Travel Experience
आदमी एक काम अनेक .. सफाईकर्मी हीे क्रूज़ कैप्टन
महेश बंसल
हम बस में सफर करते है तो टिकट काउंटर पर से टिकट लेते है, उस बस की साफ सफाई क्लिनर की जिम्मेदारी रहती है, यदि वह टूरिस्ट बस है तो गाइड भी साथ में रहता है। ड्राइवर का काम केवल बस चलाने का रहता है।
लेकिन दो वर्ष पूर्व स्काटलेंड के फोर्ट विलियम में क्रूज़ के द्वारा विशाल झील में 2 घंटे भ्रमण करने पर अलग ही अनुभव हुआ। कोई भी काम छोटा या बढा़ नहीं होता .. एक ही व्यक्ति एक ही समय में छोटे बड़े दोनों ही कार्य को कुशलता से कर सकता है , क्रूज़ में बैठने पर यह अनुभव प्रत्यक्ष दिखाई दिया । टिकिट लेने के बाद क्रूज़ के पास पहुंचे .. प्रस्थान में आधे घंटे की देर थी ।
यहीं नहीं टिकट काउंटर पर टिकिट देने वाली महिला क्रूज़ में सहायक के साथ स्नेक्स काउंटर पर काफी बनाने सहित स्नेक्स बेच रही थी, क्रूज़ की वापसी पर मोटी रस्सी से क्रूज़ को किनारे पर बांध रही थी । अपनी विदेश यात्रा के दौरान हर जगह देखा है कि बस में क्लिनर होता ही नहीं है, केवल ड्राइवर रहता है जिसे ड्राइवर न कहकर कोच का पायलट कहा जाता है। वहीं पायलट लगेज रखना-निकालना, कोच की साफ-सफाई भी करता है।
खुद का काम खुदी से करने का जज्बा हो तो कोई भी काम छोटा अथवा बड़ा नहीं होता है, वह सिर्फ काम होता है जिसे सहज भाव से करने की दिनचर्या बन जाती है । ऐसी स्थिति में न तो ग्लानि और न ही सम्मान का भाव रहता है, अपितु रहता है स्व-दायित्व का भाव। हमारे यहां एक व्यक्ति को इतनी भूमिका में नहीं देखा जा सकता।
महेश बंसल, इंदौर
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