UAE Golden Visa : भारत पर कहां, कितना और कैसा असर डालेगी UAE की ‘गोल्डन वीजा पॉलिसी!’

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UAE Golden Visa : भारत पर कहां, कितना और कैसा असर डालेगी UAE की ‘गोल्डन वीजा पॉलिसी!’

UAE की कोशिश खुद को न्यूयॉर्क या लंदन जैसी ग्लोबल सिटी की तरह विकसित कर नई पहचान बनाना!

Dubai : संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने अपने गोल्डन वीजा को बहुत आसान बना दिया है। अब भारतीय नागरिक सिर्फ एक बार ₹23.3 लाख की फीस देकर आजीवन वहां रहने के योग्य अनुमति पा सकते हैं। अब उन्हें न तो कोई प्रॉपर्टी खरीदनी है, न बिज़नेस खोलना है और न कोई टैक्स देने की जरूरत है। यह निजी तौर पर सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है, लेकिन भारत के नजरिये से इसका नफा-नुकसान देखने की जरूरत ज्यादा है।

संयुक्त अरब अमीरात की यह वीजा नीति सही भी है और गलत भी। भारत के लिहाज से सबसे बड़ी चिंता है टैलेंट और पैसे का बाहर जाना। जब पढ़े-लिखे, समझदार प्रोफेशनल्स जैसे डॉक्टर, इंजीनियर और आईटी एक्सपर्ट्स यूएई जैसे देशों में बसने लगेंगे, तो भारत की रीढ़ मजबूत करने वाले लोग देश से दूर हो जाएंगे। साल 2023 में ही करीब 16 लाख भारतीयों ने विदेशी नागरिकता ली, जिनमें बड़ी संख्या खाड़ी देशों की थी। अब जबकि गोल्डन वीजा इतना सस्ता हो गया, तो यह संख्या और भी तेजी से बढ़ सकती है। साथ ही, इस प्रक्रिया में जो फीस और रहन-सहन का खर्च होगा, वह भी करोड़ों रुपये भारत से बाहर ले जाएगा।

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केरल और पंजाब पहले से ही बड़े पैमाने पर पलायन झेल रहे हैं। अब गोल्डन वीजा इतना सस्ता हो गया, तो इन राज्यों से और ज्यादा लोग बाहर जाने लगेंगे। इससे स्थानीय लेबर की कमी हो सकती है, जिससे खेती, छोटे कारोबार और घरेलू सेवाओं पर असर पड़ेगा। ऐसे में भारत से न सिर्फ पैसा, बल्कि टैलेंट और मेहनतकश लोग भी धीरे-धीरे बाहर निकल सकते हैं।

भारत सरकार पर होगा दबाव

ऐसे में भारत की सरकार पर भी दबाव बनेगा कि वह ऐसी नीतियां बनाएं, जिससे लोग भारत छोड़ने के बजाय यहीं रहकर काम करना पसंद करें। जैसे कि टैक्स सिस्टम को आसान करना, नौकरियों के मौके बढ़ाना और जीवन स्तर को सुधारना। दोहरी नागरिकता की मांग भी फिर से उठ सकती है, जो भारत में फिलहाल मान्य नहीं है। हालांकि, यह वीजा भारत और यूएई के रिश्तों को मजबूत करता है, लेकिन भारत को यह भी देखना होगा कि इससे उसकी सामाजिक और आर्थिक हालत कमजोर तो नहीं हो रही?

सस्ते में क्यों बुला रहा यूएई

यूएई एक स्मार्ट चाल चल रहा है। वो खुद को न्यूयॉर्क या लंदन जैसे ग्लोबल सिटी की तरह बनाना चाहता है, जहां दुनियाभर की टैलेंट और निवेश आए। वह दुनियाभर के होनहार लोगों को अपने देश में बुला रहा है, खासकर टेक्नोलॉजी, हेल्थ, एजुकेशन और इनोवेशन के क्षेत्र में। जाहिर है कि भारतीय प्रोफेशनल्स और उद्यमी वहां नए बिजनेस शुरू करेंगे, जिससे यूएई को टैक्स और रोजगार दोनों मिलेगा। उसका मकसद है कि वह तेल पर निर्भरता कम करके एक नॉलेज-बेस्ड इकोनॉमी बने।

साल 2019 से 2022 के बीच UAE ने 1.5 लाख से ज्यादा गोल्डन वीजा जारी किए थे। 2025 में 5,000 भारतीयों के आवेदन की उम्मीद है। ₹23.3 लाख की फीस से ही अगर 5,000 भारतीय आवेदन करें तो उसे करीब 1167 करोड़ रुपये की इनकम होगी। इसके अलावा यूएई को रियल एस्टेट और उपभोक्ता बाजार में भी फायदा होगा, क्योंकि वीजाधारक वहां घर किराए पर लेंगे, खरीदेंगे और अपने बच्चों की पढ़ाई व इलाज पर खर्च करेंगे।

पहले ये थे गोल्डन वीजा के रूल

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने 2019 में ‘गोल्डन वीजा’ नाम का एक खास वीजा सिस्टम शुरू किया था। इसका मकसद था कि दुनियाभर से निवेशक, स्टार्टअप वाले, प्रोफेशनल्स (जैसे डॉक्टर, साइंटिस्ट, आर्टिस्ट) जैसे लोग लंबे समय तक यूएई में रह सकें। उस समय गोल्डन वीजा पाने के लिए कुछ सख्त शर्तें थीं। जैसे कि किसी को यूएई में कम से कम एईडी 2 मिलियन यानी (लगभग ₹4.66 करोड़) की प्रॉपर्टी खरीदनी पड़ती थी और उसे 3 साल तक अपने पास रखना जरूरी होता था। ये नहीं तो किसी इन्वेस्टमेंट फंड या बिज़नेस में इतना ही पैसा लगाना पड़ता था और ये साबित करना पड़ता था कि ये पैसा उधार का नहीं है।

इसके अलावा हर साल सरकार को एईडी 250,000 (₹58 लाख) का टैक्स देना होता था। उद्यमियों के लिए भी नियम सख्त थे, जैसे अगर उनका बिज़नेस टेक्नोलॉजी या इनोवेशन से जुड़ा हो और उसकी वैल्यू कम से कम ₹1.17 करोड़ हो, तभी वे इस वीजा के पात्र माने जाते थे। इसके लिए उन्हें यूएई की सरकारी एजेंसियों से कई तरह के सर्टिफिकेट और अप्रूवल भी लेने होते थे। प्रोफेशनल्स जैसे डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को भी सरकारी मंत्रालयों से लाइसेंस या सिफारिश पत्र लेना होता था।

भारतीयों को व‍ियतनाम भी दे रहा गोल्डन वीजा

भारतीयों में टेलेंट और इनवेस्‍टमेंट दोनों हैं। छात्रों को भी गोल्डन वीजा मिल सकता था, लेकिन उसके लिए हाई स्कूल में 95% से ज्यादा नंबर या यूनिवर्सिटी में बहुत अच्छा रिकॉर्ड होना जरूरी था। इसके अलावा, मानवीय काम करने वाले लोगों को भी यह वीजा मिल सकता था, अगर उनके पास कम से कम 5 साल का अनुभव हो या वे एईडी 2 मिलियन का योगदान दे चुके हों। गोल्डन वीजा लेने वालों को अपने पति/पत्नी, बच्चों और घरेलू स्टाफ को भी साथ लाने की अनुमति थी। इसकी वैधता 5 या 10 साल की होती थी और इसे रिन्यू भी किया जा सकता था। खास बात ये थी कि वीजा धारक अगर 6 महीने से ज्यादा यूएई से बाहर भी रहते तो भी उनका वीजा रद्द नहीं होता था, जो आम वीजा में नहीं होता।

कितने भारतीयों को नागरिकता

2021 से 2025 तक, 5220 विदेशियों को भारतीय नागरिकता दी गई है। इनमें से 87% यानी 4552 पाकिस्तान से आए थे। सरकार ने 1 अगस्त 2024 को राज्यसभा को बताया कि साल 2023 में 2.16 लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने पिछले पांच वर्षों में अपनी नागरिकता छोड़ने वाले भारतीय नागरिकों पर पूछे गए सवालों के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। अपने जवाब में उन्होंने पिछले वर्षों से संबंधित डेटा भी साझा किया।

मंत्री ने बताया कि 2023 में अपनी नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या 2,16,219 (2.16 लाख) थी। सरकार ने बताया कि 2022 में यह आंकड़ा 2,25,620 (2.25 लाख) था, जबकि 2021 में 1,63,370 (1.63 लाख), 2020 में 85,256; और 2019 में 1,44,017 (1.44 लाख) था।

भारत में एकल नागरिकता की व्यवस्था

भारतीय संविधान के हिसाब से यहां एकल नागरिकता की व्यवस्था है। मतलब कि एक भारतीय नागरिक एक वक्त में केवल एक ही देश का नागरिक हो सकता है। अगर वो दूसरे किसी देश की नागरिकता लेता है, तो उसकी भारतीय नागरिकता अपने आप खत्म हो जाएगी। सामान्य तौर पर माना जाता है कि लोग बेहतर रोजगार और रहन-सहन के लिए दूसरे देशों में प्रवास करते हैं या वहां की नागरिकता लेते हैं। ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू, 2020 के मुताबिक, अच्छी लाइफस्टाइल के लिए लोग नई नागरिकता लेते हैं। इसी के साथ अपराध दर बढ़ने या देश में व्यावसायिक अवसरों की कमी की वजह से भी लोग ऐसा करते हैं।