Ujjain News: ठेकेदार ने भुगतान ना होने पर जहर पिया, हालत गंभीर

बिल्डर एसोसिएशन ने नगर निगम आयुक्त के खिलाफ खोला मोर्चा

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उज्जैन से अजेंद्र त्रिवेदी की रिपोर्ट

उज्जैन: विगत 3 वर्षों से लंबित भुगतान की मांग को लेकर उज्जैन नगर निगम के ठेकेदार पूर्व से परेशान है और कई बार अधिकारियों, मंत्रियों व उच्च स्तर पर भुगतान हेतु आवेदन कर चुके हैं, किंतु कोई सुनवाई नहीं हुई।

इसी बीच आज दिन में एक ठेकेदार द्वारा निगम में किए गए कार्य के भुगतान ना होने के कारण निगम गेट के सामने जहर खाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया गया।

दरअसल उज्जैन नगर निगम ठेकेदार जावेद खान द्वारा भुगतान नहीं होने पर जहरीला पदार्थ खा लिया जिससे आक्रोशित होकर उज्जैन नगर निगम बिल्डर एसोसिएशन के ठेकेदारों ने नगर निगम गेट पर ताला लगाया और धरने पर बैठे व निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए तथा सभी ठेकेदारों का शीघ्र भुगतान करने की मांग की।

साथ ही एसोसिएशन ने उज्जैन संभाग आयुक्त और प्रशासक संदीप यादव से चर्चा कर लंबित भुगतान के बारे में बात की तथा निगमायुक्त अंशुल गुप्ता की तानाशाही और गैर जिम्मेदाराना रवैये की शिकायत की।

 

ठेकेदारों का कहना है कि जब भी उज्जैन में कोई भी बड़ा कार्य सिंहस्थ पर्व, शौचालय निर्माण, वार्डो के विकास कार्य, स्वच्छता अभियान या अन्य अन्य जो छोटे कार्य होते हैं| हम उज्जैन के नागरिक होने के नाते पूरी ईमानदारी और जिम्मेदारी से कार्य करते हैं और प्रशासन का सहयोग कर उस कार्य को पूर्ण करते हैं।

विगत 2 को साल से कोरोना महामारी के कारण सब की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय है। पिछले 3 वर्षों से लगभग 90 करोड़ रुपए ठेकेदारों का भुगतान भी लंबित है।

ऐसी स्थिति में नगर निगम को ठेकेदारों की मदद करना चाहिए। ठेकेदार विकास के गाड़ी के पहिए हैं जो अपना दायित्व जिम्मेदारी पूर्वक निर्वहन करते हैं।

सभी ठेकेदार गण निगम के संकट के समय कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते हैं। सिंहस्थ पर्व 2016 में आंधी तूफान और वर्षा से साधु संतों के आश्रम और अखाड़ों के पंडाल, टेंट व अन्य व्यवस्थाएं ध्वस्त नष्ट हो चुके थे|

तत्कालीन निगमायुक्त के आग्रह पर सभी ठेकेदारों ने दिन रात एक कर बिना किसी भुगतान के अपना सामाजिक धर्म समझकर अविलंब कार्य शुरू कर मेला क्षेत्र की व्यवस्था में सहायता कर सुचारू रूप मेला पुनः प्रारंभ कर दिया।

वर्तमान में ठेकेदारों की आर्थिक स्थिति दयनीय इसलिए निगम को भी ठेकेदारों के किए गए कार्यों का का भुगतान करना चाहिए।