आजादी के अमृत महोत्सव में सरकार हर घर पर तिरंगा अभियान चलाकर इसे खास बना रही है। राज्यों में इसकी तैयारियां जोर पकड़ रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इस बार 15 अगस्त को हर घर तिरंगा अभियान शुरू करने जा रही है। इसके तहत देशवासियों को अपने घरों में तिरंगा फहराने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। देश को स्वतंत्र हुए 75 साल होने पर आजादी का अमृत महोत्व के तहत इस अभियान को चलाया जा रहा है। आयोजन 11 अगस्त से शुरू हो जाएगा, जो 17 अगस्त तक चलेगा। हालांकि लोगों को जागरूक करने की दृष्टि से अभियान की शुरुआत जुलाई में ही हो जाएगी।
एक और अच्छी खबर सामने आई है कि तेलंगाना के एक छोटे से कस्बे जम्मीकुंटा में रोज सुबह 52 सेकंड हर नागरिक देश के सम्मान में खड़ा होता है। हैदराबाद से 145 किमी दूर करीमनगर जिले के इस कस्बे ने देश के सामने देशभक्ति का यह उदाहरण पेश किया है। इस कस्बे में रोज 8 बजे सुबह 16 लाउडस्पीकरों के जरिए राष्ट्रगान बजाया जाता है। जैसे ही राष्ट्रगान बजता है लोग जहां होते हैं, वहीं पर सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाते हैं। कई लोग राष्ट्रगान के समय न सिर्फ खड़े होते हैं बल्कि सेल्यूट भी करते हैं। ये क्रम 15 अगस्त 2017 से लगातार चल रहा है। इस दौरान जो बसें या वाहन गुजरते हैं, वे भी रुक जाते हैं और उनके चालक सावधान की मुद्रा में खड़े होकर सम्मान देते हैं।
तो चाहे हर घर पर तिरंगा अभियान हो या फिर हर दिन राष्ट्रगान पर हर नागरिक द्वारा दिया गया सम्मान हो…दोनों के मूल में एक ही भावना है राष्ट्रभक्ति के प्रदर्शन की। कहते हैं कि प्यार होना ही काफी नहीं है, बल्कि प्यार जताना भी जरूरी है…ताकि आप जिससे प्रेम करते हैं, उसे इस बात का अहसास भी हो सके। और चाहे केंद्र सरकार का अमृत महोत्सव में हर घर पर तिरंगा अभियान हो या करीमनगर के जम्मीकुंटा में हर दिन राष्ट्रगान, दोनों ही जगह राष्ट्र के प्रति सम्मान और राष्ट्रप्रेम का प्रकटीकरण का भाव है। ताकि देश में राष्ट्रभक्ति की गंगा बहती दिखे। यह जरूरी भी है, क्योंकि राष्ट्रभक्ति का भाव अभ्यास में आ जाए तो व्यक्ति में राष्ट्रभक्त होने का जज्बा और राष्ट्र के प्रति समर्पण खुद-ब-खुद परत के ऊपर परत बनाकर स्थायित्व प्राप्त कर लेता है। और एक बार कोई राष्ट्रभक्ति में डूब जाए, तो राष्ट्र के प्रति कर्तव्य भी उबालें मारने लगते हैं। यदि ऐसा वातावरण बन जाए, तो व्यक्ति एक सच्चे नागरिक के भाव से देश को समर्पित हो ही जाता है। और कई सारी बुरी आदतें व्यक्ति के दिमाग से बाहर हों, यह भाव पैदा होता है।
Read More… रोज 16 लाउडस्पीकर पर राष्ट्रगान, खड़े रहते हैं लोग
श्रीलंका में शायद यही राष्ट्रभक्ति की भावना कमाल दिखा रही है। मुझे 2017 में श्रीलंका जाने का अवसर मिला था। और कोलंबो में पहले दिन हमें जहांं ठहराया गया था। वहां सुबह घूमते हुए जो दृश्य मुझे दिखा था, उससे श्रीलंका के निवासियों के प्रति एक श्रद्धा और सम्मान का भाव हमारे मन में भर गया था। श्रीलंका का राष्ट्रगान लाउडस्पीकर से एक निश्चित समय पर बजाया गया और जो जहां था वहीं सावधान की मुद्रा में खड़ा हो गया। जैसे ही राष्ट्रगान संपन्न हुआ, लोग अपने-अपने काम पर रवाना हो गए। मुंह से उस समय यही निकला था कि वाह श्रीलंका और वाह वहां के गरीब-अमीर सभी निवासी। अब करीब पांच साल बाद श्रीलंका में राष्ट्रभक्ति का प्रकटीकरण और राष्ट्रद्रोहियों के प्रति आक्रोश का जो ज्वार फूटा दिखा है, उसमें हमें उस राष्ट्रगान के हर दिन बजाए जाने और नागरिकों के अनुशासित आचरण के जज्बे का महत्वपूर्ण योगदान नजर आ रहा है।
भारत की बात करें तो साल 2004 में भारत सरकार बनाम ओपी जिंदल मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर हिंदुस्तानी को तिरंगा फहराने का अधिकार है। पर तिरंगा फहराने के नियम-कायदों की जानकारी और उनका पालन भी जरूरी है। हालांकि जागरूकता के अभाव और नियम-कायदे के बंधन से मुक्त रहने के चलते घरों पर राष्ट्रध्वज फहराने का उत्साह लोगों में पैदा नहीं हो पाया है। वहीं राष्ट्रगान अब भी रस्मी तौर पर संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों के प्रोटोकाल का हिस्सा और 15 अगस्त-26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर सम्मान पाकर खुश होने को मजबूर है। आजादी के अमृत महोत्सव में सरकार को हर घर पर पूरे साल नियम-कायदे से राष्ट्रध्वज फहराने का नियम अनिवार्य करना चाहिए। वहीं पूरे राष्ट्र में हर दिन एक निश्चित समय पर राष्ट्रगान की धुन पर हर नागरिक को सावधान में खड़े रहकर 52 सेकंड का सम्मान और अमूल्य समय देश को समर्पित करना चाहिए। इससे राष्ट्र के प्रति सम्मान का भाव फलेगा-फूलेगा, तो आस्तीन के सांप बनकर पलने-बढ़ने वाले राष्ट्रद्रोहियों को सबक सिखाने का साहस का प्रकटीकरण भी देखने को अवश्य मिलेगा।