
आदिवासी समाज सुधारक संघ का विरोध प्रदर्शन, धर्मांतरण पर रोक लगाने बनाए सख्त कानून
झाबुआ से कमलेश नाहर की रिपोर्ट
झाबुआ: आदिवासी समाज सुधारक संघ झाबुआ के तत्वावधान में झाबुआ राजवाड़ा पर एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। इस प्रदर्शन का उद्देश्य देश में लगातार बढ़ रहे अवैध धर्मांतरण पर रोक लगाने तथा धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम को और अधिक सशक्त बनाने की माँग करना था।
कार्यक्रम में मालवा क्षेत्र सहित देश के विभिन्न जनजातीय इलाकों से आए हुए आदिवासी समाज के प्रमुखों एवं संत-महात्माओं ने भाग लिया।

जनजातीय समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि —
मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, गुजरात, हिमाचल, उड़ीसा सहित अनेक राज्यों में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम लागू किए गए हैं। यह कानून नागरिकों को अपने धर्म का पालन, आचरण, पूजा एवं प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है, किंतु किसी को लालच, प्रलोभन या दबाव देकर धर्म बदलवाना कानूनी अपराध है।
बावजूद इसके, कई स्थानों पर विधर्मियों द्वारा आदिवासी परिवारों को छल-कपट एवं प्रलोभन से धर्मांतरित करने की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। ऐसे मामलों में कई बार पुलिस कार्रवाई एवं अदालती सजा भी हुई है।

समाज के नेताओं ने यह भी कहा कि इन गतिविधियों पर अंकुश लगने से परेशान होकर कुछ विधर्मियों ने सर्वोच्च न्यायालय में विभिन्न राज्यों के धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियमों को चुनौती देते हुए याचिकाएँ दाखिल की हैं, जो एक पूर्वनियोजित षड्यंत्र प्रतीत होता है।
उन्होंने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट इन कानूनों में परिवर्तन करने का निर्णय लेता है, तो यह जनजातीय समाज की धार्मिक आस्था पर गहरा आघात होगा। समाज ने चेतावनी दी कि यदि धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ की जाती है, तो जनजातीय समाज उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संत श्री गंगाराम जी महाराज (देवदा, दाहोद), संत श्री कमल जी महाराज (शिवधाम कोकावाद), पुना जी महाराज (फूलधावड़ी), अनसिंह जी महाराज, मेशू जी महाराज, वरसिंह जी महाराज सहित अनेक संतगण एवं समाज सुधारक संघ के कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का समापन सभी संतों के आशीर्वचन और समाज की एकता के संकल्प के साथ किया गया।





