Travel Diary-3: पिथौरागढ़ से धारचूला – सीमाओं और सौंदर्य का संगम

753

आदि कैलाश और ॐ पर्वत की वह अलौकिक यात्रा…तृतीय दिवस

पिथौरागढ़ से धारचूला – सीमाओं और सौंदर्य का संगम

महेश बंसल, इंदौर

सुबह की सजीव चित्रकला

सुबह का स्वागत पिथौरागढ़ की शांत वादियों ने किया।
बरखा की रिमझिम में भीगा हुआ आकाश, हरे-भरे पहाड़ों पर बैठी गौमाता, और पानी में नहाती एक नन्ही चिड़िया – मानो प्रकृति ने आँखों के आगे चित्रकला की सजीव प्रदर्शनी लगा दी हो।

WhatsApp Image 2025 07 02 at 14.41.28 1

 

आत्मीयता से भरा जन्मदिन

दिन की शुरुआत विशेष थी –
हमारी ग्रुप लीडर उषा भाभी का जन्मदिन होटल की लॉबी में केक-कटिंग और आत्मीय शुभकामनाओं के साथ मनाया गया। उस छोटे-से हॉल में जो आत्मीयता फैली, उसने उसे किसी पारिवारिक उत्सव-स्थल में बदल दिया।

WhatsApp Image 2025 07 02 at 14.41.29

धारचूला की ओर प्रकृति के संग

इसके बाद हमारी यात्रा का अगला पड़ाव था – धारचूला।
रास्ते में चीड़ और देवदार की ऊँची कतारें, बादलों की परछाइयाँ पर्वतों पर तैरती हुई, और हर मोड़ पर अनुशासित ट्रैफिक – यह सब किसी प्राकृतिक कविता की भाँति प्रतीत हो रहा था।

Travel Diary : आदि कैलाश और ॐ पर्वत की वह अलौकिक यात्रा…

भोजन, तस्वीरें और एक विश्राम

एक स्थान पर हम सब सड़क किनारे रुके – घर से लाए गए पकवानों का भोग लगाया, बर्फीली हवा में तस्वीरें लीं और अगली मंज़िल की ओर चल पड़े।

जौलजीबी – जहाँ नदियाँ जोड़ती हैं

रास्ते में एक अनूठा पड़ाव था – जौलजीबी गाँव,
जहाँ काली गंगा और गौरी गंगा का संगम होता है।
यहाँ एक तरफ भारत, दूसरी ओर नेपाल – और दोनों को जोड़ता है एक झूला पुल।
दिलचस्प यह कि दोनों नदियों का जलरंग भी भिन्न है – गौरी गंगा मुनस्यारी से आती है और काली गंगा धारचूला से।
नदी भारत में बहती है, लेकिन उसकी लहरें सीमाओं से परे सांस्कृतिक संबंधों को जोड़ती प्रतीत होती हैं।

यह भी पढ़े -Travel Diary-2 : आदि कैलाश और ॐ पर्वत की वह अलौकिक यात्रा…

आशीर्वाद रेजिडेंसी – सहजता और स्वागत

धारचूला पहुँचे तो संकरी गलियों से होकर पहुँचे – आशीर्वाद रेजिडेंसी, जहाँ तीन रातों का हमारा विश्राम था।
इस होम स्टे में सादगी, सलीका और स्वच्छता का सुंदर संतुलन था – फूलों से सजे पौधे, आत्मीय मेज़बान और आगामी यात्रा की रूपरेखा पर चर्चा, यह सब अत्यंत सहज, सुंदर और स्वागतपूर्ण लगा।

WhatsApp Image 2025 07 02 at 14.41.28

एक बागवानी प्रेमी की प्रसन्नता

चूंकि मैं स्वयं बागवानी प्रेमी हूँ, अतः वहाँ के स्थानीय बागवान से मिलना और उनकी रची हरीतिमा को देखना मेरे लिए विशेष हर्ष का कारण रहा।

WhatsApp Image 2025 07 02 at 14.41.30

परमिट क्रमांक 60801

यहीं आगामी तीन दिनों के टूर मैनेजर ने हम सभी को आदि कैलाश यात्रा के परमिट सौंपे।
मेरे हाथ में जो परमिट आया, उस पर क्रमांक था — 60801 / वर्ष 2025।
यह जानकर आश्चर्य हुआ कि जुलाई–अगस्त की वर्षा ऋतु को छोड़ दें, तो सितंबर से नवंबर में एक लाख से अधिक यात्री इस तीर्थ का वरण कर लेंगे।

धारचूला – सीमाओं के आर-पार

धारचूला – एक सीमावर्ती नगर, समुद्र तल से 940 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। चारों ओर हिमालयी चोटियाँ, और बीच में बहती काली नदी जो भारत–नेपाल की सीमारेखा बनाती है। यहाँ भारत और नेपाल के धारचूला कस्बे आमने-सामने बसे हैं, और दोनों ओर के लोग बिना वीज़ा- पासपोर्ट के सहजता से आ-जा सकते हैं। हमने भी काली नदी पर बने लोहे के पुल से नेपाल सीमा में प्रवेश किया, वहाँ कुछ पल बिताए और सुंदर स्मृतियाँ संजोईं।

‘धारचूला’ – नाम में छुपा भूगोल

यहीं एक रोचक जानकारी मिली –
‘धारचूला’ नाम दो शब्दों से बना है,
‘धार’ – नुकीला पहाड़ी सिरा,
‘चुला’ – तीन ओर से बंद, एक ओर खुला पारंपरिक पहाड़ी चूल्हा।
यह नगर तीन ओर से पहाड़ियों से घिरा है, और एक ओर से खुला – बिलकुल चूल्हे जैसा!
और इसीलिए – धारचूला।

दिन के अंत में, घर जैसे स्वादिष्ट भोजन के बाद आगामी तीर्थ-प्रवास हेतु एक अटैची तैयार की गई –
बाकी सामान यहीं रहना था, ताकि यात्रा सहज रहे।

यह दिन था, संवेदनाओं, सीमाओं, संस्कृति और सौंदर्य के अद्भुत संगम का।

(क्रमशः)

WhatsApp Image 2025 07 02 at 14.41.29 1
पिथौरागढ़ रिसोर्ट

महेश बंसल, इंदौर