भोपाल: ग्रामीण इलाकों में चौपाल के जरिये लोगों को एकजुट करने और ग्रामीण मुद्दों पर आमराय व चर्चा के लिए रीवा संभाग में अफसरों ने एक नई पहल शुरू की है। संभाग के सभी जिलों में सीईओ जिला पंचायत से कहा गया है कि हर गांव में कम से कम एक स्थान पर वृक्षों से आच्छादित चौपाल विकसित की जाना है। इसके माध्यम से गांव की पूरानी चौपाल लगाने की परंपरा को पुन: जीवित करते हुए गांव के विकास में सभी ग्रामवासियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
प्रशासन की कोशिश है कि ऐसे स्थल जहां सुविधाजनक रूप से एकत्रित हो सके, वहां चौपाल का विकास किया जाएगा।
रीवा संभाग के कमिश्नर अनिल सुचारी ने संभाग के सभी कलेक्टरों को निर्देश देते हुए कहा कि इसे ध्याम में रखकर पौधरोपण कराना है। इसके लिए जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है। कमिश्नर ने कहा है कि सभी गांव में स्थल का निर्धारण कर लें। रोपित पौधों की सुरक्षा के उचित प्रबंध करें। चुने गये स्थल पर बरगद, आम, नीम, पीपल, सप्तपर्णी, जामुन, महुआ, पुत्रजीवा, मौलश्री जैसे बड़े आकार के पौधे रोपित कराएं। इन प्रजातियों के कम से कम 6 फिट के तथा कम से कम 3 साल आयु के पौधों का रोपण कराएंयें। रोपण के लिए ग्राम पंचायत तथा स्व-सहायता समूहों का सहयोग लें।
ग्रामवासियों को उनके परिजनों की स्मृति में पौधरोपित करने के लिए प्रेरित करें। स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से पौधे रोपित करायें। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, उद्यानिकी विभाग तथा वन विभाग के सहयोग से पौधरोपण के लिए पौधों की व्यवस्था करें। रोपित पौधों की सुरक्षा तथा देखभाल का उचित प्रबंध ग्राम पंचायत अथवा स्व-सहायता समूह से करायें। इस तरह की सामूहिक वृक्षारोपण से एक ओर से जहां पर्यावरण संरक्षण तथा गांव के लिए प्राण वायु का स्थाई क्षेत्र विकसित करने में सहयोग मिलेगा। वहीं दूसरी ओर गांव की परंपरागत चौपाल को भी पुन: जीवित किया जा सकेगा।