मंदसौर से जब्त दो संकटग्रस्त ‘इंडियन स्टार टॉर्टॉयज’ का वन विभाग ने गांधीसागर अभ्यारण्य में सुरक्षित पुनर्वास किया

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मंदसौर से जब्त दो संकटग्रस्त ‘इंडियन स्टार टॉर्टॉयज’ का वन विभाग ने गांधीसागर अभ्यारण्य में सुरक्षित पुनर्वास किया

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर। वन मंडल अधिकारी श्री संजय रायखेरे द्वारा बताया गया कि मंदसौर से जब्त दो संकटग्रस्त ‘इंडियन स्टार टॉर्टॉयज’ का गांधीसागर अभ्यारण्य में सुरक्षित पुनर्वास मंदसौर, 11 नवंबर 2025 वन विभाग एवं पुलिस विभाग मंदसौर की संयुक्त टीम ने वन्यजीव संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए, दिनांक 08 नवंबर 2025 को जब्त किए गए दो संकटग्रस्त इंडियन स्टार टॉर्टॉयज (वैज्ञानिक नाम: Geochelone elegans) को सफलतापूर्वक उनके प्राकृतिक आवास में पुनर्वासित कर दिया है। यह प्रजाति वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I के तहत सूचीबद्ध एक विलुप्तप्राय एवं संकटापन्न वन्यजीव है।

अभियान एवं जप्ती का विस्तृत विवरण

यह संपूर्ण कार्रवाई श्रीमान मुख्य वन संरक्षक महोदय उज्जैन वृत्त, श्री एम आर बघेल, के मार्गदर्शन और श्रीमान वनमंडलाधिकारी मंदसौर, श्री संजय रायखेरे, के नेतृत्व में की गई।

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कार्यवाही दल: प्रभारी उप वनमंडल अधिकारी गरोठ श्रीमती सरोज सिंह और वन परिक्षेत्र अधिकारी मंदसौर श्री पी. एल. रायकवार के नेतृत्व में क्षेत्रीय वन बल एवं पुलिस थाना शहर कोतवाली की संयुक्त टीम द्वारा कार्यवाही की गई।

8 नवंबर को जगतपुरा मंडीगेट, मंदसौर से जब्त किया गया।

जब्ती: आरोपी अजहर (अज्जू) तम्बाकूवाला (डेडी) के घर की छत से दो नग इंडियन स्टार टॉर्टॉयज जब्त किए गए।

दर्ज प्रकरण: आरोपी के मौके से फरार होने पर, वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की सुसंगत धाराओं के तहत वन अपराध प्रकरण दर्ज कर कानूनी कार्यवाही जारी है।

पुनर्वास की प्रक्रिया

स्वास्थ्य परीक्षण: जब्त किए गए दोनों कछुओं का स्वास्थ्य परीक्षण गांधीसागर वन्यजीव अभ्यारण्य के वेटनरी सर्जन द्वारा किया गया, जिन्होंने उन्हें उनके प्राकृतिक पर्यावास में छोड़ने योग्य पूर्णतः स्वस्थ पाया।

पुनर्वास: न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, जिला मंदसौर से विधिवत अनुमति प्राप्त करने के बाद, 11 नवंबर मंगलवार को दोनों कछुओं को सुरक्षित रूप से गांधीसागर वन्यजीव अभ्यारण्य में छोड़ दिया गया।

वन विभाग मंदसौर यह दोहराता है कि वन्यजीव अपराधों के प्रति प्रशासन की नीति जीरो टॉलरेंस की है और संकटापन्न प्रजातियों के संरक्षण के लिए ऐसे संयुक्त अभियान लगातार जारी रहेंगे।