‘निष्ठा’ के सताए ‘नाथ’ की जनसमुद्र से ‘निष्ठा’ की अपेक्षा …

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‘निष्ठा’ के सताए ‘नाथ’ की जनसमुद्र से ‘निष्ठा’ की अपेक्षा …

राजभवन घेराव-पैदल मार्च में प्रदेश भर से उमड़े जनसैलाब ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को संजीवनी देने का काम किया है। पर इस जनसमुद्र को देखकर नाथ के मन की टीस भी उजागर हो गई कि यदि कथित अपनों की निष्ठा कायम रहती, तो शायद राजभवन घेराव-पैदल मार्च की नौबत ही नहीं आती। यदि राजभवन के प्रति असंतोष जताना भी पड़ता तो तरीके कुछ और होते। वाटर केनन जैसे पुलिस के तरीकों से रूबरू न होना पड़ता। अपनों की निष्ठा से कमलनाथ इतने आहत हैं कि पैदल मार्च में जनसमुद्र को देखकर उन्होंने सबसे ज्यादा अपेक्षा यही जताई कि “निष्ठा” कायम रखना, तभी कांग्रेस का सपना साकार होने की उम्मीद की जा सकती है। जो नहीं कहा, वह यही कि यदि अपने निष्ठा कायम न रख पाएं तो बनी हुई सरकार भी भरभराकर गिर जाती है और सब कुछ सामने होता देख भी कुछ नहीं कर पाते। इसीलिए कमलनाथ ने कांग्रेसजनों को चेताया भी है कि अगले 6 महीने कार्यकर्ताओं की निष्ठा की सबसे बड़ी परीक्षा है। कमलनाथ ने निष्ठा पर बल दिया। घेराव-पैदल मार्च का नेतृत्व करते हुये प्रदेश भर से आये नेतागणों, कांग्रेसजनों की निष्ठा की तारीफ भी की। नाथ के शब्दों पर ध्यान दें तो जिन्होंने 18-20 साल तक कांग्रेस का झंडा उठाया, उनकी निष्ठा उन्हें यहां खींचकर लायी है, जिन्होंने मुझे बल और शक्ति दी। यहां कोई पुरस्कार नहीं मिल रहा, कोई ठेका नहीं मिल रहा, कोई कमीशन नहीं मिल रही, यह तो आपकी निष्ठा है जो आपको यहां पर खींच कर लाई है, और सबसे बड़ी परीक्षा अगले छह महीनों में आपकी निष्ठा की है।

'निष्ठा' के सताए 'नाथ' की जनसमुद्र से 'निष्ठा' की अपेक्षा ...

हालांकि चुनावी साल में दलों के आयोजन में जुटी भीड़ राजनेताओं की खुशी का सबब तो बनती ही है, क्योंकि भीड़ कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने का काम करती है। और यदि कार्यकर्ता उत्साहित हैं तो फिर नेतृत्व करने वाले शीर्ष नेताओं का उद्देश्य पूरा हो जाता है। कांग्रेस के राजभवन घेराव का भी यही मकसद था और कांग्रेस के सभी जिलों से आए कार्यकर्ताओं ने जुटकर इसकी पूर्ति भी की है। इस भीड़ को कांग्रेस “जनसमुद्र” के रूप में प्रचारित कर सरकार को आइना दिखाने की कोशिश कर रही है। पर इस जनसमुद्र में से कितनी विधानसभाओं में कांग्रेस को जीत रूपी मनके मिल पाते हैं, यह बात सबसे खास है। फिर भी मानवीय स्वभाव के मुताबिक जनसमुद्र की खुशी संतुष्टि तो देती ही है, सो दे भी रही है। कांग्रेस नेताओं के दिलों में खुशी समा नहीं रही है। नाथ ने अपील की है कि कांग्रेसजन छाती ठोक कर जनता से कहें कि हमने 15 महीने में अपनी नीति और नियत का परिचय दिया है। हालांकि जनता की इस पर प्रतिक्रिया कांग्रेस की खुशी को बढ़ाने वाली ही हो, यह जरूरी नहीं है।

खैर बजट सत्र में कांग्रेस का यह प्रदर्शन चुनावी साल में खास मायने रखता है। सरकार के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपलब्धि यही है कि उस पर जन को राजधानी तक पहुंचने से रोकने के आरोप नहीं लगे। अब “निष्ठा” पर तो किसी का वश नहीं है। पर नाथ की अपील जन के मन तक पहुंच कर घर कर गई तो यह राजभवन घेराव-पैदल मार्च की कांग्रेस की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। ‘निष्ठा’ के सताए ‘नाथ’ की जनसमुद्र से ‘निष्ठा’ की अपेक्षा बेमानी नहीं है … क्योंकि गैरनिष्ठावान हुए अपनों की वजह से पंद्रह माह में बेताज होकर सबसे ज्यादा दर्द नाथ ने ही भोगा है…!