आज का विचार :असली सेवा..

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असली सेवा..

रजनी बेटा ..ये शाम के वक्त ऐसे तैयार होकर कहा जा रही हो.. अपनी बहु से रजनी उसकी बुजुर्ग सासूमां ने पूछा टोक दिया ना …..कयुं अब हर काम तुमसे पूछकर करूं कया ….रजनी थोड़ा भडकते हुए बोली बेटा मे तो वो ..तुम्हें पता है मुझे डायबिटीज है तो दवाई के साथ साथ खाने का हां हां पता है तुम्हारी बीमारी का …बनाकर रख दिया है टेबल पर खा लेना ……और मुझे ऐसे मत टोका करो ….नवरात्रि चल रही है कालोनी में जागरण है सभी मां की भक्ति का आनंद लेने जा रहे है मुझे भी वहां जाना है आखिर दुनिया दारी भी तो देखनी है तुम्हारी तरह बिस्तर पर पडे पडे बडबडाने की आदत नहीं है मेरी…. हूऊऊ….इतना अच्छा मूड बनाया था माता की भक्ति का और …..खैर जा रही हूं बारह बजे तक आ जाऊंगी…. कहकर रजनी मुंह बनाते हुए बाहर निकल गई…. दो घर बाद अपनी हम उम्र पडोसन सुधा को आवाज देते हुए कहा…. सुधा…. अरी ओ सुधा…. हां दीदी ….सुधा ने दरवाजा खोलते हुए कहा अरे तू अभी तक तैयार नही हुई भूल गई कया …आज माता के जागरण में चलना है…देख मे तो तैयार हो गई रजनी ने मुस्कुराते हुए कहा…. नही दीदी….. मे नहीं जा सकूंगी…. कयो….. दीदी वो सुबह टायलेट जाते समय मम्मी जी बाथरूम मे गिर गई थी कमर और कूल्हों मे दर्द है उनके ….डाक्टर को दिखाया था मोहनजी और मैने तो उन्होंने दर्द की टयूब लगाने के लिए और गर्म पानी की सिकाई के लिए बताया था वैसे एक्सरे करवाया था कुछ नहीं आया फैक्चर वगैरह शुक्र है माता रानी का …अब उनकी सोने से पहले एकबारगी और सिकाई कर दूंगी और टयूब लगा दूंगी ताकि उन्हें रातभर सुकून मिलता रहे…दोनों हाथों को जोडते हुए सुधा बोली तू इसी सब में पड़ी रहना…..अरे नवरात्रि है मातारानी की भक्ति कर वो झोलियां भर देती है खुशियों से….. कहते है इन दिनों जोभी भक्ति भाव से माताजी का ध्यान करता है माताजी उसे मनचाही मुरादें देती है ….आज हमारी कालोनी में ही नहीं पूरा शहर माता रानी की भक्ति में मग्न है अब ये जागरण रोज रोज तो होते … इस तरह के जागरणों मे जाने से माताजी की भक्ति करने से इंसान को पुण्य मिलता है पुण्य……कुछ पुण्य कमा ले अगले कयी जन्म सुधर जाऐंगे….

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अगले पिछले जन्मों का तो पता नहीं इंसान को जो भी अच्छा कर्म करना है अपने इसी जन्म में कर लेना चाहिए …पाप और पुण्य तो इसी लोक में है और मेरे लिए घर के बुजुर्गों की सेवा से बड़ा कोई पुण्य नही है इससे बडी कोई भक्ति नही है…..अगर मे अपनी मां समान सासूमां को दर्द में तड़पता छोड़कर जागरण में माताजी की भक्ति कर भी लूंगी तो मुझे मन मे सुकून नही मिलेगा जानती हो यहां जो ईश्वर की कृपा से एक बेटी को दूसरी मां का प्यार और साथ मिला है इससे बडा कोई पुण्य नही हो सकता…. मां ही तो है जिसने मेरी डिलीवरी के वक्त दिनरात मेरी सेवा की मेरे बिस्तर पर रहते हुए मेरी हर सुविधाओं का ध्यान रखा …..माफ करना रजनी दीदी…. अपनी मां को दर्द में छोडकर मुझे कोई भक्ति नही करनी वैसे नवरात्रि पर्व है जय माता दी ….कहकर सुधा अंदर की ओर चली गई वहीं रजनी का चेहरा उतर सा गया था अचानक अंदर से आती आशीर्वादों के साथ साथ अनेकों दुआओं की मनमोहक आवाजों ने उसे सोचने पर मजबूर कर दिया कया वह अपनी मां समान सासूमां को भूखे रखकर माताजी की सच्ची भक्ति करने जा रही है या यहां अपनी सासूमां की उनके दर्द में सहभागी बनकर उनकी बहु सुधा सच्ची भक्ति कर रही है …. अचानक उसने भी अपने दोनों हाथों को जोडकर अपने कानों को छूआ और बोली…..मुझे भी माफ करना माताजी …..आपकी भक्ति तो मे घरके मंदिर में भी कर लूंगी मगर सचमुच जो घर में विराजमान असली माताजी है पहले मुझे उनकी सेवा करनी जरूरी है मुझे उन्हें गर्म खाना उनकी दवाओं के साथ देनी चाहिए…. माताजी ….मे आपके जागरण में जरूर आऊंगी मगर अपनी मां की देखभाल करने के बाद जय माता दी….कहकर रजनी भी वापस घर की ओर मुड गई ….!!

पूर्णिमा  की ट्वीटर  वाल से साभार 

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