

Tribute : Anand Mohan Mathur : मिल मजदूर से वरिष्ठ अधिवक्ता तक का सफर तय कर अनंत यात्रा पर चल दिए सबके माथुर साहब!
मीडियावाला के स्टेटहेड विक्रम सेन की श्रद्धांजलि!
इंदौर और यहां का कानून इतिहास आनंद मोहन माथुर के जिक्र के बिना अधूरा है। सिर्फ यही नहीं, वे सांस्कृतिक और सामाजिक मामलों में भी हमेशा शहर के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे! न्याय की उम्मीद में इंदौर आने वालों को उनसे बड़ी आस रहती थी और उन्होंने कभी किसी को निराश भी नही किया। इंदौर के मालवा मिल के बदली मजदूर के तौर पर अपना जीवन शुरू करने वाले आंनद मोहन माथुर ने जो किया वो अपने दम पर अकेले किया। उन्होंने अपने दम पर न सिर्फ विधि का ज्ञान हासिल किया, बल्कि इंदौर शहर के हित में कई ऐसे अभिनव कार्य किए जो हमेशा याद किए जाते रहेंगे।
वरिष्ठ अधिवक्ता और समाजसेवी आनंद मोहन माथुर का 97 वर्ष की आयु में आज सुबह निधन हो गया है। माथुर जी लम्बी बीमारी के चलते कुछ समय से उपचाररत थे। इस आयु तक वे सामाजिक आयोजनों और आंदोलनों का सक्रिय हिस्सा तो रहे ही, वहीं वकालत के जरिए जनहित के लिए लड़ते भी रहे। माथुर जी ने अपने पेशे को पूरी शुचिता के साथ निभाया और शीर्ष पर पहुंचे। वे अपने कानून के ज्ञान और अनुभव का लगातार पीड़ितों और शोषितों के हित में उपयोग करते रहे। वे अपने अंतिम समय तक भी यही काम करते रहे। सिर्फ कोर्ट में ही नहीं, समय आने पर वे सड़क पर उतरने से भी नहीं हिचकते थे। इंदौर के सांस्कृतिक और साहित्यिक परिदृश्य में उनकी उपस्थिति महत्वपूर्ण रही।
उन्होंने संगीत की साधना की रंगमंच पर अभिनय किया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कानूनी विशेषज्ञ के तौर पर भारत का नेतृत्व भी किया। माथुर जी ने अपने खर्च पर न सिर्फ इंदौर शहर में आनंद मोहन माथुर सभागृह का निर्माण करवाया, बल्कि कान्ह नदी पर झूला ब्रिज और अनेक ओपीडी सहित अन्य काम भी करवाए। सामाजिक कार्य के लिए उन्होंने अपनी बेशकीमती जमीन भी बायपास पर दान में दे दी।
माथुर जी के जीवन का इतिहास खंगालें, तो पता चलता है कि उन्होंने आजादी के कई आंदोलन में भी भाग लिया और किशोरावस्था से ही वे अंग्रेजों के खिलाफ मैदान में उतर गए थे। इस लड़ाई का असर उनके परिवार पर सीधा-सीधा पड़ा और उन्हें इन आंदोलनों के चलते परिवार का साथ तक छोड़ना पड़ा था। वे अपना पैतृक गाँव छोड़कर इंदौर आए और मालवा मिल में बदली मजदूर के रूप में काम भी किया तथा पढ़ाई भी की।
कालांतर में वे कॉलेज में अध्यापन के कार्य से भी जुड़े रहे। वैसे तो उनका सपना डॉक्टर बनना था, लेकिन बाद में उन्होंने अपना निर्णय बदला और वकालत की। इस पेशे को उन्होंने पूरी शिद्दत से निभाया और जो फीस उन्होंने मिलती थी, उसका एक बड़ा हिस्सा वे समाजसेवा में लगाते आए। इसी सेवाभाव के चलते उन्होंने दो बार हाईकोर्ट जस्टिस के ऑफर को स्वीकार नहीं किया।
अदम्य साहस के साथ कई गंभीर मुद्दों पर भी अपनी और से पैरवी करने वाले माथुर जी के रूप में इंदौर ने अपना एक और हितैषी खो दिया है। निज निवास 14-बी, आनंद भवन रतलाम कोठी पर उनके अंतिम दर्शन हेतु भारी मात्रा में लोग उमड़े हैं। शोकाकुल डॉ राजकुमार, डॉ पूनम माथुर, डॉ पूजा माथुर अग्रवाल एवं डॉ प्रांशु अग्रवाल, डॉ राहुल माथुर, डॉ प्रीतिका देवनाथ माथुर एवं अधिवक्ता अरिहंत नाहर ने बताया कि रविवार सुबह 10 बजे आनंद भवन से अंतिम यात्रा रामबाग मुक्ति धाम जाएगी।
‘मीडियावाला’ की ओर से वरिष्ठ समाजसेवी तथा अधिवक्ता श्री आनंद मोहन माथुर जी को विनम्र श्रद्धांजलि।