

मोदी सत्ता के 25 साल में किस ऊंचाई तक कितना बदला भारत
आलोक मेहता
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्र में तीसरी बार सरकार बनने का एक साल 9 जून को पूरा हो रहा है | भारतीय जनता पार्टी ही नहीं विरोधी और दुनिया भर के नेता लगातार सफलताओं का श्रेय नरेंद्र मोदी के करिश्माई राजनीतिक सामाजिक व्यक्तित्व को देते हैं | लेकिन इसे सत्ता के 11 वर्ष की उपलब्धि के बजाय मोदी की सत्ता के 25 वर्षों के कामकाज , सामाजिक आर्थिक विकास की दूरदर्शिता के परिणामों के दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए | मेरी नजर में सन 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदीजी ने पुराने सरकारी ढर्रे में बदलाव के साथ विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए नई योजनाएं , कार्यक्रमों का जो सिलसिला शुरु किया , वह 2014 में प्रधान मंत्री का दायित्व सँभालने के बाद व्यापक रुप लेता चला गया | शिक्षा , स्वास्थ्य , आवास , सड़क , पानी , बिजली , खेती और उद्योग व्यापार जैसे हर क्षेत्र में जन कल्याण के लिए आने वाली कठिनाइयों से निपटने और विकास की गति तेज करने के प्रयासों का लाभ न केवल करोड़ों लोगों को मिल रहा है , बल्कि विश्व आर्थिक दौड़ में भारत चौथे स्थान पर पहुँच गया है और विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ने के हर संभव प्रयास हो रहे हैं | दूसरी तरफ इस बात पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि दुनिया के शक्ति संपन्न देश अमेरिका , रुस , चीन के शीर्ष नेता डोनाल्ड ट्रम्प , व्लादिमीर पुतिन और शी जिन पिंग को भी लगातार 25 वर्षों तक लगातार सत्ता के कार्यों का अनुभव नहीं है और न ही भारत जैसी चुनौतियां है | आतंकवाद से लड़ने में भी हाल के सिंदूर आपरेशन में आतंकी अड्डों को नष्ट करने और पाकिस्तान के सैन्य हवाई अड्डों आदि को निशाना बनाकर विश्व में भारत की सुरक्षा व्यवस्था और क्षमता का डंका बजा दिया गया है | पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा पर्यटकों पर धार्मिक आधार पर किए गए हमले का दूसरा जवाब विश्व के सबसे ऊँचे चिनाब रेल ब्रिज के उद्घाटन के साथ जम्मू कश्मीर और देश को रेल मार्ग से जोड़कर लाखों भारतीयों के जाने की सुविधा से दिया है |
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं इस बात से प्रसन्न हैं कि बीते 11 साल में उनकी सरकार का हर कदम सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण को समर्पित रहा है।उन्होंने पिछले दिनों एक सन्देश में कहा कि ” इस दौरान हमारी उपलब्धियां ना सिर्फ अभूतपूर्व हैं, बल्कि 140 करोड़ देशवासियों के जीवन को आसान बनाने वाली हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि देश को आगे ले जाने के अपने इन प्रयासों के साथ हम विकसित और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को जरूर हासिल करेंगे।पहले घर का चूल्हा ठंडा पड़ जाता था, दो वक्त के खाने के लिए सोचना पड़ता था। अब हर महीने पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त राशन मिल रहा है। वीडियो में पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए बताया गया कि पहले सरकारी योजना के पैसे लोगों तक नहीं पहुंचते थे, बिचौलिये पैसे खा जाते थे, लेकिन अब सीधे जनता के अकाउंट में पैसे भेजे जा रहे हैं। पहले कोई बीमार पड़ता था, तो इलाज के खर्चे के बारे में सोचकर ही जान पर बन आती थी, लेकिन अब आयुष्मान भारत योजना से अस्पतालों में मुफ्त इलाज होता है। इस दौरान देश प्रगति के साथ नया इतिहास भी रचा गया है।इन 11 सालों में ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे अभियानों के माध्यम से भारत ने तकनीकी क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिससे देश की वैश्विक पहचान मजबूत हुई है। इसके साथ ही देश की सुरक्षा में मजबूती आई है।”
मेरा मानना है कि भारत की प्रगति के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देना आवश्यक है | इसके बिना किसी अन्य क्षेत्र में विकास संभव नहीं है | इस दृष्टि से नई शिक्षा नीति लाने के बाद मोदी सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए हैं | पिछले दशक में देश ने उच्च शिक्षा के बुनियादी ढांचे में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है। उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, उच्च शिक्षा संस्थानों की संख्या में 13.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 2014-15 में 51,534 से बढ़कर मई 2025 तक 70,683 से अधिक हो गई है। इसी अवधि के दौरान विश्वविद्यालयों की संख्या 760 से बढ़कर 1,334 हो गई और कॉलेजों की संख्या 38,498 से बढ़कर 51,959 हो गई। यह उछाल सभी के लिए सुलभ और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जैसे प्रमुख संस्थानों का भी काफी विस्तार किया गया है। 2014 से, इन संस्थानों की संख्या में वृद्धि हुई है।आईआईटी 16 से बढ़कर 23 हो गए, जबकि आईआईएम 13 से बढ़कर 21 हो गए। एम्स संस्थानों की संख्या तीन गुनी से अधिक बढ़कर 7 से 23 हो गई है। मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी 387 से बढ़कर 2,045 से अधिक हो गई है, जो सामूहिक रूप से 2024 तक 1.9 लाख से अधिक मेडिकल सीटें प्रदान करते हैं।स्कूली शिक्षा को और मजबूत करने के लिए, पीएम श्री (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) योजना सितंबर 2022 में शुरू की गई थी। पांच वर्षों में 27,360 करोड़ रुपये के केंद्रीय परिव्यय के साथ, इस योजना का लक्ष्य 14,500 स्कूलों को मॉडल संस्थानों में अपग्रेड करना है जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के दृष्टिकोण को दर्शाते हैं। अकादमिक शिक्षा से परे, कौशल विकास भारत की युवा सशक्तिकरण रणनीति के केंद्र में रहा है। 2015 में कौशल भारत मिशन के शुभारंभ के बाद से, 1.63 करोड़ से अधिक युवाओं ने विभिन्न कौशल क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। दूसरी तरफ दस करोड़ से अधिक लोग आयुष्मान भारत और जन औषधि योजना से करोड़ों लाभान्वित हो रहे हैं | शिक्षित स्वस्थ नागरिक ही विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति के लिए निरंतर काम कर सकते हैं |
अयोध्या , सोमनाथ , काशी , मथुरा , उज्जैन सहित धार्मिक सांस्कृतिक नगरों को सुन्दर और पर्यटन के आकर्षण केंद्र बनाए जाने से भावनात्मक एकता बढ़ाने का पुनीत कार्य जारी है | धर्म के साथ राष्ट्र सुरक्षा के लिए तीनों सेनाओं के आधुनिकीकरण और स्वदेशी हथियारों के निर्माण की दिशा में रिकॉर्ड उपलब्धियां हो रही है | अब तो देश की आवश्यकता के अलावा हथियारों के निर्यात में विकसित देशों से प्रतियोगिता के लिए भारत तैयार है | भारत ने फ्रांस से राफेल फाइटर जेट खरीदे। अब राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉ एविएशन हैदराबाद में अपना प्लांट लगाने जा रही है। इस संयंत्र में टाटा एडवांस्ड सिस्टम के साथ राफेल युद्धक विमान की बॉडी बनाएगी जिसे एविएशन की भाषा में फ्यूजलेज कहते हैं। दसॉ ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि यह एयरोस्पेस सेक्टर में मैन्युफैक्चरिंग की भारत की क्षमता बढ़ाने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को सुचारू रखने की दिशा में बड़ा कदम है। दसॉ ने कहा कि हैदराबाद प्लांट के जरिए भारत एयरोस्पेस इन्फ्रास्ट्रक्चर में अहम निवेश कर रहा है और यह प्लांट हाई-प्रेसिजन मैन्युफैक्चरिंग का महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा। राफेल फाइटर जेट की पहली बॉडी वित्त वर्ष 2028 में बनकर तैयार हो जाएगी। तभी तो यह दावा किया जाता है कि मोदी के नेतृत्व में हर मोर्चे पर विजय की पताका फहराना मुमकिन है |