
श्रद्धांजलि : विनोद दुआ, हिंदी पत्रकारिता की निर्भीक आवाज़
नई दिल्ली। हिन्दी पत्रकारिता के वरिष्ठ, निर्भीक और चर्चित नाम विनोद दुआ अब हमारे बीच नहीं रहे। लम्बी पत्रकारिता यात्रा, बेखौफ विश्लेषण, संवेदनशील रिपोर्टिंग और जन‑जन तक खबर पहुंचाने के उनके प्रयासों ने उन्हें एक पहचान दिलाई।
▪️कौन थे विनोद दुआ
▫️विनोद दुआ का जन्म 11 मार्च 1954 को हुआ। उन्होंने दूरदर्शन से शुरुआत की और बाद में एनडीटीवी इंडिया से जुड़कर हिंदी‑भाषा के समाचार प्रसारण को नई दिशा दी। उनकी 4 दशक से अधिक की पत्रकारिता यात्रा में हजारों घंटे का प्रसारण अनुभव शामिल रहा। वे डिबेट, राजनीतिक विश्लेषण, चुनावों की समीक्षा और रिपोर्टिंग में हमेशा तत्पर रहे।
▫️वर्ष 2008 में सरकार ने उन्हें पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्म श्री से नवाजा। इसके अलावा 1996 में उन्हें रामनाथ गोयनका पत्रकारिता उत्कृष्टता पुरस्कार भी मिला।
▪️पत्रकारिता में योगदान
▫️उनके करियर में ‘जनवाणी’ (दूरदर्शन), ‘खबरदार इंडिया’, ‘विनोद दुआ लाइव’ (NDTV) जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम शामिल हैं। वे सिर्फ समाचार वाचक नहीं, बल्कि विश्लेषक, निर्माता, निर्देशक और मतदान विश्लेषक के रूप में भी जाने जाते थे। उन्होंने हमेशा साफ, निर्भीक और सच बोलने की पत्रकारिता की।
▪️निधन व श्रद्धांजलि
▫️विनोद दुआ का निधन 4 दिसंबर 2021 को हुआ। वे 67 वर्ष के थे। उनके अंतिम संस्कार लोधी श्रमश्मान घाट, दिल्ली में संपन्न हुआ। उनकी बेटी मल्लिका दुआ ने कहा, “हमारे निर्भय, असाधारण और अद्वितीय पिता अब हमारे बीच नहीं रहे।”
▪️क्यों रहेगा उनका योगदान अमर
▫️विनोद दुआ ने पत्रकारिता सिर्फ खबर पढ़ने तक सीमित नहीं रखी, बल्कि सवाल पूछने, सत्ता से जवाब मांगने और सच सामने लाने का साहस दिखाया। उनकी बहुमुखी प्रतिभा, राजनीतिक विश्लेषण और सामाजिक मुद्दों की रिपोर्टिंग ने उन्हें आम नागरिकों की आवाज बना दिया।
▫️उनकी विरासत- निर्भीक, स्वतंत्र और जनकेंद्रित पत्रकारिता हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
मीडिया वाला परिवार की ओर से भी सादर श्रद्धांजलि..
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