दो दिवसीय चित्रकला प्रदर्शनी मानसून-शो का शुभारंभ!

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दो दिवसीय चित्रकला प्रदर्शनी मानसून-शो का शुभारंभ!

“अमूर्त एवं मूर्त की बारिकियों के रंग संयोजन और कूची से दृश्य में गति  कला की पहली शर्त है!”-चित्रकार डॉ. विम्मी मनोज

देवास में अभिरूचि ललित कला अकादमी एवं शोध संस्थान में दो दिवसीय चित्रकला प्रदर्शनी मानसून-शो का रविवार को शुभारंभ शास्त्रीय गायिका संजीवनी कांत के गायन से हुआ । इस अवसर पर उन्होंने वर्षा ऋतु पर सुंदर प्रस्तुतियाँ दी,

दूसरे सत्र में इंदौर की जानी मानी चर्चित चित्रकार डॉ. विम्मी मनोज ने कला में आज की वर्तमान स्थितियॉं और उनके बदलते स्वरूप पर सार्थक चर्चा की।विम्मी के चित्रों की 7 एकल प्रदर्शनियां लग चुकी हैं। यूके, द. कोरिया, जर्मनी, तुर्की, हंगरी सहित भारत के भी अनेक महानगरों के ग्रुप शो में वे अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी हैं। वे अनेक आवासीय कार्यक्रमों के साथ ही कला शिविरों और कला उत्सवों में सक्रिय भागीदारी कर चुकी हैं। वे जयपुर आर्ट समिट में समन्वयक रहीं। उनके भाषण, टॉक शो और वर्कशॉप दुनिया भर में होते रहे हैं। साथ ही शोधपरख लेख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में साया होते रहते हैं। डॉ. विम्मी मनोज ने अमूर्त एवं मूर्त की बारिकियों पर चर्चा कर रंग संयोजन और कूची से दृश्य में गति के बारे में बताया।

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प्रदर्शनी में देवास के अलावा कोलकाता, इंदौर,उज्जैन, झारखंड के कलाकारों की कृतियों को प्रदर्शित किया गया है जिसमें समकालीन चित्रों के साथ-साथ लोक कलाओं का भी समन्वय रहा,झारखंड की आदिवासी चित्रकार सावित्री बाई, इंदौर की डॉ. विम्मी मनोज, स्वपन तरफदार, उज्जैन की अलका मनीष पाठक, कोलकाता के राजीव सरकार, सरफुद्दीन अहमद, नूपुर दास और देवास के महेंद्र सिंह सोलंकी, डॉ. सोनाली चौहान, जयप्रकाश चौहान व अध्ययनरत विद्यार्थियों के वाटर कलर आदि व अन्य माध्यमों में किये कला कार्य आकर्षण का केंद्र रहे ।

इस अवसर पर अतिथियों में वरिष्ठ साहित्यकार जीवन सिंह ठाकुर, संस्थापक कृष्णदास पिठवे, काष्ठशिल्पी दिलीप राठौर, सोहन जोशी, अमेय कांत,पारुल कांत,ममता मालवीय,रोहित नंदाने,ज्योत्सना पाठक, हिमांशु शुक्ला आदि उपस्थित थे । अतिथियों का स्वागत संस्थान के निदेशक अमित पिठवे ने किया ।

बादल राग: डॉ. सुमन चौरे, लोक संस्कृति विद् एवं लोक साहित्यकार