Today’s Thought: वर्तमान मे जीना सीखना होगा – यही जीवन जीने की सर्वोत्तम कला है, यही सुख है…!

346

Today’s Thought: वर्तमान मे जीना सीखना होगा – यही जीवन जीने की सर्वोत्तम कला है, यही सुख है…!

 

 

 

मैंने एक कहानी सुनी थी, जिसे आज मैं आपलोगों से शेयर करना चाहूंगा…!

तीन व्यक्ति समुद्र के किनारे पर खड़े हुए थे, तभी एक मुनि आये. तीनों ने उन्हें प्रणाम किया और उनसे कहा कि मुनिवर हम आप की क्या सेवा कर सकते हैं…?

संत मुनि ने कहा कि मेरा एक प्रश्न है तुम सब से , तुम उत्तर दे सकोगे क्या…? तीनों ने कहा कि हाँ अवश्य हम प्रयास करेंगे…!

संत ने पूछा, यदि सागर की तूफानी लहरें एकाएक आकर तुम्हें डूबा दें तो तुम क्या करोगे…?

पहले व्यक्ति ने उत्तर दिया कि मैं परमात्मा से हांथ जोड़ कर प्रार्थना करूँगा कि, मुझे मरने के बाद स्वर्ग में स्थान दे और मैं खुशी खुशी मर जाऊँगा…!

दूसरे व्यक्ति ने उत्तर दिया कि मैं अपने ईश्वर का नाम लूंगा और सोचूंगा कि मेरी किस्मत में डूबना ही लिखा था , मेरा यही भाग्य है, और मैं दुखी होकर डूब जाऊँगा…!

तीसरे व्यक्ति ने कहा कि, मुनिवर मैं परमात्मा को धन्यवाद दूँगा, उनकी मर्जी स्वीकार करते हुए पानी के नीचे सागर में रहना सीख लूंगा…!

संत मुनि तीसरे व्यक्ति के उत्तर से अति प्रसन्न हुए कहा कि तुमने बिल्कुल सही उत्तर दिया है…, हम सब को यही करना चाहिए, परमात्मा की मर्जी को इस संसार में जीने के लिए स्वीकार करना ही होगा, उसी में जीना सीखना होगा, और जो व्यक्ति इसे सीख लेगा, वह सदैव सुखी रहेगा…!

इस कहानी का सारांश यह है कि जो व्यक्ति यथार्थ को, सच को स्वीकार कर लेता है, परमात्मा से किसी स्वर्ग की मांग नहीं करता है, जो उपलब्ध है – उसी मे प्रसन्न रहता है , वही श्रेष्ठ है, वही सुखी है…!

वास्तव में हमे समर्पित हृदय से, समर्पित मन से ईश्वर का हर पल आभार मानते हुये, आज मे – इस वर्तमान मे जीना सीखना होगा – यही जीवन जीने की सर्वोत्तम कला है, यही सुख है…!