Tribute to Ratan Tata:टा….टा…नहीं, वेल कम रतन
रतन टाटा से कभी मेरा या भारत के कुछेक हजार को छोड़कर 140 करोड़ नागरिकों की कभी कोई मुलाकात,परिचय नहीं हुआ । फिर भी कम से कम प्राथमिक शिक्षा प्राप्त और छोटे से लेकर विशालतम कारोबारी, उद्योगपति,प्रोफेशनल्स सहित तमाम भारतीय उन्हें किसी न किसी रूप में अवश्य जानते होंगे,इसका पूरा विश्वास है। संभवत वे देश के ऐसे व्यक्ति माने जा सकते हैं,जिनके प्रति हमारे मन में अगाध श्रद्धा,आदर और सम्मान है। वे इस धरती का अस्तित्व रहने तक अमिट,अक्षुण्ण छवि की समृद्धशाली हस्ती बने रहेंगे। नये भारत के इतिहास में उनके नाम का स्वर्णिम अध्याय रहेगा।
मेरी समझ से टाटा ने देश के चप्पे-चप्पे पर जो अपनी उपस्थिति दर्ज की,उनमें तीन उत्पादों का शुरुआती अहम योगदान रहा। टाटा ट्रक,एअर इंडिया और टाटा चाय। चाय तो सर्वव्यापी वस्तु है तो कभी टाटा चाय भी पी ही होगी। ट्रक भले ही करोड़ों की तादाद में न रहे हों, लेकिन जहां सड़क,कच्चा मार्ग रहा होगा, वहां माल परिवहन के प्रमुख साधन के तौर पर टाटा ने दस्तक दी। इसी तरह से टाटा की बसें भी प्रमुखता से मौजूद थी । इसके बाद तो अनंत इतिहास है। फिर तो ऐसा शायद ही कोई क्षेत्र बचा हो,जहां टाटा नहीं पहुंचे हों। यह भी उतनी बड़ी बात नहीं,क्योंकि कारोबारी का जीवन लक्ष्य ही होता है, पूरी दुनिया पर छा जाना । यहीं पर टाटा सबसे अलग,विशिष्ट,उल्लेखनीय रहे। वह तत्व रहा आचरण की शुचिता,व्यापारिक आदर्शों,उच्च प्रतिमानों का अक्षरक्ष: पालन करना । इन सबके साथ ही समूह के पितृ पुरुष जमशेदजी नौशरवानजी के समय से चली आ रही परोपकार की अद्वितीय,अनुकरणीय परंपरा। वह भी बिना किसी प्रदर्शन, प्रचार-प्रसार के ।
यदि टाटा की विश्वस्तरीय उपस्थिति को देखें तो पायेंगे कि दुनिया के सौ से अधिक देशों में उनका कोई न कोई कारोबार है और अनेक मुल्कों में तो वे सर्वोच्च स्थान पर हैं। आपको बता दें कि कोक,गूगल,माइक्रोसॉफ्ट,फेसबुक जैसे अंतराष्ट्रीय संस्थआनों के साथ भी उनकी हिस्सेदारी है। अमेरिका में टाटा के संस्थानों में करीब 25 हजार कर्मचारी हैं।समुद्र के भीटर फायबर नेटवर्क में वे दुनिया में पहले क्रम पर हैं। टाटा टेटली अमेरिका की प्रमुख चाय कंपनी है। ब्रिटेन,आस्ट्रेलिया,अफ्रीका,यूरोप,एशिया के ज्यादातर प्रमुख देशों में उनका कारोबार है। समूह का सोडा एश,स्टेनलेस स्टील,विंड पॉवर, चाय, होटल, कोयला, गैस,घड़ी,आभूषण जैसे अनेक उत्पादन और व्यापार का बड़ा जाल है। यूरोप में 70 हजार और ऑस्ट्रेलिया में 10 हजार कर्मचारी हैं। भारत सहित दुनिया में टाटा के करीब सवा 9 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं। दुबई के जग प्रसिद्ध बुर्ज खलीफा की विशाल इमारत में टाटा समूह का एअर कंडिशन सिस्टम (वोल्टास) और स्टील भी लगा है। मैं पूरे भरोसे के साथ कह सकता हूं कि उनके संस्थानों से निकाले जाने वाले कर्मचारियों का प्रतिशत समूचे कॉर्पोरेट जगत में न्यूनतम होगा।
एक बात जो टाटा को सबसे अलग बनाती है, वह है कि दुनिया के इतने बड़े साम्राज्य के मालिक होकर भी हमने कभी उनका नाम दुनिया के धनवान लोगों की सूची में नहीं देखा । वह इसलिये कि हमेशा से ही टाटा परिवार अपनी आय का बड़ा हिस्सा दान करता रहा। स्वयं रतन टाटा अपनी 66 प्रतिशत कमाई दान करते रहे। उनके समाज कार्यों में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता,पालन पोषण में प्रमुख है। महाभारत कालीन योद्धा कर्ण और महर्षि दाधिच(जिन्होंने देवताओं के यज्ञ के लिये अपनी हडि्डयां दान कर दी थीं) का नाम ज्ञात इतिहास में दान के लिये बेहद सम्मान के साथ लिया जाता है। मुझे यह कहने में संकोच नहीं कि टाटा को हम उसी परंपरा की अगली कड़ी मान सकते हैं।
भारत में टाटा स्टील,ऑटोमोबाइल में वे बेजोड़ हैं ही, साथ ही तनिष्क(आभूषण),टाइटन(घड़ियां) प्रामाणिकता में इन उत्पादों का पर्याय बन चुके हैं। यह कहा जा सकता है कि सदियों में इस तरह के सकारात्मक, विकासात्मक,सेवाभाव रखने वाला कोई एक व्यक्ति ही नहीं समूचा परिवार हो सकता है तो वह टाटा परिवार है। रतन जी, आप कहीं नहीं गये। आप प्रत्येक भारतवासी के मन में हैं। भारत के कण-कण में हैं। बस कमी केवल आपके सशरीर उपस्थित होने की है तो वह काल का ऐसा चक्र है, जिसकी चपेट में प्राणी मात्र को आना ही होता है। फिर भी भारत की अंतर आत्मा कहती है-रतन टाटा आप फिर से आइये । आपका स्वागत है।