आज की बात : कैलाश मानसरोवर- 8 रहस्यमय कथाएं- मान्यताएं, विश्वास और सच्चाई

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आज की बात : कैलाश मानसरोवर- 8 रहस्यमय कथाएं- मान्यताएं, विश्वास और सच्चाई

 

दुनिया में सर्वाधिक पवित्र क्षेत्र तिब्बत के पठारों को माना जाता है। इसी तिब्बत क्षेत्र में स्थित में कैलाश मानसरोवर है जिसकी मैं दो बार यात्रा कर चुका हूँ। कैलाश मानसरोवर की विशिष्टता को लेकर बहुप्रचलित कुछ तथ्य हैं, जो निम्नानुसार हैं –

कैलाश पर्वत का धार्मिक एवं पौराणिक महत्व है। हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार कैलाश पर्वत परम पिता परमेश्वर भगवान् शिव का निवास स्थान माना गया है।

दूसरी ओर नासा जैसी वैज्ञानिक संस्था के लिए कैलाश पर्वत और तिब्बत रहस्यमय स्थान हैं। नासा के साथ-साथ कई रूसी वैज्ञानिकों ने कैलाश पर्वत पर अनेकों खोजें की हैं।

उन सभी का मानना है कि कैलाश पर्वत वाकई कई अलौकिक शक्तियों का केंद्र है। विज्ञान यह दावा तो नहीं करता है कि यहाँ शिव देखे गये हैं किन्तु यह सभी मानते हैं कि, यहाँ पर कई पवित्र शक्तियां जरुर काम कर रही हैं। बहुप्रचारित रहस्यमय कथाएं निम्नानुसार हैं –

1– रूस के वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि, कैलाश पर्वत आकाश और धरती के साथ इस तरह से केंद्र में है जहाँ पर चारों दिशाएँ मिल रही हैं। वहीँ रूसी वैज्ञानिकों का दावा है कि यह स्थान एक्सिस मुंडी है और इसी स्थान पर व्यक्ति अलौकिक शक्तियों से आसानी से संपर्क कर सकता है। धरती पर यह स्थान सबसे अधिक शक्तिशाली स्थान है।

2 – दावा किया जाता है कि आज तक कोई भी व्यक्ति कैलाश पर्वत के शिखर पर नहीं पहुच पाया है। वहीँ 11वीं सदी में तिब्बत के योगी मिलारेपी के यहाँ जाने का दावा किया जाता रहा है। किन्तु इस योगी के पास इस बात के सबूत नहीं थे या फिर वह खुद सबूत पेश नहीं करना चाहता था। इसलिए यह भी एक रहस्य है कि इन्होनें यहाँ कदम रखा या फिर वह कुछ बताना नहीं चाहते थे।

3 – कैलाश पर्वत पर दो झीलें हैं, राक्षस ताल और मानसरोवर झील। यह दोनों ही रहस्य बनी हुई हैं। आज तक इनका भी रहस्य कोई खोज नहीं पाया है। मानसरोवर झील जहाँ साफ़ और पवित्र जल की है। तथा इसका आकार “सूर्य के समान” है। वहीँ दूसरी झील “राक्षस ताल” अपवित्र और गंदे जल की है तथा इसका आकार “चन्द्रमा” के समान है। ऐसा कैसे हुआ है यह भी कोई नहीं जानता है।

4 – यहाँ के आध्यात्मिक विचारों और शास्त्रों के अनुसार रहस्य की बात करें तो कैलाश पर्वत पर कोई भी व्यक्ति शरीर के साथ उच्चतम शिखर पर नहीं पहुंच सकता है। ऐसा बताया जाता है कि, यहाँ पर देवताओं का आज भी निवास हैं। इसी तरह मानसरोवर झील देवताओं की झील मानी गई है। और यह भी कि पवित्र संतों की आत्माएँ ही यहाँ निवास करती हैं।

5 – कैलाश पर्वत का एक रहस्य यह भी बताया जाता है कि जब कैलाश पर बर्फ पिघलती है तो यहाँ से डमरू जैसी आवाज आती है। इसे कई लोगों ने सुना है। लेकिन इस रहस्य को आज तक कोई हल नहीं कर पाया है।

6 – कई बार कैलाश पर्वत पर सात तरह के प्रकाश आसमान में देखे गये हैं। इसपर नासा का ऐसा मानना है कि यहाँ चुम्बकीय बल है और आसमान से मिलकर वह कई बार इस तरह की चीजों का निर्माण करता है।

7 – कैलाश पर्वत दुनिया के कई धर्मावलंबियों के लिए आस्था का केंद्र है। यहाँ कई साधू और विभिन्न धर्मों के कई संत अपने देवों अथवा आराध्यों से टेलीपेथी से संपर्क करते हैं।

8 – कैलाश पर्वत का सबसे बड़ा रहस्य खुद विज्ञान ने साबित किया है कि यहाँ पर प्रकाश और ध्वनि के बीच इस तरह का  समागम होता है कि यहाँ से ॐ की आवाजें सुनाई देती हैं।

सत्यता कुछ भी हो लेकिन कैलाश मानसरोवर निर्विवाद रूप से आदिकालीन धार्मिक स्थल रहा है।

उक्त मान्यताओं में मुझे क्रमांक 5 और 6 के पूरी तरह से सही होने पर पूर्ण विश्वास नहीं है। मैं स्वयं दो बार कैलाश मानसरोवर यात्रा कर चुका हूँ। इसलिए इस स्थल की आध्यात्मिक शक्ति से काफी कुछ परिचित हूँ।

1998 की यात्रा के दौरान कैलाश पर्वत पर हमें एक ऐसे साधु से बातचीत करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था जो वहां वर्षों से तप कर रहे थे। हमारी जिज्ञासाओं का जिस तरह से उन्होंने समाधान किया था उससे हम सब अभिभूत और दंग रह गए थे। वैसा ज्ञानी ध्यानी साधु / संत हमें हिंदुस्तान में कभी देखने को नहीं मिला।

जब हम 19500 फुट की ऊंचाई पर डोल्मा पास पहुंचते हैं, जहाँ कुछ सेकंड्स ही हम रुक पाने की हिम्मत कर पाते हैं, वहां हमें अपने में अलौकिक शक्ति का एहसास होता है, लगता है मानो साक्षात शिव से साक्षात्कार हो गया हो।

इसी तरह जब मैं 2011 में पुनः कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गया तो इस किवदंती को परखने के लिए कि मानसरोवर झील देवताओं की झील है, मैं अन्य साथियों के साथ रात 12 बजे (भारतीय समय अनुसार रात 2.30 बजे) तक जागते रहे। तब हमने अलौकिक दृश्य देखा कि एक रोशनी आकाश से आई और मानसरोवर झील में समा गई कुछ देर बाद ही यह रोशनी वापस आकाश में चली गई।

इन सब कारणों से मैं मानता हूँ कि मेरे जीवन की एकमात्र सबसे बड़ी उपलब्धि कैलाश मानसरोवर यात्रा ही है। और मैं कैलाश मानसरोवर यात्रा पर बारंबार जाने को लालायित हूँ। ईश्वर इच्छा रही तो मेरे मन की यह इच्छा जरूर पूरी हो जाएगी।

एक बात और है – सरदार जोरावर सिंह तिब्बत फतेह करने की मुहिम पर गए थे। लेकिन असफल हुए और तिब्बत में ही शहीद हो गए थे। यह मेरी दृष्टि से अच्छा ही हुआ क्योंकि अगर कैलाश मानसरोवर भारत में होता तो हमारे पंडे पुजारियों की कृपा से दोनों पवित्रतम स्थल पूरी तरह से दूषित हो चुके होते।

*ॐ नमः शिवाय।*