Tribute to Sanjeev Nigam : शशि निगम ने कहा ‘मैं उनकी पत्नी ही नहीं,पहली पाठिका भी!’

व्यंग्यकार संजीव निगम को कई संस्थाओं ने रचनात्मक श्रद्धांजलि दी!

2009

Tribute to Sanjeev Nigam : शशि निगम ने कहा ‘मैं उनकी पत्नी ही नहीं,पहली पाठिका भी!’

Mumbai : व्यंग्यकार संजीव निगम सिर्फ अच्छे लेखक ही नहीं, बेहतरीन इंसान भी थे। उनकी व्यंग्यकार की ख्याति पूरे देश में एक समान रही। वे एक उम्दा कवि, कथाकार और पटकथाकार भी थे। मैं उनकी पत्नी ही नहीं, उनकी पहली पाठिका भी थी।’

ये विचार व्यंग्यकार स्व संजीव निगम की पत्नी शशि निगम ने नजमा हेपतुल्ला हॉल में आयोजित कार्यक्रम ‘यादों में संजीव’ में व्यक्त किए। इसका आयोजन मुंबई की कई साहित्यिक संस्थाओं ने मिलकर किया था। कार्यक्रम की शुरुआत में कथाकार, पत्रकार हरीश पाठक ने कहा कि यह एक रचनात्मक श्रद्धांजलि है भावुकता से अलग हटकर। यहाँ हम उस संजीव निगम को याद करेंगे, जो समकालीन व्यंग्य का यशस्वी स्वर था। सुभाष काबरा ने ‘सुन रहे हो संजीव’ नाम की रचना से उन्हें शिद्दत से याद किया। वागीश सारस्वत ने कहा कि जब तक साहित्य पढ़ा जाता रहेगा, संजीव निगम जिंदा रहेंगे। देवमणि पांडेय ने कहा कि एक जिम्मेदार अधिकारी के नाते उन्होंने हिंदुस्तानी प्रचार सभा को रचनात्मकता से जोड़ा।

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डॉ नीलिमा पांडेय, नीता बाजपेयी व अर्चना जौहरी ने उनकी रचनाओं का पाठ कर उन्हें याद किया। इनके अलावा अभिनेता विष्णु शर्मा, कुसुम तिवारी, सुधाकर स्नेह, शेखर अस्तित्व, डॉ रीता दास राम, गंगाशरण सिंह, प्रदीप गुप्ता, संध्या पांडेय व डॉ राजेश्वर उनियाल ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन अरविंद राही ने किया।

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इस आयोजन में कथा, नीलांबरी फाउंडेशन, श्रुति संवाद साहित्य कला अकादमी, वाग्धारा, आशीर्वाद, शाश्वत अभिव्यक्ति व चित्र नगरी संवाद मंच जैसी संस्थाएं शामिल थीं।

इस मौके पर संजीव निगम के दोनों पुत्र अमितांश व शीतांश के अलावा डॉ हुबनाथ पांडेय, वनमाली चतुर्वेदी, नवीन चतुर्वेदी, अरुण शेखर, मुकेश गौतम, संगीत बाजपेयी, अजय बिहारी, हरीश शर्मा ‘यमदूत’ सहित शहर के कला, साहित्य, संस्कृति व फिल्म से जुड़े लोग उपस्थित थे।