
Traffic Jam Turns Deadly : इंदौर-देवास रोड पर 32 घंटे का जाम बना जानलेवा, व्यवस्था की लापरवाही से फंसे 3 लोगों की जान गईं!
किसानों ने मार्ग की व्यवस्था सुधारने के लिए 10 दिन का अल्टीमेटम दिया, टोल टैक्स का भी विरोध!
Indore : इंदौर-देवास हाईवे पर 32 घंटे तक लगा भीषण जाम सिर्फ ट्रैफिक अव्यवस्था नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी और लापरवाही की खौफनाक मिसाल बन गया। अर्जुन बड़ोदा के पास पुल निर्माण की अनियमितता और खराब सर्विस रोड ने बीते दो दिनों में तीन लोगों कमल पांचाल, बलराम पटेल और संदीप पटेल की जान ले ली। लोगों में इसके खिलाफ भारी रोष है। दरअसल, ये हादसे लापरवाही नहीं, बल्कि उदासीनता के नतीजे हैं। एनएचएआई और ठेकेदारों की सुस्ती, बदइंतजामी और अनदेखी ने सड़क को गड्ढों में बदल दिया। सर्विस लेन कीचड़ और गड्ढों से भरी पड़ी है। बारिश ने हालात और बिगाड़ दिए, लेकिन जिम्मेदारों की आंखें नहीं खुलीं।
इंदौर-देवास रोड पर शुक्रवार को 32 घंटे लंबा जाम लगा था। 8 किलोमीटर के इस जाम में 4 हजार गाड़ियां फंसीं रही। इस जाम के दौरान तीन लोगों की मौत होना व्यवस्था की बहुत बड़ी खामी माना जा रहा है। इंदौर के कमल पांचाल, शुजालपुर के बलराम पटेल और गारी पिपल्या गांव के संदीप पटेल की मौत हुई। दो को दिल का दौरा पड़ा, जबकि एक मरीज ने अस्पताल पहुंचने से पहले दम तोड़ दिया। इस लंबे जाम में फंसे इंदौर के सैटेलाइट टाउनशिप, बिजलपुर निवासी किसान कमल पांचाल (62) की कार जाम में डेढ़ घंटे तक फंसी रही। इस दौरान उन्हें घबराहट हुई, वे तड़फकर बेहोश हो गए। कमल को देवास के एक प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

आम लोगों की जिंदगियों की कीमत पर ठेकेदारों का फायदा पहुंचाने के आरोप लग रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता अमित चौरसिया ने इन मौतों को ‘गैर इरादतन हत्या’ करार दिया। पार्टी ने मांग की है कि मृतकों के परिवारों को 1-1 करोड़ रुपए मुआवजा मिले और जिम्मेदारों पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो। ट्रैफिक पुलिस और नगर निगम की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। मौके पर मौजूद रहकर भी ये हालात को संभालने में नाकाम रहे। जाम में फंसी एम्बुलेंस और तड़पते मरीज सिस्टम की घोर संवेदनहीनता की गवाही दे रहे हैं।
जनता ने ही संभाला जाम की अव्यवस्था को
इस पूरे जाम के दौरान कहीं भी पुलिसकर्मी, अधिकारी और जनप्रतिनिधि नजर नहीं आए। कई जगह जनता ही ट्रैफिक संभालती नजर आई। लोग अपनी दुकानों और काम को छोड़कर जाम में फंसे लोगों की मदद करते रहे। लसूड़िया थाने के सामने ही पूरा रोड कई घंटों तक जाम रहा। जब टीआई तारेश सोनी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि जितना पुलिस फोर्स दिया गया है वह दिनरात जाम खुलवा रहा है। लेकिन, जाम फिर भी नहीं रुका।

किसानों का अल्टीमेटम, हालात नहीं सुधरे तो देवास तक पदयात्रा
इंदौर-देवास रोड पर लगातार जाम और बदहाल हालात को लेकर किसानों का गुस्सा फूट पड़ा। किसानों ने चेतावनी दी है, कि यदि 10 दिन में इंदौर-देवास मार्ग की स्थिति नहीं सुधारी गई, तो किसान देवास तक पदयात्रा करेंगे। उन्होंने कहा कि मांगलिया रेलवे क्रॉसिंग के पास वैकल्पिक मार्ग को चालू करने, गिट्टी-मुरम डालकर रास्ता बनाने और पुरानी रोड को सुधारने की मांग लंबे समय से की जा रही है, पर नेताओं और अधिकारियों ने अनदेखी की। किसान नेता हंसराज मंडलोई ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि मार्ग की बिगड़ी व्यवस्था को सुधारने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। किसानों का यह भी आरोप है कि मांगलिया टोल कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए व्यासखेड़ी रोड बंद कराया गया, जिससे जाम ने विकराल रूप ले लिया और तीन लोगों की मौत हो गई।

टोल-टैक्स का भारी विरोध
अर्जुन बढ़ौदा गांव से शुरू हुआ ट्रैफिक जाम दस-बारह किलोमीटर तक फैल गया है। टोल नाके के बाद से ही गाड़ियां अटकने लगी। इंदौर से देवास जाने वाले रास्ते की तरफ फजीहत ज्यादा रही। देवास से इंदौर आ रहे रास्ते पर भी गाड़ियां रांग साइड चलती रही जिससे हालात बिगड़ी। लोगों ने खेत में गाडियां उत्तार दी और निकलने की कोशिश की, लेकिन वे फंस गए। डकाच्या से जयपुरिया कॉलेज होकर जाने वाला वैकल्पिक रास्ता भी बंद हो गया। उस पर भी कई वाहन फंस गए। इस घटना के बाद टोल टैक्स का भारी विरोध हो रहा है। लोगों का कहना है कि किस बात का टोल टैक्स वसूला जा रहा है। न सड़क सुधारते है, न ट्रैफिक की कोई व्यवस्था है। इंदौर की 15वीं बटालियन से सिपाहियों की ड्यूटी लगाई, लेकिन सब नाकाफी साबित हुआ है। ये जाम व्यवस्था के जिम्मेदारों के लिए सबक माना जा रहा है।





