एक छत के नीचे सिकलसेल एनिमिया का इलाज,50 लाख लोगों की स्क्रीनिंग करने का स्वास्थ्य विभाग ने तैयार किया प्लान

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एक छत के नीचे सिकलसेल एनिमिया का इलाज,50 लाख लोगों की स्क्रीनिंग करने का स्वास्थ्य विभाग ने तैयार किया प्लान

भोपाल। आनुवंशिक सिकलसेल एनिमिया बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग एक्शन प्लान तैयार कर लिया है। आदिवासी समाज में फैली हुई इस बामारी पर विराम लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक साल के अंदर 50 लाख लोगों का स्क्रीनिंग करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए विभाग नीलम ट्रेडर्स और साइंस हाउस जैसी एजेसियों का सहयोग लेने जा रहा है। जिससे समय रहते हुए आदिवासी बाहुल्य 20 जिलो में स्क्रीनिंग का काम तेजी से किया जा सकें । स्वास्थ्य विभाग ने तीन साल के अंदर 50 लाख से ज्यादा लोगों का स्क्रीनिंग कर चुका है। जिसमें से 18 हजार लोगों के अंदर यह बीमारी पाई गई। 1 लाख 20 हजार इस बीमारी के कै रियर वाहक मिले। कैरियर वाहकों के अंदर बीमारी सामान्य रूप से दिखाई नहीं देती है। परीक्षण के दौरान इनमें बीमारी के सामान्य लक्षण पाए जाते है। ऐसे कैरियर वाहकों के उपचार को लेकर स्वास्थ्य विभाग खासा गंभीर है।

एक छत के नीचे होगा इलाज-
प्रदेश में सिकलसेल एनिमिया का उपचार आईसीएमआर के साथ जिला चिकित्सालय केयर यूनिट में होता है। सिकलसेल एनिमिया से संबंधित मरीजों को एक छत के नीच उपचार मिले इसकों लेकर स्वस्थ्य विभाग सेंटर आॅफ एक्सीलेंस अस्पताल बनाने का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया है। सेंटर आॅफ एक्सीलेंस प्रदेश के किस जिले में होगा इसकोें लेकर स्वास्थ्य विभाग ने कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि शासन से चर्चा करने के बाद ही स्थान का चयन किया जाएगा।

सामान्य वर्ग के लोगों की होगी जांच-
सिकलसेल एनिमिया को जड़ से खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग अब किसी समझौते के मूड में नहीं है। आदिवासी समाज के 50 लाख लोगों का स्क्रीनिंग होने के बाद स्वास्थ्य विभाग प्रमुख शहरों में सामान्य वर्ग के लोगों की स्क्रीनिंग करने की तैयारी कर रहा है। आदिवासी समाज अब अपने गांव से पलायन करके शहरों में पढ़ाई और नौकरी के लिए बस चुके है। ऐसे में सामान्य लोग भी इस बीमारी के चपेटे में नहीं आए इसकों लेकर विभाग गंभीर है।

गर्भवती महिलाओं की स्क्रीनिंग पहले-
आदिवासी समाज से जुड़ी गर्भवती महिलाओं को सिकलसेल एनिमिया को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग सबसे पहले गर्भवती महिलाओं की स्क्रीनिंग करेगा। जिससे समय रहते हुए जच्चा एवं बच्चे को बचाया जा सकें।