयार हो जाता है क्योंकि उसे काम तो करवाना है।