Ujjain Ganga Dusshera Parv: नीलगंगा सरोवर पर संतों का हुआ समागम, निकाली पेशवाई, सरोवर में किया स्नान
मुकेश व्यास की रिपोर्ट
उज्जैन। उज्जैन में आज गंगा दशहरा पर्व पर जूना अखाड़ा घाट नीलगंगा सरोवर पर संतों का समागम हुआ। मंगलवार सुबह अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज और श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक महंत हरिगिरी महाराज की अगुवाई में भव्य पेशवाई निकाली गई। सैकड़ों साधु-संतों के साथ नीलगंगा सरोवर में जूना अखाड़ा नीलगंगा के देवता को स्नान कराया गया। फिर नीलगंगा सरोवर में उन्होंने स्नान किया।
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा नीलगंगा सरोवर पर हर साल गंगा दशहरे पर शाही स्नान, पेशवाई, अभिषेक पूजन और महाआरती के साथ ही भंडारे का भव्य आयोजन होता है। मंगलवार को नीलगंगा जूना अखाड़ा से ध्वज पूजन के साथ पेशवाई निकली।साधु-संतों ने शस्त्रों के साथ कौशल दिखाया। घोड़े और बग्गी में सवार होकर महामंडलेश्वर निकले। पेशवाई प्रमुख मार्गों से होती हुई जूना अखाड़ा नीलगंगा सरोवर पहुँची, वहां साधु-संतों ने शाही स्नान किया।
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा ने 2016 में हुए सिंहस्थ के बाद से नीलगंगा स्थित जूना अखाड़ा घाट पर गंगा दशहरा उत्सव की शुरुआत की थी। इसका निर्वहन किया जा रहा है। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक महंत हरिगिरी महाराज ने बताया कि जूना अखाड़ा 2017 से लगातार नीलगंगा घाट पर गंगा दशहरा पूजन पर्व मना रहा है।
इस वर्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा के सचिव रविंद्र पुरी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी कपिल पुरी महाराज के सानिध्य में महामंडलेश्वर स्वामी महेंद्र आनंद गिरी महाराज, महामंडलेश्वर साध्वी चेतना गिरी माताजी, महामंडलेश्वर साध्वी श्रद्धा गिरी माताजी, महामंडलेश्वर शैलेशानंद गिरी गुजरात सहित जूना अखाड़ा, श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा, श्री पंच दशनाम आव्हान अखाड़ा श्री पंचायती अग्नि अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, नया उदासीन अखाड़ा, निर्मल अखाड़ा सहित अन्य अखाड़ों के संत-महंत नीलगंगा सरोवर में शाही स्नान में शामिल हुए। इसके बाद सिहंस्थ पड़ाव स्थल नीलगंगा से पेशवाई प्रारंभ हुई जो नीलगंगा चौराहा होते हुए जूना अखाड़ा घाट पहुंची।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्रपुरी महाराज की अध्यक्षता में सिंहस्थ महापर्व 2028 की तैयारियों और शिप्रा शुद्धिकरण के मुद्दे को लेकर सिहस्थ पड़ाव स्थल नीलगंगा पर बैठक हुई। इसमें सभी अखाड़ों के प्रतिनिधि शामिल हुए।