अफ्रीकी, गोरों, चीनी और अरब में बांटकर चले गए सैम अंकल…
सुबह से शाम तक चले हाई पॉलिटिकल ड्रामा में भारत को अफ्रीकन, गोरों, चीनी और अरब नस्लों में बांटने वाले सैम पित्रोदा ने आखिरकार अपने पद से इस्तीफा दे ही दिया। पर इस्तीफा देने से होता क्या है, जो होना था वह तो हो ही गया। हो सकता है कि अब इस एपीसोड से कांग्रेस में जयराम रमेश का कद थोड़ा बढ जाए, पर कांग्रेस को तो जो नुकसान होना था वह तो हो ही गया। लोकसभा चुनाव 2024 में तीन चरण के चुनाव होने तक सैम अंकल ने बात विरासत से नस्ल तक पहुंचाकर कौन सी अदावत कांग्रेस से निकाली है, यह तो वही समझ सकते हैं। अभी 48 फीसदी लोकसभा सीटों पर चुनाव बाकी है और यहां ही भाजपा की उम्मीदों का सागर हिलोरें मार रहा था, जिसमें पित्रोदा ने पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण की नस्लें बताकर मानो चार चांद लगाने का काम किया है। अब बेचारे राहुल बाबा करें भी तो क्या करें। वायनाड देखें, रायबरेली देखें, मोदी से निपटें या फिर कांग्रेस को दलदल में ढकेलने की तैयारी में जुटे सैम अंकल जैसे नेताओं पर निगाह रखने में जुटे रहें। अब राहुल बाबा तो अंकल के बयान को न तो मंचों पर उगल सकते हैं और न ही निगल सकते हैं। न तो विरोध कर सकते हैं और न ही समर्थन का ढिढोंरा पीट सकते हैं। मणिशंकर अय्यर क्या तम थे, जो अब सैम अंकल को भी रिंग में कूदने का बोझ उठाना पड़ा। पर अब करें भी तो क्या करें? जयराम रमेश को मुखौटा बनाकर और सैम अंकल को पद से हटाकर कांग्रेस डैमेज कंट्रोल में जुटने को मजबूर है। आखिर 81 साल के पित्रोदा भी कांग्रेस के अच्छे दिन आने में दीवार बनकर क्या जताना चाहते हैं। यही कि अपने रहते कांग्रेस को वापस सत्ता के सिंहासन तक नहीं पहुंचने देंगे? फिर चाहे विरासत की की नदी बहाना पड़े या फिर नस्लों के नाले से गुजरना पड़े। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा को शायद ही इसका कोई मलाल हो। बयान की निंदा मोदी से लेकर कांग्रेस गठबंधन में शामिल सभी दल कर रहे हैं।
और वक्त की नजाकत को भांपते हुए इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन सैम पित्रोदा ने अपने बयान पर शुरू हुए विवाद के बाद पद से इस्तीफ़ा दे दिया है।कांग्रेस दिग्गज जयराम रमेश ने इस बारे में सोशल मीडिया पर जानकारी दी है कि पित्रोदा के इस्तीफ़े को कांग्रेस अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया है। सैम पित्रोदा ने अंग्रेज़ी अख़बार स्टेट्समैन को दिए इंटरव्यू में उत्तर भारत के लोगों की तुलना गोरों, पश्चिम में रहने वालों की तुलना अरब, पूर्व में रहने वाले लोगों की तुलना चाइनीज़ और दक्षिण भारत में रहने वालों की तुलना अफ़्रीकियों से की थी। तो कांग्रेस पार्टी ने पित्रोदा के बयान से किनारा कर लिया था और उसके सहयोगी दलों ने भी बयान को ग़लत करार दिया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “सैम पित्रोदा की ओर से भारत की अनेकताओं की जो उपमाएं दी गई हैं, वो गलत और दुर्भाग्यपूर्ण हैं, अस्वीकार्य हैं। कांग्रेस इन उपमाओं से अपने आप को पूर्ण रूप से अलग करती है और इसका खंडन करती है।”
तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा तो ऐसे बयानों का बेसब्री से इंतजार और बेदर्दी से प्रहार करने में कोई कोताही नहीं बरतती। पीएम नरेंद्र मोदी ने एक चुनावी सभी में सैम पित्रोदा के बयान की निंदा की और राहुल गांधी समेत कांग्रेस को घेरा। मोदी ने कहा, “मैं आज बहुत ग़ुस्से में हूँ। मुझे कोई गाली दे, मुझे ग़ुस्सा नहीं आता। मैं सहन कर लेता हूँ। लेकिन आज शहजादे के फिलॉस्फर (सैम पित्रोदा) ने इतनी बड़ी गाली दी है, जिसने मुझमें ग़ुस्सा भर दिया है। कोई मुझे ये बताए कि क्या मेरे देश में चमड़ी के आधार पर योग्यता तय होगी। संविधान सिर पर लेकर नाचने वाले लोग चमड़ी के रंग के आधार पर मेरे देशवासियों का अपमान कर रहे हैं।” पीएम मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भी ज़िक्र किया और कांग्रेस पर निशाना साधा। कि आखिर राज खुल गया है कि कांग्रेस मुर्मू के राष्ट्रपति बनने का विरोध क्यों कर रही थी। इससे पहले सैम पित्रोदा विरासत टैक्स का बयान देकर भी कांग्रेस को कटघरे में ला चुके हैं। और फिर मोदी तो बख्शने में भरोसा नहीं रखते। पीएम मोदी ने कहा, “देश को कहाँ ले जाएँगे। अरे चमड़ी का रंग कोई भी हो। हम तो कृष्ण को पूजने वाले लोग हैं, जिमकी चमड़ी का रंग हम जैसा था।” तो नस्ल से शुरू हुई बात को मोदी ने कृष्ण पर खत्म कर कांग्रेस को फिर आइना दिखा दिया है कि वह हर बॉल पर जोरदार सिक्स मारकर कांग्रेस को पटखनी देने के महारथी हैं। यही कहा जा सकता है कि अफ्रीकी, गोरों, चीनी और अरब में बांटकर सैम अंकल ने अपने पद से विदाई ले ली है…
अच्छा ही रहा वरना हो सकता है कि भारत को वह चार मुल्कों के हवाले सौंपकर अरब सागर में ही फेंक देते…।कांग्रेस के प्रति इन पंक्तियों से ही हमदर्दी जताई जा सकती है कि “दिल के फफूले जल उठे सीने के दाग़ से इस घर को आग लग गई घर के चराग़ से …”।